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रांची : इस दंपत्ति ने अपनी शादी की पच्चीसवीं सालगिराह पर कराई 25 ग़रीब आदिवासी जोड़ों की शादी

रांची के अमित जालान और अनीता जालान ने अपनी शादी की पच्चीसवीं सालगिरह को कुछ इस अंदाज में मनाया कि वे करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए।

रांची के मोरहाबादी स्थित वृन्दावन में आयोजित इस भव्य उत्सव की तस्वीरों को देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सालगिरह का उत्सव कितना भव्य रहा होगा, लेकिन चौंकिएगा नहीं, यह भव्य आयोजन जालान दंपत्ति ने अपने लिए नहीं, झारखंड की 25 गरीब बेटियों की शादी के लिए किया था।

इस आयोजन में राज्य के सुदूर गांवों की 25 आदिवासी लड़कियों की शादी कराई गई।

सभी दुल्हनो को लाल जोड़े में सजाया गया

सामूहिक विवाह का आयोजन सृजन संस्था की मदद से किया गया था। गांव की इन गरीब बच्चियों के सामूहिक विवाह का खर्च उठाने वाले मुख्य यजमान के रूप में श्री. अमित जालान उपस्थित थे। अमित ने अपनी शादी की सालगिरह के दिन सामूहिक विवाह का भव्य आयोजन करके अपनी पच्चीसवीं सालगिरह को तो ख़ास बनाया ही, साथ ही गांव के 25 गरीब परिवारों को खुश होने की वजह भी दी।

सामूहिक विवाह कार्यक्रम में हज़ारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया, विवाह करने वाले सभी युवक-युवतियों के माता-पिता सहित अन्य परिवार के सदस्यों ने भी शिरकत की।

सामूहिक विवाह का भव्य समारोह

बैंड बाजा, डांस, खाना,  पुरोहित, शादी का मंडप, दुल्हा-दुल्हन का जोड़ा, हर चीज़ की व्यवस्था इस कार्यक्रम के लिए की गई थी। एक ही तरह के लाल जोड़े में बैठी दुल्हनें और एक रंग के कुर्ता-पैजामा पहने दूल्हों को देखकर, आप इस सामूहिक विवाह उत्सव की भव्यता का अंदाजा लगा सकते है।

पारंपरिक रूप से विवाह कार्यक्रम की शुरूआत हुई , दूल्हे एक साथ पहले बारात लेकर आए, नाच गाना हुआ मानो पूरे चहारदिवारी में हजारों की तादाद में लोग एक साथ थिरक रहे हों, बारात आने के बाद के नाच-गाने में कई दूल्हे और दुल्हन के परिवार के लोगों ने भी समां बांधा, उनके चेहरे के तेज से अंदाजा लगाया जा सकता था कि आज उनकी जिंदगी का एक बहुत बड़ा काम, अमित एवं अनिता जालान के इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम की वजह से हो पाया। हर कोई इस समारोह में अपनी जिंदगी जी लेना चाहता था।

पारंपरिक रिति- रिवाजों को ध्यान में रखकर पुरोहित ने 25 जोड़ों का ब्याह कराया, विवाह के पश्चात हर जोड़े को एक परिवार की ज़रूरत भर का सामान भी भेंट स्वरूप दिया गया, जिसमें बर्तन, बक्सा, पलंग, मिठाई आदी प्रमुख थे।

२५ दूल्हो की बरात एक साथ आई

इस सामूहिक विवाह के असल नायक-नायिकाओं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका विवाह इतने भव्य तरीके से होगा।

टीबीआई की टीम स्वयं भी इस विवाह समारोह की साक्षी रही, गांव की गरीब लड़कियों ने सपने में भी ऐसे विवाह की कल्पना नहीं की थी। होठों पर मुस्कान, आंखों में हमसफ़र के मिलने की खुशी और चेहरे पर अपने गरीब मां-बाप के दुख-दर्द के दूर होने का संतोष, विवाह के लिए सजधज कर बैठी सभी दुल्हनों के चेहरे पर साफ़ झलक रहा था।

टीबीआई की टीम ने रांची के नामकुम प्रखण्ड के राजाउलातु गांव की रहने वाली अमीता से बात की।

अमिता अपने दुल्हे के साथ

अपनी शादी के बाद दूल्हे के साथ बैठी अमीता ने बताया –

“ऐसी शादी की कल्पना करना तो दूर, मैंने तो कभी अपनी जिंदगी में देखा तक नहीं है, मैं बहुत खुश हूँ कि मेरी शादी वैसे ही हुई जैसे सिनेमा में होता है।

