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जॉब के साथ- साथ शुरू किया साबुन का व्यवसाय, अब हर माह मिलते हैं 500 ऑर्डर

“महिलाओं को कभी भी खुद को कमतर नहीं समझना चाहिए। हम जब अपनी काबिलियत पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं, वहीं हम हार जाते हैं। इसलिए खुद को कभी कम न आंके। क्योंकि महिलाओं से अच्छी ‘मल्टी-टास्किंग’ कोई नहीं कर सकता है।” यह कहना है मुंबई की महिला उद्यमी, मनीषा दत्ता चौहान का। मनीषा मुंबई में, प्राकृतिक और हाथ से बने साबुन का व्यवसाय (Handmade Soap Business) चलाती हैं, जिसका नाम ‘केप ऑफ़ गुड सोप’ है। साल 2016 में उनके अपने घर से शुरू हुआ यह बिजनेस, धीरे-धीरे ही सही लेकिन काफी सफलता से आगे बढ़ रहा है। 

लगभग 20 साल तक मीडिया सेक्टर में बतौर ‘क्रिएटिव प्रोफेशनल’ काम कर चुकी, मनीषा एक आर्मी अफसर की पत्नी, दो बच्चों की माँ और एक सफल उद्यमी हैं। काबिले-ए-गौर है कि, निजी जीवन में अपनी सभी ज़िम्मेदारियाँ निभाते हुए भी, उन्होंने कभी अपनी पहचान को खोने नहीं दिया। उन्होंने कहा, “अक्सर बढ़ती ज़िम्मेदारियों में हम औरतें खुद को भूल जाती हैं, जो बिल्कुल गलत है। मैंने हमेशा अपने काम को भी उतनी ही प्राथमिकता दी है, जितनी अपने परिवार को।” 

एक मीडिया प्रोफेशनल से उद्यमी बनने के अपने सफर के बारे में, मनीषा ने बताया कि, लंबे अरसे तक उन्होंने इस सेक्टर में काम किया। साथ ही, वह नई स्किल्स सीखने की भी कोशिश करती रहती थीं। उन्हें ‘माँ’ बनने के बाद, कुछ अलग और नया करने की ‘वजह’ मिली। वह कहतीं हैं कि जब उनका पहला बच्चा हुआ तब, दुनिया की अन्य माँओं की तरह, वह भी उसे सब बेहतरीन देना चाहतीं थीं। इसलिए, उसकी ज़्यादातर चीज़े जैसे- खाना-पीना और कपड़े आदि, वह अपने हाथों से बनाना पसंद करतीं थीं। 

Manisha Dutta Chauhan

उन्होंने आगे कहा, “एक दिन लगा कि, बच्चे के साबुन, शैम्पू और दूसरे बॉडी केयर प्रोडक्ट्स तो बाहर से ही आ रहे हैं। इस बारे में मैंने पहले सोचा ही नहीं था, और बस ‘सुपरमार्केट’ से इन सामानों को ले आती थी। उस एक ख्याल से, मैंने साबुन बनाने की शुरुआत करी। मैंने क्लासेस का पता किया, और ‘साबुन बनाना’ सीखने लगी। लगभग 4-5 साल मैंने, मेरी बेटी और अपने घर के लिए अलग-अलग साबुन और कुछ ‘बॉडी केयर प्रोडक्ट्स’ बनाए।” 

दोस्तों से मिला अच्छा फीडबैक:

मनीषा जब अपने घर के लिए साबुन बनातीं थीं तब, उनके कई दोस्त भी उनसे, अक्सर साबुन ले जाया करते थे। जो भी उनसे साबुन लेकर जाते, वह दोबारा साबुन की मांग जरुर करते थे। उनके दोस्तों ने अपने कुछ अन्य दोस्तों को, उनके बारे में बताया। इसी तरह ‘वर्ड ऑफ़ माउथ’ द्वारा उनकी मार्केटिंग होने लगी। वह कहतीं हैं कि, 5-6 साल पहले तक ‘आर्गेनिक’, ‘इको-फ्रेंडली’ और ‘नैचुरल उत्पादों’ को लेकर बहुत बड़े स्तर पर बात नहीं हो रही थी। लेकिन, चंद सालों में ही सोशल मीडिया के बढ़ते चलन से, जैविक और प्राकृतिक उत्पादों की बातें, देश के हर कोने तक पहुँचनी शुरू हुईं। 

