यह लेख, द बेटर इंडिया द्वारा ‘कोविड-19 केयर’ के बारे में वेरिफाईड जानकारियां साझा करने की एक श्रृंखला का हिस्सा है। वैसे तो सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप पर, कोविड-19 से जुड़ी कई तरह की जानकारियां साझा की जा रही हैं। लेकिन, आपसे अनुरोध है कि इन जानकारियों को वेरीफाई जरूर कर लें। सही तथ्यों को आप तक पहुंचाने के लिए, हम कुछ डॉक्टर और विशेषज्ञों के वीडियो और उनके माध्यम से वैज्ञानिक शोध पर आधारित जानकारियां आपसे साझा कर रहे हैं। इस लेख में, CRP, HRCT Scan, D-Dimer और IL-6 टेस्ट के बारे में (Covid-19 Test Procedure) जानने के लिए, हमने दिल्ली स्थित Fortis अस्पताल, वसंत कुंज के पल्मनॉलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. भरत गोपाल से बात की। किसी कोरोना संक्रमित मरीज के लिए, इन टेस्ट के क्या मायने हैं, इस मुद्दे पर उन्होंने विस्तार से बताया है।
प्रश्न 1. ‘CRP’ का मतलब क्या है? यदि मेरी रीडिंग थोड़ी बढ़ी हुई है, तो यह क्या दर्शाती है?
डॉ. भरत गोपाल: CRP ‘C-reactive protein’ होता है, जो इनफ्लेमेट्री रिएक्शन और इससे संबंधित टिश्यू डिस्ट्रक्शन के कारण संक्रमण के दौरान बढ़ सकता है। कोरोना से संक्रमित मरीज के शरीर में CRP लेवल बढ़ने का एक संभावित कारण, वायरस से लड़ते वक़्त शरीर में इनफ्लेमेट्री साइटोकाइंस का अधिक मात्रा में बनना है। हालांकि, जब यह अधिक सक्रिय हो जाता है, तो शरीर की कोशिकाओं, विशेष रूप से फेफड़ों के टिश्यू को नुकसान पहुंचा सकता है।
CRP की किसी एक संख्या या वैल्यू की बजाय, बढ़ती CRP की चिकित्सीय तरीके से की गई प्रस्तुति अधिक महत्व रखती है।
यहां ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि आम तौर पर, CRP वैल्यू को जानने के लिए संक्रमण के पांचवे या छटे दिन ब्लड टेस्ट किया जाता है। सिर्फ गंभीर रूप से बीमार मरीजों की ही थेरेपी में बदलाव करने के लिए, पहले CRP कराने के लिए कहा जाता है।
यदि सामान्य SPO2- के साथ भी CRP, 70 mg/L से अधिक है, तो यह साइटोकाइन स्टॉर्म आने का संकेत है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है।
प्रश्न 2. अगर मेरी ‘D-dimer’ रीडिंग अधिक है, तो क्या मुझे ब्लड थिनर और स्टेरॉयड लेना जरूरी है?
डॉ. भरत गोपाल: D-dimer, क्रॉसलिंक्ड फाइब्रिन के निम्न स्तर का एक रूप है। यह कोविड-19 के मरीज की गंभीरता को दर्शाने का एक संकेत है। साथ ही, मरीज के शरीर में D-dimer का स्तर, रोग की गंभीरता और इसका पूर्वानुमान लगाने का एक विश्वसनीय सूचक या मार्कर है। हालांकि, मरीज को कौन सी थेरेपी देनी है, इसका फैसला किसी एक रीडिंग से नहीं लिया जा सकता।
ऐसे मरीज जिन्हें थ्रोम्बोएम्बोलिज्म (Thromboembolism) होने का ज्यादा खतरा है, उन्हें शुरुआत में एंटीकोऐग्युलेंट थेरेपी दी जाती है। हालांकि, ध्यान रखें कि D-dimer से इतना स्पष्ट नहीं हो पाता है कि यह किस कारण से बढ़ा है। क्योंकि, सक्रिय हो रहे हीमोस्टैटिक सिस्टम (Haemostatic System) के साथ, कई अन्य स्थितियों में भी D-dimer बढ़ सकता है। जैसे- गर्भावस्था, मलिग्नैन्सी (malignancy), ट्रॉमा, लिवर रोग, हृदय रोग, सेप्सिस या हीमोडायलिसिस के कारण, CPR (Cardiopulmonary Resuscitation) या हाल ही में हुई सर्जरी के परिणामस्वरूप भी D-dimer बढ़ सकता है।
इसलिए, चिकित्सक को क्लिनिकल संदर्भ को देखते हुए ही, मरीज की थेरेपी पर फैसला लेना होता है। डॉक्टर की सलाह के बिना न तो कोई दवाई लें और न ही खुद इलाज करें।
प्रश्न 3. ‘IL-6’ क्या होता है और इसकी कितनी रीडिंग पर मुझे सतर्क हो जाना चाहिये?
