भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हो चुका है। वहीं अब हम दूसरे देशों की मदद के लिए, वहाँ भी वैक्सीन मुहैया कराने का काम कर रहे हैं। दरअसल, एक मददगार और ज़िम्मेदार देश के तौर पर भारत ने हमेशा अन्य देशों की सहायता की है। वहीं दूसरी ओर दुनिया का सबसे बड़े टीकाकरण अभियान भारत में शुरू हो चुका है, जिसके तहत 130 करोड़ लोगों को टीके लगाने का प्रयास है।
‘दावोस एजेंडा’ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, “सिर्फ 12 दिन में हमने अपने 2.3 मिलियन (23 लाख) से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स को टीके लगवा दिए हैं। जुलाई 2021 तक भारत में, 300 मिलियन (30 करोड़) लोगों को टीका लगाने की योजना है।”
इसके साथ भारत ‘वैक्सीन मैत्री’ (वैक्सीन फ्रेंडशिप) नामक एक पहल भी चला रहा है, जिसे 20 जनवरी 2021 को लॉन्च किया गया था। जिसमें भारत अपने पड़ोसी देशों जैसे, नेपाल, मालदीव, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, ब्राजील और यहाँ तक की सेशेल्स को भी मदद पहुँचा रहा है। भारत ने पहले ही अपने पड़ोसियों को 5 मिलियन टीके दिए हैं, जिनमे से, भूटान को 1.5 लाख, बांग्लादेश को 20 लाख, और नेपाल को 10 लाख खुराक देना शामिल है।
इन तथ्यों को जानना है जरुरी
- भारत ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत, लगभग 10 मिलियन टीकों को भेजने वाला है, जिनमें से लगभग 4.9 मिलियन टीके, पड़ोसी देशों को उपहार के रूप में भेजे जा चुके हैं।
- वैश्विक महामारी के इस दौर में, भारत ने तत्काल स्वास्थ्य और चिकित्सा आपूर्ति के साथ 150 से अधिक देशों की सहायता की है। भारत के इस कदम ने, संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख, एन्थोनियो गोतरेस का भी ध्यान आकर्षित किया है, जिन्होंने इसकी प्रशंसा की है।
- नई दिल्ली ने GAVI (जीएवीआई), वैक्सीन गठबंधन के लिए 15 मिलियन डॉलर देने का वादा किया है, और 10 मिलियन डॉलर के शुरुआती योगदान के साथ, अपने पड़ोसियों के लिए COVID-19 इमरजेंसी फण्ड का संचालन किया है।
- भारत ने चरण -1 में, 9 देशों को 6 मिलियन से अधिक COVID-19 वैक्सीन की खुराक पहुँचाई है।
- दक्षिण अफ्रीका, केन्या और नाइजीरिया जैसे विकासशील देशों को भी, इस संकट की घड़ी में, भारत से सहायता की उम्मीद है। टीकों को भेजने के लिए, इन देशों के साथ वाणिज्यिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।
- भारतीय टीकों की मांग बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक, इनकी कीमतों का कम होना है। जहाँ, मॉडेरना वैक्सीन (Moderna Vaccine) की कीमत 30 डॉलर, स्पुतनिक वी (Sputnik V) की कीमत 10 डॉलर है , वहीँ भारत की कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) की कीमत मात्र 6 डॉलर है।
- इस सप्ताह के शुरू में, कोविशिल्ड टीकों की 5 लाख खुराक श्रीलंका को भेजी दी गई थी।
- ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के शुरू होने से पहले ही भारत बड़ी संख्या में, देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine), रेमडैज़विर (Remdesivir), तथा पैरासिटामोल टैबलेट के साथ ही डायग्नोस्टिक किट (diagnostic kits), वेंटिलेटर, मास्क, दस्ताने और अन्य चिकित्सा आपूर्ति कर रहा है। ताकि उन्हें महामारी से निपटने में मदद मिल सके।
- विभिन्न देशों के प्रमुख इस पहल के बारे में ट्वीट कर रहे हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति जाईर एम बोलसोनैरो ने एक ट्वीट में कहा कि, “इस वैश्विक बाधा को दूर करने के प्रयासों में जुड़ने से ब्राजील खुद को सम्मानित महसूस करता है। भारत से ब्राजील में, टीके पहुंचाने में हमारी सहायता करने के लिए धन्यवाद।”
- विभिन्न टीकाकरणों (वैक्सीनेशंस) के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक भारत ने, इस दौरान ‘दुनिया की फार्मेसी’ होने का खिताब हासिल किया है।
संपादन – जी एन झा
मूल लेख – विद्या राजा
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