दोस्तों के काफी कहने और लगातर ऑर्डर मिलने से, मनीषा ने आखिरकार अपना एक फेसबुक पेज शुरू किया। वह एक छोटे ‘कमर्शियल लेवल’ पर साबुन बनाने लगी। मनीषा ने बताया, “मैंने बहुत छोटे लेवल पर, अपनी जॉब के साथ-साथ यह काम भी शुरू किया। मैंने सोच लिया कि, जब मेरे बिजनेस का मुनाफ़ा मेरी जॉब से ज़्यादा होगा, तब ही मैं अपनी जॉब छोडूंगी। हालांकि, घर, जॉब और बिजनेस, सब साथ में मैनेज करना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन, मैंने इसे आगे बढ़ाने का मन बना लिया था। मेरे पति भी आर्मी में हैं तो, मुझे अकेले ही सब देखना था।” 

शुरुआत में, मनीषा खुद ही सामान लाती, ऑर्डर लेती, और साबुन बनाती थीं। शेड्यूल व्यस्त होने के बावजूद, उन्होंने कभी साबुन की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया। उनकी मेहनत रंग लाई, और वर्ष 2018 में, उन्होंने ‘केप ऑफ़ गुड सोप’ को एक प्रोफेशनल उद्यम की तरह लॉन्च किया। उन्होंने अपनी जॉब छोड़ दी और पूरा ध्यान अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने पर लगाया। पिछले 2 सालों में ऑर्डरों की संख्या काफी ज़्यादा बढ़ी हैं। वह रिटेल ग्राहकों के साथ-साथ, कुछ गेस्टहाउस और वेडिंग प्लानिंग कंपनियों को भी अपने उत्पाद पहुंचा रही हैं। 

कुछ अलग हैं उनके प्रॉडक्ट:

Handmade Soap

मनीषा बतातीं हैं कि, आजकल बहुत-से स्टार्टअप हैं, जो ‘नैचुरल’ और ‘हैंडमेड’ साबुन लोगों के लिए उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन उनका काम थोड़ा-सा अलग है। वह ग्राहकों की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर ‘कस्टमाइज साबुन’ बनाते हैं। आर्डर करते दौरान ही, ग्राहक अपनी पसंद के रंग, आकार, अपनी ‘स्किन टाइप’ या फिर किसी अन्य खास ज़रूरत के बारे में बता सकते हैं। उसी हिसाब से वह साबुन तैयार कर, अपने ग्राहकों को प्रदान करते हैं। 

उन्होंने बताया, “हमारी कोशिश रहती है कि, ग्राहकों को कुछ स्पेशल दें, जो सिर्फ उनके लिए हो। इसके अलावा, हमारी साबुन बनाने की प्रक्रिया बहुत स्पष्ट है तथा हम, साबुन की ‘शेल्फ लाइफ’ बढ़ाने के लिए कोई केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सभी सामग्रीयां प्राकृतिक और ‘त्वचा के लिए उपयुक्त’ होती है। हम साबुनों में, कभी आर्टिफीशियल रंग या खुशबू नहीं डालते हैं । साथ ही, हर एक बैच का अच्छे से क्वालिटी चेक होता है।” 

साबुन के अलावा, अब वह ‘शॉवर जैल’, ‘बाथ सॉल्ट’, ‘बॉडी स्क्रब’, ‘बॉडी केयर’ जैसे प्रोडक्ट्स भी बना रहे हैं। हर महीने मनीषा और उनकी टीम, लगभग 500 ऑर्डर पूरा करते हैं। इनमें आधे रिटेल ऑर्डर होते हैं, और बाकी बल्क ऑर्डर होते हैं। वह होटल और गेस्ट हाउस आदि को, खास कम्फर्ट किट्स भी उपलब्ध कराते हैं। वह कहतीं हैं कि, उनके साबुन आज भारत के साथ-साथ दूसरे देशों में भी पहुँच रहे हैं। 

Some Other products

गृहणियों को दिया घर बैठे रोज़गार:

‘सोशल मीडिया’ एक तरफ जहाँ मार्केटिंग में तथा अपने ग्राहकों से जुड़ने में मदद करता हैं। तो वहीं दूसरी तरफ, इसके ज़रिए मनीषा, साबुन निर्माताओं से संपर्क में भी रहती हैं। जब उन्होंने कमर्शियल लेवेल पर अपने व्यवसाय को बढ़ाया तब, उनकी टीम भी बढ़ी। देखते ही देखते इस टीम में, 10 लोग शामिल हो गए। 

