कोटा के किसान का कमाल, अब सालभर खाने को मिलेंगे ताज़े-ताज़े आम

कोटा के 55 वर्षीय श्रीकिशन सुमन ने पारम्परिक खेती को छोड़, तरह-तरह की आम की गुठलियां लेकर अपने खेत में बोना शुरू किया। गुठलियों से उगे पौधों पर 10 साल के लगातार शोध व प्रयोग से सदाबहार आम की एक नई किस्म तैयार की, जो साल में तीन बार फल देती है।

Sadabahar Mango, new variety of Mango grown by Kota farmer Shreekisan

शायद ही कोई होगा, जिसे फलों के राजा 'आम' पसंद न हो। आम के दीवाने गर्मी के मौसम में 3-4 महीने तक आम की विभिन्न किस्मों का भरपूर आनंद लेते हैं और फिर दुखी मन से आम के सीज़न को अलविदा कहते हैं। लेकिन ज़रा सोचिए अगर उन आम के दीवानों को साल मे तीन बार स्वादिष्ट आम खाने को मिलें तो? जी हाँ, कोटा (राजस्थान) में गिरधरपुरा के 50 वर्षीय किसान श्रीकिशन सुमन ने आम की नई किस्म 'सदाबहार आम' उगाकर यह कमाल कर दिखाया है।

श्रीकिशन ने 10 साल की मेहनत और शोध के बाद सर्दियों में भी फल देने वाले आम की किस्म तैयार की है, जिसमें साल में तीन बार आम के फल लगेंगे। बाहर से पीले और अंदर से केसरिया रंग के ये आम बिना रेशे वाले हैं, जो खाने में बड़े ही स्वादिष्ट लगते हैं। श्रीकिशन, इस किस्म के आम के फल व पौधे बेचकर सालाना 20 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं।

कृषि पृष्ठभूमि से आने वाले श्रीकिशन सुमन ने 11वीं कक्षा तक की पढ़ाई की है और खेती उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिताजी भी खेती ही करते थे। 6 बीघा ज़मीन पर की जाने वाली पारम्परिक खेती से पूरे परिवार का लालन-पालन उनके पिताजी ने किया।

कैसे उगाई सदाबहार आम की यह किस्म?

Sadabahar Mango Farming in Kota
Sadabahar Mango Farming in Kota

श्रीकिशन ने भी अपनी पारिवारिक परंपरा को निभाते हुए सोयाबीन, चावल, गेहूं आदि से शुरुआत की, लेकिन उससे होने वाली कमाई से श्रीकिशन संतुष्ट नहीं थे। इसलिए उन्होंने रोज़ाना कमाई के हिसाब से होने वाली खेती के बारे में सोचा और सब्जियां उगानी शुरू की। लेकिन सब्जियों में लगने वाले कीड़े और कीटनाशक से होने वाले नुकसान की वजह से उन्होंने इसे भी बंद कर दिया।

श्रीकिशन ने फिर फूलों की खेती पर काम शुरू किया और गुलाब, मोगरा, गेंदा, हजारे, नवरंगा आदि से कमाई की। उन्होंने इधर-उधर से जानकारी एकत्रित कर ग्राफ्टिंग के ज़रिये एक ही गुलाब के पौधे में सात तरह के फूल खिलाए। लेकिन फूल की खेती भी कहीं न कहीं उन्हें वह संतोषप्रद परिणाम नहीं दे रही थी, जिसकी उन्हें चाह थी।

तब उन्होंने साल 1998 में आम के पौधे पर रिसर्च शुरू की और आम की नई किस्म 'सदाबहार आम' उगाया। श्रीकिशन जहां भी जाते थे, आम खरीदते और उनकी गुठलियां लाकर अपने खेतों में बो देते थे और उनसे उगने वाले पौधों से उन्होंने तीन चार नस्लों की ग्राफ्टिंग कर नया पौधा तैयार किया। फिर इसी तरह से कुछ नया प्रयोग करते रहते और पांच साल बाद एक पौधे पर ऑफ सीजन बौर आ गई और भरी सर्दी में उसी बौर में फल भी आए।

