Site icon The Better India – Hindi

एक मसीहा जिसने केरल के मछुआरों को शराब से मुक्ति दिलाकर नया जीवनदान दिया !

एफ. एम्. लेजर ने देखा कि केरल के मछुआरों में गरीबी का मुख्य कारण शराब है। फिर क्या था, उन्होंने इसको बदलने की ठान ली। इसके साथ-साथ उन्होंने महिलाओं और वृद्धों को साक्षर बनने में भी मदद की। इतना ही नही उन्होंने विकलांगो के लिए एक तिपहिया भी बनाया है। दृढ निश्चय वाले इस इंसान की मेहनत अब रंग ला रही है और इसका असर पूरे राज्य में दिख रहा है।

एफ एम् लेजर कर्म पर विश्वास रखते हैं। २४ अगस्त २०१४ को जब आखिरकार शराब की बिक्री पर रोक लगी तब तक एफएम मछुआरों के साथ मिल कर काफी कुछ कर चुके थे और राज्य के कई हिस्सों को शराब मुक्त भी बना चुके थे। वो बच्चों और बूढों को पढ़ाने के साथ साथ विकलांगो की मदद भी करते हैं। २० साल तक इसी तरह काम करने के बाद भी जरुरतमंदों की मदद करने का उनका ज़ज्बा कम नही हुआ है।

“उन में से ज्यादातर लोग गरीब हैं, उनकी मदद कैसे की जाये? वो हमेशा से इसी तरह रहे हैं और वो नही जानते कि इसे बदला जा सकता है। मैं इसे बदलना चाहता हूँ।”

– लेज़र कहते हैं

लेजर ने जब पता लगाया तो पाया कि सारी समस्याओं की जड़ शराब है और शराबी लोग न सिर्फ परिवार के बाकि सद्स्यों के जीवन को प्रभावित करते हैं बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी प्रभावित करते हैं। जो लोग शराबी थे उनके बच्चों के शराबी होने की काफी सम्भावना थी।

इस तरह उन्होंने शराब के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू की और केरल को शराब मुक्त बनाने का प्रण लिया।

एफ एम् लेजर केरल के मछुआरों को शराब से मुक्ति दिलाना चाहते हैं।

उन्होंने वर्कशॉप का आयोजन किया, जागरूकता अभियान चलाये, लोगों को समझाया और हज़ारों लोगों को नशे से मुक्त किया। शराब के व्यापारियों की नज़र उन पर पड़ी तो उन लोगों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी, हमले किये और यहाँ तक की उन्हें जेल में डालने की कोशिश भी की। वो कुछ दिनों के लिए जेल भी गये लेकिन आखिर उनके अच्छे कर्मों का फल उन्हें मिला और मछुआरों का एक बड़ा समूह उस मसीहा बचाने के लिए आगे आया जो उनकी मदद कर रहा था।

बाद में लेजर ने मछुआरों के बच्चों के लिए एक अनौपचारिक स्कूल की भी शुरुआत की जहाँ वो १५ शिक्षकों की मदद से ५०० से भी ज्यादा छात्रों को पढ़ाते हैं। उन्होंने बड़ों के लिए भी एक स्कूल शुरू किया जहाँ हर दिन ४० महिलाएं और वृद्ध आते हैं।

लेज़र, मछुआरा सम्प्रदाय की महिलाओं को भी सुशिक्षित कर रहे है

“मेरा मानना है कि अगर बदलाव लाना है तो सबसे जरुरी शिक्षा है।”

– लेज़र

फिलहाल उनका ज्यादातर वक्त विकलांगो की मदद करने में बीतता है जो सिर्फ मछुआरे ही नही होते बल्कि राज्य के किसी भी हिस्से के होते हैं। वो विकलांगो को चलने में सहायता करना चाहते हैं। उन्होंने एक मोटर चलित तिपहिया भी बनाया है जो इतना प्रचलित हुआ की केरल में हर जगह उपलब्ध है।

“हमलोग आसानी से चल फिर सकते हैं पर विकलांगों को हमेशा मदद की जरूरत होती है। ऐसा नही होना चाहिए। उन्हें भी अपनी मर्ज़ी से कहीं भी आने-जाने का हक है और मैं इसे मुमकिन करना चाहता हूँ।”

-लेजर कहते हैं।

लेजर की कोशिशों से केरल के सैकड़ों परिवार अब एक बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। पुरुषों ने शराब छोड़ दी है, बच्चे अब स्कूल जा रहे हैं और महिलाएं भी अब मजबूत हो गयी हैं। परिवारों की आमदनी बढ़ गयी है  और जीने का स्तर ऊँचा हो गया  है।

इतना असर दिखने के बाद लेजर को यकीन है की केरल में शराब पर रोक ही सही तरीका है।

“मैंने खुद फर्क देखा है। परिवारों में अब शांति है, लड़ाई झगडे कम हो रहे हैं। कई बच्चे पढने के लिए शहर जा रहे हैं। कई लोग पंचायत के चुनाव में भी हिस्सा ले रहे हैं।

– लेज़र बताते है

एफ एम् लेजर लोगों को नेतृत्व के गुण भी सिखा रहे हैं जिस से लोग आगे चल कर स्थानीय नेता बन सके।

लेजर इस बात का साक्षात् उदाहरण हैं कि किस तरह एक अकेला इंसान बिना किसी मदद के हजारों  लोगों की जिन्दगी बदल सकता है। हम उनके साहस और समर्पण को सलाम करते हैं और उम्मीद करते हैं कि लेज़र से प्रेरणा लेकर देश में और भी ऐसे लोग आगे आयेंगे।

मूल लेख श्रेया पारीक द्वारा लिखित।

Exit mobile version