Site icon The Better India – Hindi

सेना में रहते हुए इकट्ठे किए पूरे देश से बीज, हर राज्य की सब्ज़ियां मिलेंगी इनके खेत में

अक्सर ऐसा देखा जाता है कि रिटायरमेंट के बाद लोग आराम करते हैं और अधिक से अधिक वक्त अपने परिजनों के साथ गुजारते हैं। लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जो रिटायरमेंट के बाद और ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे ही लोगों में हैं हिमाचल प्रदेश के करतार सिंह।

सेना में नौकरी करते हुए उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में काम किया। काम के दौरान वह जहां भी गए वहां से कुछ पौधे या बीज साथ लेकर आए और छुट्टी के दौरान उन पौधों और बीज को अपने गांव की मिट्टी में लगा देते थे। यहीं से शुरू होती है करतार सिंह के किसान बनने की कहानी।

करतार सिंह

करतार सिंह ने अपने खेत को फसल विविधता का मॉडल बना दिया है। सरहद की रक्षा और मिट्टी से जुड़ाव की मिसाल हैं रिटायर फौजी करतार। मिट्टी से जुड़े रहना और हर पल कुछ नया करने की चाह ही है, जो इस किसान को अन्य किसानों से अलग करती है।

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के झंडुता ब्लॉक के बैहना जट्टा गांव के किसान करतार सिंह ने न सिर्फ अपने खेतों में 60 से अधिक फलों के पौधे लगाए हैं, बल्कि वह विभिन्न फसलों की खेती भी कर रहे हैं। करतार सिंह ने द बेटर इंडिया को बताया कि बचपन से ही उन्हें कृषि-बागवानी का शौक था, जो सेना में भर्ती होने के बाद भी खत्म नहीं हुआ। वह कहते हैं, “सेना में होने के कारण मुझे देश के दूरगामी हिस्सों में काम करने का मौका मिला। इसलिए जब भी मेरी पोस्टिंग कहीं होती थी मैं वहां से कोई न कोई पौधा या किसी प्रकार के बीज छुट्टियों के दौरान अपने गांव ले आता था और उसे खेत में लगा देता था। परिवारवालों को सख्त हिदायत देकर रखता था कि पौधों का विशेष ध्यान रखा जाए।”

खेतों में लगे आम

यह सब करते हुए 30 साल से अधिक का समय हो गया है और अब उनका खेत बगीचा बन गया है जहां 60 से अधिक ऐसे पेड़ हैं जो विविध प्रकार के फल दे रहे हैं।

करतार सिंह कहते हैं, “विभिन्न राज्यों से लाए फल और अन्य पौधों की वजह से फसल के तौर पर साल भर हमें कुछ न कुछ मिलता रहता है। मेरे घर में सब्जियां, फल और फसलें हमेशा रहती हैं। बाजार से हमें फल-सब्जी नहीं खरीदना पड़ता है।”

 काले रंग के साथ 4 तरह की गेहूं उगाते हैं

चर प्रकार के गेंहूँ

करतार सिंह ने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण भी हासिल किया है। उन्होंने 2019 में राजस्थान के भरतपुर में प्राकृतिक खेती विधि के जनक पद्मश्री सुभाष पालेकर से प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इस दौरान करतार सिंह अपने साथ राजस्थान से काले रंग की गेहूं और बंसी गेंहू के बीज लाए और उसकी खेती शुरू की। उनका कहना है कि काले रंग की गेहूं में कैंसर से लड़ने की अधिक क्षमता होती है।

20 बीघा भूमि में कर रहे प्राकृतिक खेती

फल-फसलों के लिए प्राकृतिक तौर पर आदान तैयार करते हुए करतार सिंह

करतार सिंह 20 बीघा भूमि में बिना किसी रसायन के प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उनका विशेष जोड़ मिश्रित खेती पर है। इसके अलावा यदि फसलों को किसी प्रकार की बीमारी होती है तो वह प्राकृतिक दवाई से फसल का उपचार करते हैं। यह दवाई वह खुद तैयार करते हैं।

वह कहते हैं, “प्राकृतिक खेती विधि का सबसे स्पष्ट और अच्छा परिणाम मुझे फलों और अनाजों के स्वाद के रूप में देखने को मिला। इसके अलावा मिट्टी की सेहत में पहले साल से ही सुधार होना शुरू हो गया है। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा न होने के बावजूद भी फसलों में अच्छी उपज देखने को मिल रही है।”

करतार सिंह ने देश के अलग-अलग राज्यों की फसलों को अपने खेत में जगह दी है। उन्होंने कहा कि नागालैंड की तीन तरह की मिर्च, राजस्थान का पपीता, महाराष्ट्र के आम, अंगूर, संतरे, इंफाल के चावल, उतराखंड के अनार, लिची और कीवी, कश्मीर का सेब, यह सबकुछ उन्होंने अपने खेत में उगाया है। इसके अलावा काली गेंहू से लेकर आम, अंगूर, टमाटर, सोयाबिनस ग्रीन टी, हल्दी, लहसून, इलायची आदि भी वह उपजा रहे हैं।


अन्य किसानों को बीज देते हैं करतार

प्राकृतिक खेती माॅडल को लेकर कृषि विभाग की ओर से लगाया गया बोर्ड


करतार सिंह के खेती मॉडल को देखकर आस-पड़ोस के किसान भी उनके साथ जुड़ रहे हैं। वह इन किसानों को बीज मुहैया करवाते हैं ताकि किसानों की पैदावार में बढ़ोतरी हो और उनका मुनाफा बढ़े। कृषि विभाग आत्मा प्रोजेक्ट के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. देसराज शर्मा का कहना है कि करतार सिंह ने जो खेती-बागवानी मॉडल तैयार किया है, वह अन्य किसानों के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने कहा, “करतार सिंह के खेतों में साल के हर समय कुछ न कुछ फसल तैयार होती है। फसल और फल विविधता को लेकर करतार सिंह के मॉडल का भ्रमण अन्य किसानों का भी करवाया जाता है ताकि अन्य किसान भी इस तरह की खेती कर सकें।”

उम्र के इस पड़ाव में खेती-किसानी में बदलाव का नया अध्याय जोड़ने वाले करतार सिंह के जज्बे को द बेटर इंडिया सलाम करता है।

खेती-किसानी से जुड़ी जानकारियों के लिए आप करतार सिंह से उनके नंबर 9459370819 पर संपर्क कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें- 78 वर्षीय पूर्व सेना अधिकारी का फिटनेस मंत्र, बंजर ज़मीन को बना डाला 400 पेड़ों का बगीचा

यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

Exit mobile version