डॉ. भरत गोपाल: IL-6, कोविड-19 मरीजों में सूजन और वायरल साइटोकाइन स्टॉर्म के प्रमुख सूचकों में से एक है। जब शरीर का इम्यून सिस्टम अपने-आप ही, खुद को नुकसान पहुंचाने वाली प्रतिक्रियाएं करता है, इसे साइटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं। हमने पाया कि IL-6 टेस्ट एक प्रभावी और आसानी से किया जाने वाला टेस्ट है। जो मरीज की सही स्थिति को समझने के लिए, पर्याप्त जानकारी देने में मदद कर सकता है।
हालांकि सैम्पल के संग्रह में देरी और प्रयोगशाला में समय से पहले किये गए मेजरमेंट (माप) के कारण, परिणाम सही नहीं आते हैं। इसलिए, मध्यम से गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज, जिनको IL-6 थेरेपी देनी है, उनका यह टेस्ट कराना अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। हल्के या माइल्ड मामलों के लिए, CRP को एक अच्छा टेस्ट मान सकते हैं।
प्रश्न 4. क्या ‘HRCT’ (High-Resolution Computed Tomography) स्कैन सभी को करवाना होता है? मुझे यह स्कैन करवाना चाहिये या नहीं, इसका पता कैसे चलेगा?
डॉ. भरत गोपाल: यह फेफड़ों का CT स्कैन है, जो मरीज में कोरोना के विस्तार को देखने के लिए किया जाता है। ध्यान दें कि हर किसी को CT स्कैन कराने की जरूरत नहीं है।
ऐसे मरीज जो गंभीर रूप से बीमार नहीं हैं और जिन्हें हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन की कमी) नहीं है, उनके लिए भी कई डॉक्टर और मरीज दोनों ही HRCT चेस्ट स्कैन का अनुचित उपयोग कर रहे हैं।
ऐसे मरीज जिनकी RT-PCR रिपोर्ट पॉजिटिव हैं, उनमें से हर मरीज का HRCT स्कैन कराना जरूरी नहीं है।
मरीज में कोरोना संक्रमण की पुष्टि के लिए, HRCT चेस्ट स्कैन का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। केवल ऐसे मरीज, जिनमें मध्यम से गंभीर कोरोना संक्रमण के लक्षण हैं, लेकिन उनकी RT-PCR रिपोर्ट नेगेटिव है या कोई वैकल्पिक टेस्ट से पता नहीं चल रहा है, उन मरीजों को ही HRCT चेस्ट स्कैन कराने की सलाह दी जाती है।
शुरुआत में ही स्कैन कराने से, मरीज को ऐसा लग सकता है कि वह संक्रमित नहीं है, लेकिन आगे चलकर मरीज के शरीर में बदलाव हो सकते हैं और कोरोना के लक्षण आ सकते हैं। ‘CT स्कोरिंग’ अस्पताल में भर्ती गंभीर मरीजों के इलाज के लिए मददगार है। लेकिन HRCT चेस्ट स्कैन का उपयोग, पहले से ही इसका स्पष्ट अनुमान लगाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
आप डॉक्टर को ही यह तय करने दें कि मरीज को CT स्कैन की जरूरत है या नहीं। किसी भी परिस्थिति में, डॉक्टर की सलाह के बिना खुद से इलाज न करें।
मूल लेख: विद्या राजा
संपादन- जी एन झा
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