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सरकारी स्कूल, अस्पतालों, व अनाथ आश्रम को 1 रुपये प्रति यूनिट की दर से मिल रही है बिजली!

Low cost electricity

भारत का एक बड़ा हिस्सा अभी भी बिना बिजली के जीवन निर्वाह कर रहा है। साथ ही, कुछ ऐसे हिस्से हैं, जहां बिजली की तारें तो पहुंची हैं लेकिन यहाँ पर बिजली हफ्ते में चंद घंटे ही पहुँच पाती है। बहुत से भारतीय, देश के कोने-कोने तक बिजली पहुंचाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

सबसे अच्छी बात यह है कि बिजली के लिए अब नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों पर ध्यान दिया जा रहा है। सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा से बिजली बनाने के प्रोजेक्ट्स पर जगह-जगह काम चल रहा है। एक ओर, कोई नयी-नयी तकनीक इजाद कर रहा है जिससे कि लागत कम लगे और लोगों पर प्रभाव ज्यादा हो। वहीं दूसरी ओर, कुछ लोगों ने अपने बिज़नेस मॉडल में इस तरह के प्रोजेक्ट्स को जोड़ा है कि सुविधाएं ज़रूरतमंदों तक पहुँच पाएं।

हैदराबाद में स्थित, फोर्थ पार्टनर एनर्जी भी ऐसे ही एक कंपनी है। पिछले 10 सालों से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर रही इस कंपनी ने 3 साल पहले एक बहुत ही अलग प्रोजेक्ट शुरू किया- पावर@1!

अपने इस प्रोजेक्ट के ज़रिए यह कंपनी सरकारी स्कूलों, अस्पतालों, अनाथालयों और अन्य संगठनों को सिर्फ 1 रुपये प्रति यूनिट की दर से सोलर बिजली उपलब्ध करवा रही है। वे सोलर प्लांट लगाते हैं, जिसमें सिर्फ एक बार की लागत लगती है। इस लागत के लिए कंपनी कॉर्पोरेट डोनर्स से मदद लेती है।

इस प्रोजेक्ट के बारे में द बेटर इंडिया ने, प्रोजेक्ट लीड, स्मित मलकान से बात की।

उन्होंने बताया कि इस पहल के पीछे कंपनी का उद्देश्य उन लोगों तक इको-फ्रेंडली और सस्टेनेबल सौर ऊर्जा पहुँचाना हैं, जहां इसकी सबसे ज्यादा ज़रूरत है। वह कहते हैं कि आज भी न जाने कितने ही सरकारी स्कूलों में सही से बिजली नहीं आती है। पूरा-पूरा दिन बच्चों को बिना लाइट या पंखे के पढ़ना पड़ता है। बिजली न होने के कारण अन्य कोई टेक्नोलॉजी भी स्कूल इस्तेमाल नहीं कर सकते।

अब से एक साल पहले तक हैदराबाद के ही शैकपेट मंडल स्थित राजकीय प्राथमिक स्कूल की दशा कुछ ऐसी थी। स्कूल में बिजली का कनेक्शन काट दिया गया था क्योंकि बिजली बिल नहीं भरा गया था। स्मित बताते हैं कि स्कूल, हेल्थ सेंटर या फिर कोई अन्य संगठन, इन सभी जगहों का बिजली बिल काफी आता है। स्कूलों को जो ग्रांट मिलती है, उसमें स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर को ही संभालना बहुत मुश्किल है। ऐसे में, हज़ारों रुपये का बिजली बिल भरना सिर का दर्द बन जाता है।

Their first project was in the Govt. School of Shaikpet, Hyderabad

“हमने सबसे पहले स्कूल का दौरा किया। उनकी ज़रूरत को समझा और फिर हमने वहां पर 5 किलोवाट की क्षमता वाला सोलर पैनल लगाया। इस सोलर पैनल के लगने से स्कूल की 80% तक बिजली की ज़रूरत पूरी हो जा रही है। पहले स्कूल को प्रति यूनिट के 8-9 रुपये देने पड़ते थे, लेकिन हम उनसे सिर्फ 1 रुपया प्रति यूनिट ही लेते हैं। इससे उनका बिजली पर खर्च बहुत कम हो गया है,” उन्होंने बताया।

1 रुपया प्रति यूनिट लेने के पीछे की वजह है सोलर पैनल का रख-रखाव। जहां भी कंपनी इस प्रोजेक्ट के ज़रिए सोलर पैनल लगा रही है, वहां इसके रख-रखाव की ज़िम्मेदारी भी कंपनी की है। उनका उद्देश्य है कि एक बार सोलर पैनल लग जाने के बाद अगले 25 साल तक उनके ग्राहक इसका फायदा ले सकें।

इस स्कूल में उनका सोलर पैनल लगने के बाद स्कूल के हालात बिल्कुल ही बदल गए हैं। पहले उनके यहाँ के स्मार्ट क्लासरूम बंद पड़े रहते थे, लेकिन अब इनका अच्छा इस्तेमाल हो रहा है। बच्चों को प्रोजेक्टर की मदद से पढ़ाया जा रहा है। कक्षाओं के लाइट-पंखे बिना रुके चल रहें हैं।

Happy School Kids

इसके साथ ही, हर साल यह स्कूल बिजली बिल के लगभग 35 हज़ार रुपये बचा रहा है। फोर्थ पार्टनर एनर्जी कंपनी के एक प्रोजेक्ट ने स्कूल में पढ़ने वाले 570 बच्चों की ज़िंदगी को प्रभावित किया है।

इस स्कूल के अलावा, हैदराबाद के और 3 सरकारी स्कूलों और महाराष्ट्र के 2 स्कूलों में यह प्रोजेक्ट किया गया है। कोलकाता में एक अनाथालय,  आंध्र-प्रदेश में अक्षयपात्र संगठन की किचन और पटना के अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल में उन्होंने सोलर पैनल लगाएं हैं।

अखंड ज्योति आई हॉस्पिटल, पूर्वी भारत का सबसे बड़ा आँखों का अस्पताल है। हर साल यहाँ पर लगभग 50 हज़ार आई सर्जरी की जाती हैं। कंपनी ने यहाँ पर 50 किलोवाट की क्षमता का सोलर प्लांट लगाया है और इसकी मदद से अस्पताल की 50% तक बिजली खपत पूरी की जा रही है। स्मित के मुताबिक, यह अस्पताल अब अपने बिजली खर्च में लाखों रुपये की बचत कर पा रहा है और वो भी इको-फ्रेंडली तरीके अपनाकर।

They installed solar plants on the roof of Akhand Jyoti Eye Hospital in Patna

फोर्थ पार्टनर एनर्जी का उद्देश्य पूरे देश में इस प्रोजेक्ट को फैलाना है। उनके इन सफल प्रोजेक्ट्स के बाद, बहुत से सरकारी स्कूलों और संगठनों द्वारा उन्हें संपर्क किया जा रहा है। स्मित कहते हैं कि उनकी टीम इन सभी जगहों के लिए कुछ डोनर्स से बात कर रही है। फंडिंग मिलने के बाद, उनकी टीम देश के और भी ज़रूरतमंद जगहों तक पहुंचेगी।

फोर्थ पार्टनर एनर्जी कंपनी की इस पहल के बारे में अधिक जानने के लिए आप उन्हें smit@fourthpartner.co पर ईमेल कर सकते हैं!

संपादन – अर्चना गुप्ता


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