महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाली अमिता मराठे एक सिंगल माँ हैं। अमिता कभी से भी शादी नहीं करना चाहती थीं, लेकिन हमेशा से उनकी चाहत थी कि उनका कोई बच्चा हो। इसलिए साल 2012 में उन्होंने सोफॉश में चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सीएआरए) के साथ रजिस्ट्रेशन किया।
अमिता जिस तरह की सोसाइटी से आती हैं वहां बिना शादी इस तरह बच्चा गोद लेने की बात को सिरे से नकार दिया जाये। लेकिन उन्हें ख़ुशी के साथ हैरानी भी हुई जब उनके अपने माता-पिता और बहन ने इस फ़ैसले में उनके पूरा साथ दिया।
अपने इस फ़ैसले के बारे में द बेटर इंडिया से बात करते हुए, 42 वर्षीय अमिता ने बताया कि शुरू में उनके घर वाले इस बात को लेकर चिंतित थे कि वे अपना करियर और बच्चे की ज़िम्मेदारी साथ में कैसे संभालेंगी। इस बात की चिंता अमिता को भी थी। वो खुद उस समय अपने करियर में अच्छे मुक़ाम पर थीं, जब साल 2013 में उन्हें पुणे के एक चाइल्ड केयर सेंटर बुलाया गया। अपनी एप्लीकेशन में उन्होंने एक बच्ची को गोद लेने की अपील की थी और उनकी अपील स्वीकार हो गयी।
वैसे तो अमिता साल भर से ज़्यादा की उम्र की कोई बच्ची गोद लेना चाहती थीं, ताकि उन्हें ऑफिस और घर सँभालने में दिक्कत न हो। लेकिन जब वे सेंटर गयीं तो उन्होंने इन-चार्ज ने बताया कि अभी सिर्फ़ एक 5 महीने की बच्ची ही है, जिसे गोद लिया जा सकता है। पहले तो अमिता थोड़े असमंजस में पड़ गयीं, लेकिन जब उन्होंने बच्ची को देखा तो वे खुद को उसे गोद लेने से नहीं रोक पायीं। सभी प्रक्रिया पूरी कर वे अपनी बेटी को घर ले आयीं।
उन्होंने अपनी बेटी का नाम ‘अद्वैता’ रखा। अद्वैता को दिल से संबंधित कोई बीमारी थी, लेकिन अमिता ने फिर भी उसे गोद लिया और पुणे के अच्छे से अच्छे डॉक्टर को उसे दिखाया। उस समय अमिता ने अपनी करियर पर भी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, बल्कि उनकी प्राथमिकता सिर्फ़ उनकी बेटी थी। ट्रीटमेंट के बाद अद्वैता बिल्कुल ठीक हो गयी।
जैसे-जैसे अद्वैता थोड़ी बड़ी हुई और बातें समझने लगी, तो अमिता ने उसे कहानियों के ज़रिए उसे समझाया कि उसे गोद लिया गया है और साथ ही, यह भी कि उसकी माँ एक सिंगल माँ है। लेकिन अमिता ने हर कदम पर यह ध्यान रखा कि इन सब बातों का अद्वैता के मन पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े। और बिल्कुल ऐसा ही हुआ, उस बच्ची ने अमिता की हर बात को समझा और आज उसके दिल में जितना प्यार अमिता के लिए है, उतना ही सम्मान अपनी जन्म देने वाली माँ के लिए भी है।
कुछ समय पहले ही अद्वैता ने अपने छटा जन्मदिन मनाया है। और अब कुछ ही समय में वह अपने छोटे भाई या बहन का स्वागत करेगी। जी हाँ, अमिता अब दूसरा बच्चा भी गोद ले रही हैं, ताकि अद्वैता को अकेला महसूस न हो और वह भी अपने भाई या बहन के साथ खेल सके।
साथ ही, अपनी पहल, ‘पूर्णांक‘ के माध्यम से वे लोगों को बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया के बारे में जागरूक भी कर रही हैं। अब तक उन्होंने लगभग 600 लोगों की एडॉप्शन में मदद की है और या सिलसिला अभी जारी है।