अमीता आगे बताती हैं कि-

“मेरे पापा सिक्युरिटी गार्ड है, घर की कमाई उतनी ही है जितने में दो जून की रोटी नसीब हो सके, मैं तो यह मान चुकी थी कि मेरी शादी कभी नहीं होगी क्योंकि मेरा परिवार बहुत गरीब है।”

चेहरे पर मुस्कान लिए एक दूसरी दुल्हन शीतल कुमारी ने बताया कि-

“आज का दिन हमारे लिए एक सपने के सच होने जैसा है। मेरे पापा नहीं है, मैं बहुत गरीब घर से हूँ। आज मेरी ज़िंदगी में जो खुशियां फैली है, वह सृजन संस्था और जालान परिवार की देन है।”

शीतल अपने दुल्हे के साथ

ज्यादातर नवविवाहित जोड़ों के घर के हालात बद से बदतर है, घर का गुज़ारा जैसे-तैसे चल रहा था, शादी करने की हालत किसी के परिवार की नहीं थी, ना ही किसी ने यह भी उम्मीद की थी कि उनकी शादी इतनी साज-सज्जा से भरपूर उत्सव के माहौल में नागपुरी गाने (झारखंड का क्षेत्रीय संगीत) के धुन पर होगी।

इस उत्सव को सोचने, शुरू करने और 25 परिवारों की ज़िंदगी को खुशियों से भरने का श्रेय जाता है, श्री अमित जालान और उनकी धर्मपत्नी अनिता जालान को, जिन्होंने अपनी सालगिरह के दिन ऐसा नेक काम करके कई गरीब परिवारों की झोली में कुछ खुशियों के पल डाल दिए।

जालान दंपत्ति अपने परिवार के साथ

इस पूरे सामूहिक विवाह कार्यक्रम को अपने सिल्वर जुबली सालगिरह के अवसर पर आयोजित करने वाले श्री. अमित जालान एवं उनकी पत्नी अनिता जालान ने अपनी इस पहल पर खुशी जताते हुए कहा  –

“सालों से तो हम लोग शादी की सालगिरह परिवार के साथ, बाहर घूमने जाकर, पिकनिक मनाकर मनाते थे, इस बार शादी की पच्चीसवीं सालगीरह हमारे लिए ख़ास है।”

श्री अमित जालान ने टीबीआई को बताया –

“इस साल भी हम लोग बच्चों के साथ बाहर जाने का मन बना चुके थे, लेकिन मेरी धर्मपत्नि अनिता ने मुझे इस साल कुछ ख़ास करने की बात कही, फिर यह सामूहिक विवाह का आइडिया दिया। आज के सामूहिक विवाह कार्यक्रम के सफ़ल आयोजन का पहला श्रेय मेरी पत्नी को जाता है, जिसने मुझे बाहर जाने से रोककर इस पहल की नसीहत दी। इससे अच्छा और क्या हो सकता है कि हम अपने जन्मदिन और सालगिरह जैसे मौके पर गरीब –निसहाय लोगों की मदद करें।”

जालान दंपत्ति के सहयोग से इस कार्यक्रम को आयोजित करने वाली संस्था सृजन के सदस्य श्री राजेश कौशिक ने बताया  –

“ऐसे गरीब परिवारों की मदद करना हम जैसे सक्षम लोगों की जिम्मेदारी है और श्री .जालान एवं सृजन संस्था ने मिलकर इस काम को कर दिखाया है।”

यह उत्सव है अरमानों को पंख मिलने का, यह उत्सव है हौसले को पंख देने का, यह उत्सव है जज्बों को ताकत देने का, यह उत्सव है उन बेटियों के सपनो को अमली जामा पहनाने का, जो शादी की आस छोड़ चुकी थी।

जालान दंपत्ति के इस अनूठे अंदाज ने समाज को एक नया रास्ता दिखाया है, जिसमें लाखों गरीब परिवार हम सब से प्रकाश की उम्मीद में बांहे पसारे खड़े है। तो आईए हम भी एक सुनहरी सुबह के लिए अपनी खुशियों के पलों को ऐसे जरुरतमंदों के साथ बांट कर मनाएं, क्योंकि खुशियां बांटने से बढ़ती है।

संपादन – मानबी कटोच 


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