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Home प्रेरक किसान एक-दो नहीं, तीन-तीन सरकारी नौकरियां छोड़कर खेती को बनाया बिज़नेस, कमा रहे लाखों रुपये

एक-दो नहीं, तीन-तीन सरकारी नौकरियां छोड़कर खेती को बनाया बिज़नेस, कमा रहे लाखों रुपये

राजस्थान के रहनेवाले धनराज ने सोयाबीन की खेती करने के लिए, पहली बार 4 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन उन्होंने इससे तकरीबन 38 लाख का मुनाफा कमाया।

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Dhanraj Lovavanshi left job, doing farming

अगर आपकी सरकारी नौकरी लग जाए और फिर कुछ समय बाद, कोई आपसे कहे कि खेती-बाड़ी कर लो, यह नौकरी का झंझट छोड़ो, तो आप क्या करेंगे? शायद आप इसे बेवकूफी कहेंगे, है न! लेकिन राजस्थान के बारां जिले में रहनेवाले धनराज लववंशी ने एक-दो नहीं, तीन-तीन सरकारी नौकरियां छोड़कर खेती को अपना बिज़नेस बनाया और आज लाखों रुपये भी कमा रहे हैं।

हालांकि, 29 साल के धनराज के लिए ये सब इतना आसान भी नहीं था। उनके इस फैसले के लिए उन्होंने लोगों के ताने तो सुने ही, साथ ही उनके परिवार ने भी उनका साथ छोड़ दिया। लेकिन धनराज को खुद पर और अपने फैसले पर पूरा भरोसा था।

परंपरागत खेती में कुछ नया सीखने के लिए वह साल 2022 में महाराष्ट्र आए। उन्होंने कई अलग-अलग जगहों से खेती की बारीकियां सीखीं और फिर इज़रायली मल्टी क्रॉप मेथड से उन्होंने अपने गांव के 26 एकड़ खेत में सोयाबीन की खेती शुरू की।

सरकारी नौकरी छोड़ चुनी खेती, कितना हुआ फायदा?

Dhanraj Lovavanshi in his farm
Dhanraj Lovavanshi in his farm

सोयाबीन की खेती करने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ने वाले धनराज ने पहली बार 4 लाख रुपये खर्च किए, लेकिन उन्होंने इससे तकरीबन 38 लाख का मुनाफा कमाया। इस बार उन्होंने दस तरह की ऑफ सीज़न सब्ज़ियां उगाई हैं, जिससे उन्हें एक करोड़ की कमाई का अंदाज़ा है। आज धनराज खेती के ज़रिए न सिर्फ खुद अच्छी कमाई कर रहे हैं, बल्कि अपने खेत में 40 लोगों को रोज़गार भी दिया है।

इसके साथ ही वह डेयरी फार्म भी चलाते हैं। आज उनके पास 23 किस्म की भैंसें व गायें हैं, जिनके दूध को वह बड़ी डेयरियों में सप्लाई करते हैं। धनराज का मानना है कि सोशल मीडिया के ज़रिए आज के युवा बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसका सही उपयोग उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

आज धनराज को उनके गांव में लोग 'वैज्ञानिक' के नाम से बुलाते हैं। अब आगे उनका वेजिटेबल हार्वेस्टिंग कंपनी शुरू करने का प्लान है। धनराज की कहानी एक उदाहरण है कि अगर सही तकनीक सीखकर, उसे अपनाया जाए, तो खेती में घाटा नहीं, बल्कि मुनाफा ही मुनाफा है। 

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