भारत विविधताओं का देश है। खाने के मामले में भी यहाँ अलग-अलग स्वाद के पकवान बनाने का रिवाज़ रहा है। इन्हीं ख़ास पकवानों में से एक है बिरयानी, जो पूरे भारत में बड़े चाव से खाई जाती है। इतिहासकार और खाने के विशेषज्ञ पुष्पेश पंत मानते हैं कि भारत में बिरयानी को राजसी खाने का दर्ज़ा हासिल है, क्योंकि यह अपने आप में एक संपूर्ण आहार है।
माना जाता है कि बिरयानी ईरान से आई है। इसका नाम पर्शियन शब्द ‘बिरिंज बिरियन’ से पड़ा है, जिसका मतलब है ‘पकाने से पहले फ़्राई किया गया चावल’। वैसे, जितना लज़ीज़ इस पकवान का स्वाद है उतना ही मज़ेदार है इसका इतिहास और इससे जुड़ी कहानियाँ।
स्वादिष्ट बिरयानी का रोचक इतिहास
कुछ जानकार इसे भारत की देन मानते हैं, उनका दावा है कि मध्य एशिया के पुलाव को भारतीयों ने बिरयानी की शक्ल दी। पर इस तर्क को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया जाता, क्योंकि पुलाव और बिरयानी दो अलग-अलग चीज़ें हैं। यह भी कहा जाता है कि इस डिश को अरब के व्यापारी दक्षिण भारत के मालाबार कोस्ट पर लेकर आए थे। वहां पर तमिल साहित्य में इसका ज़िक्र ‘ओन सोरू’ के नाम से मिलता है।
इसके अलावा, कहते हैं कि 1398 में जब तुर्क-मंगोल विजेता, तैमूर अपनी सेना के साथ कज़ाख़स्तान और अफ़गानिस्तान के रास्ते भारत पहुँचा, तो यह पकवान उसके सैनिक मिट्टी के बर्तनों में बनाते और खाते थे। इसी तरह एक कहानी में बिरयानी की खोज का श्रेय, शाहजहाँ की बेग़म मुमताज़ महल को दिया जाता है।
कहते हैं कि वह एक बार अपनी फ़ौज से मिलने गईं, तो देखा कि सैनिक बहुत कमज़ोर थे। इसलिए उन्होंने अपने रसोइयों को एक संतुलित आहार बनाने के लिए कहा और इस तरह सैनिकों के लिए चावल और मीट से यह सम्पूर्ण खाना बनाया गया।
हर राज्य की अलग-अलग लजीज़ बिरयानी
इस स्वादिष्ट डिश की कौन सी कहानी सच है, यह रहस्य आज तक बना हुआ है। लेकिन यह आई कहीं से भी हो, एक बात जो सौ आना सच है वह यह कि हम भारतीयों ने इसे दिल से अपनाया है। हमारे देश के लगभग हर राज्य में इसे अलग अंदाज़ से बनाया जाता है।
400 साल पुराना हैदराबाद शहर केवल चारमीनार के लिए ही नहीं, बल्कि हैदराबादी बिरयानी के लिए भी काफ़ी मशहूर है।अगर बॉम्बे बिरयानी नहीं खाई, तो भला आपने क्या खाया! लखनऊ की मुग़लई बिरयानी का तो क्या ही कहना! कोलकाता की सबसे अलग आलू वाली बिरयानी भी वर्ल्ड फेमस है। तो चलिए जानते हैं इसकी कहानी-
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