उन्होंने बताया, “यह 10 लोग वह हैं जो, हमारे स्टूडियो में आकर काम करते हैं। लेकिन इसके साथ ही, पिछले एक साल में मैंने 7 अन्य महिलाओं को अपने साथ जोड़ा है। यह महिलाएं मुंबई, नागपुर और पुणे से हैं। फेसबुक पर, साबुन बनाने वाले लोगों के जो भी ग्रुप हैं, उनसे भी मैं जुडी हुई हूँ। जिससे मैं, इन 7 महिलाओं के सम्पर्क में आई, जो अपने घर ही पर साबुन बनाती हैं।” 

मनीषा ने इन गृहिणियों से बात की, और उन्हें अपने बिजनेस के बारे में समझाया। अब ये सभी महिलाएं अपने-अपने घरों से काम करतीं हैं। मनीषा बतातीं हैं कि, उन्हें जो भी बल्क आर्डर मिलते हैं, वह उस हिसाब से, इन गृहिणियों में ऑर्डर बांटती हैं। ये महिलाएं, दिए गए निर्देशों के अनुसार साबुन बनाकर मनीषा तक पहुंचाती हैं। जहां से ग्राहकों को क्वालिटी चेक और पैकिंग के बाद, ऑर्डर डिलीवर कर दिया जाता है। मनीषा, फिलहाल इसी मॉडल पर काम कर रहीं हैं। उनका उद्देश्य, अधिकाधिक गृहिणियों को काम देना है ताकि वह किसी पर निर्भर न रहें। 

Pooja Tank, Soap Maker

उनके साथ काम कर रहीं मुंबई की 40 वर्षीया पूजा टांक बतातीं हैं कि उनकी शादी काफी जल्दी हो गई थी। अपने घर को संभालते हुए वह अपनी ज़रूरतों के लिए अपने परिवार पर ही निर्भर थीं। बहुत बार जब उन्हें अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए भी पैसे मांगने पड़ते और हिसाब देना पड़ता था तो उन्हें बहुत अजीब लगता था। इसलिए जब उन्हें केप ऑफ़ गुड सोप के साथ काम करने का मौका मिला तो उन्होंने तुरंत हाँ कर दी।

“मुझे खुशी है कि अब मुझे अपने लिए किसी से पैसे मांगने की ज़रूरत नहीं होती है। मैं अपने हिसाब से अपने कमाए हुए पैसे खर्च करती हूँ और साथ ही, बहुत कुछ सीख भी रही हूँ,” उन्होंने कहा।

ऑनलाइन से ऑफलाइन जाने की है सोच:

अक्सर लोग ऑफलाइन से ऑनलाइन जाते हैं लेकिन, मनीषा चाहतीं हैं कि उनका काम ऑफलाइन हो। वह भारत के 2-टियर शहरों में अपने स्टूडियो खोलना चाहतीं हैं। जहां लोग न सिर्फ साबुन खरीद सकें, बल्कि इस प्रक्रिया का भी आनंद ले सकें। इस तरह, वह ज़्यादा लोगों को इस बिजनेस के बारे में जागरूक कर सकेंगी। 

उन्होंने कहा, “वैसे तो आजकल लोग काफी जागरूक हैं लेकिन, मेरी एक छोटी सी कोशिश है कि, मैं महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने के लिए कुछ कर पाऊं। ‘कोरोना’ और ‘लॉकडाउन’ जैसे मुश्किल वक़्त का भी हमने डट करना सामना किया है। इन हालातों की वजह से, अब लोगों को हाइजीन, स्वास्थ्य व पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद इस्तेमाल करने का महत्व पता चल रहा है। हमारे ऑर्डर भी लॉकडाउन के बाद काफी बढ़ गए हैं।” 

अंत में मनीषा कहतीं हैं कि, अगर किसी भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ना है तथा उन्हें लगता है कि, मनीषा उनकी मदद कर सकतीं हैं, तो वह बेझिझक उनसे सम्पर्क कर सकते हैं। उनसे सम्पर्क करने के लिए आप उनका फेसबुक पेज या फिर वेबसाइट पर लॉग-इन कर सकते हैं।

संपादन – प्रीति महावर

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