इस पौधे को उन्होंने अच्छी गुणवत्ता वाली खाद, पोषक तत्त्व दिए और इसे विकसित किया। लगभग 10 साल तक की शोध के बाद, उन्होंने यह आम का पौधा तैयार किया और इसकी ग्राफ्टिंग के ज़रिये उन्होंने हज़ारों पौधे तैयार कर दिए।

कितने दाम पर बिक रहे हैं सदाबहार आम के पौधे?

Shreekisan Suman in his Mango Farm
Shreekisan Suman in his Mango Farm

सामान्यत: आम के पेड़ में 2 साल में एक बार फल आते हैं, लेकिन श्रीकिशन सुमन की इस किस्म में साल में तीन बार फल लगते हैं, इसलिए इस आम की किस्म का नाम उन्होंने 'सदाबहार आम' रखा। श्रीकिशन, लखनऊ के केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान से लेकर आईसीएआर के चक्कर काटने लगे, तो वर्ष 2012 में राजस्थान के डिपार्टमेंट ऑफ हॉर्टीकल्चर ने उनकी शोध की जांच करने के लिए वैज्ञानिकों की तीन सदस्यीय टीम गठित की।

वैज्ञानिकों ने जब पत्तों से लेकर, टहनियों, जड़ों, फूल और फलों तक के सैंपल की जांच की, तो वैज्ञानिक भी यह जानकर भौचक्के रह गए कि श्रीकिशन ने आम की जो नस्ल खोजी, वह दुनिया से एक दम अलग और नई है। पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण ने आम की इस नई किस्म को 'सदाबहार' नाम से पेटेंट कर उसकी खोज का श्रेय और बागवानी का एकाधिकार भी सुमन को दे दिया है। राष्ट्रपति भवन के मुग़ल गार्ड़न में वर्ष 2017 में उन्होंने अपने सदाबहार आम की प्रदर्शनी भी लगाई।

श्रीकिशन, सदाबहार आम के सालाना 2000 पौधे बेच रहे हैं। वह 1.5-2 फ़ीट ऊंचाई वाले इस पौधे को 17,00 रुपये, 3 फ़ीट वाले को 3,000 रुपये और 4 फ़ीट वाले को 4,000 रुपये तक में बेचते हैं। इस किस्म के पौधों की अधिकतम ऊंचाई 15 फ़ीट तक होती है।

कैसा है इसका स्वाद?

Sadabahar Mango, New Variety of Mango grown by Shreekisan Suman
Sadabahar Mango, New Variety of Mango grown by Shreekisan Suman

आम के दीवाने इन पौधों को अपने घर के गमलों में भी लगा कर स्वादिष्ट आम का आनंद ले सकते हैं। इस किस्म के एक आम का वज़न 250 से 350 ग्राम होता है और औसतन एक पेड़ से सालाना 100 से 150 किलो तक फल मिलते हैं। NIF बैंगलोर लैब की टेस्टिंग में इस किस्म के आम का स्वाद हापुस आम की तरह पाया गया।

श्रीकिशन आज इन आमों को बेचकर काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। साथ ही इस किस्म के पौधों की नर्सरी से भी उनकी अच्छी कमाई हो रही है। श्रीकिशन सुमन ने इस आम के व्यापार से पिछले पांच साल में 1 करोड़ रुपये तक की कमाई की है। उन्होंने इस सदाबहार आम के व्यापर से 30 बीघा से ज्यादा की खेती की ज़मीन और आलीशान घर भी ले लिया है।

उन्होंने बताया की वह अब आयकर की श्रेणी में आते हैं और ख़ुशी से प्रतिवर्ष नियमानुसार टैक्स भी देते हैं, ताकि देश निर्माण में अपना योगदान कर सकें।

लेखकः सुजीत स्वामी

संपादनः अर्चना दुबे

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