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हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (Andaman and Nicobar Island) के लिए समुद्र तल से बिछी ऑप्टिकल फाइबर केबल का उद्घाटन किया है। डिजिटल इंडिया की राह पर यह देश के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि फाइबर केबल होने से अंडमान में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की बेहतर सुविधा होगी।
यह देश में पहली बार है जब इस तरह समुद्र तल से ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाकर कनेक्टिविटी की गई है। इससे पहले यह द्वीप समूह सेटेलाइट के ज़रिए देश के बाकी भाग से जुड़ा हुआ था और तब यहाँ पर लोगों को मात्र 4 Gbps बैंडविड्थ मिल रही थी। लेकिन अब ऑप्टिकल फाइबर की वजह से यह बैंडविड्थ 400 Gbps हो गई है।
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विभाग के यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। USOF के निदेशक विलास बुरडे बताते हैं कि भारत में दो द्वीप हैं- अंडमान और निकोबार व लक्ष्यद्वीप।
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दोनों ही जगह, दूरसंचार और इंटरनेट की समस्या है क्योंकि अब तक यहाँ सिर्फ सैटेलाइट सेवाएं ही थी। साल 2018 में केंद्र सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को ऑप्टिकल फाइबर केबल के माध्यम से देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने का फैसला किया। दो साल पहले शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट अपने नीयत समय पर पूरा हुआ और कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया है।
"अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के विकास के लिए यह प्रोजेक्ट जितना महत्वपूर्ण था, उतनी ही इसमें चुनौतियाँ भी रहीं। लेकिन अच्छी बात यह है कि हमें सभी जगह से इसके लिए सहयोग मिला और सबके साथ काम करने की वजह से यह वक़्त पर पूरा हो गया," बुरडे ने आगे कहा।
8 द्वीपों तक पहुंची बेहतर संचार सुविधा
अंडमान और निकोबार में लगभग 572 द्वीप हैं, जिनमें से लगभग 36 पर लोग बसे हुए हैं। यहाँ के लोगों की आजीविका ज़्यादातर टूरिज्म पर आधारित है। लेकिन अब इस डिजिटल युग में इंटरनेट की अच्छी उपलब्धता के कारण उम्मीद है कि यहाँ के लोगों के लिए आगे बढ़ने के और भी मौके खुलेंगे।
बुरडे बताते हैं कि अंडमान और निकोबार के 8 द्वीपों को सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ा गया है। जिनमें पोर्टब्लेयर, स्वराज द्वीप, लिटिल अंडमान, लॉन्ग आइलैंड, कार निकोबार, कामोरता, ग्रेट निकोबार और रंगत द्वीप शामिल हैं।
चेन्नई से पोर्टब्लेयर तक 2312 किमी लंबी सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल डाली गई और फिर पोर्टब्लेयर से बाकी द्वीपों को जोड़ा गया है। बुरडे कहते हैं कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर 1224 करोड़ रुपये का खर्च आया है। USOF के साथ इस प्रोजेक्ट की ज़िम्मेदारी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और टेलीकम्युनिकेशन्स कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (Tcil-India) कंपनी पर थी।
जापान में स्थित NEC कॉर्पोरेशन की कंपनी NEC Technologies India Pvt. Ltd. (NECTI) को ऑप्टिकल फाइबर केबल बनाने का काम सौंपा गया।
"दूसरे देशों में सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल से कनेक्टिविटी ली जा रही है। लेकिन भारत में यह पहला प्रोजेक्ट था और इसलिए हमने पूरी देख-रेख के साथ काम किया। जैसे ही प्रोजेक्ट फाइनल हुआ, सबसे पहले सभी अनुमतियां ली गईं। क्योंकि हम समुद्र में काम कर रहे थे तो पर्यावरण मंत्रालय और कुछ अन्य विभागों से अनुमति ली गई। उन्हें अपना पूरा प्रोजेक्ट समझाया कि इससे समुद्री जीवन को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा," बुरडे ने कहा।
इसके बाद, चेन्नई और सभी द्वीपों में सेंटर भी बनाए गए। केबल के बनने के बाद, जनवरी 2020 से समुद्र तल पर केबल डालने का काम शुरू हुआ, जो अप्रैल 2020 में पूरा हुआ है। लॉकडाउन के दौरान भी टीम ने सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए यह काम पूरा किया। उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री ने पूरी टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, "समुद्र के तल पर 2300 किमी लंबी केबल डालना आसान काम नहीं है और वह भी समय से पहले, केबल की क्वालिटी बनाए रखते हुए काम करना वाकई सराहनीय है।"
होंगे सकारात्मक बदलाव:
अब इन द्वीपों पर ब्रॉडबैंड इंटरनेट की स्पीड कई गुना बढ़ गई है। यह केबल चेन्नई और पोर्ट ब्लेयर में 400Gbps और पोर्ट ब्लेयर के साथ अन्य द्वीप में 200Gbps बैंडविड्थ इंटरनेट देने में सक्षम है। इस वजह से यहाँ के जनजीवन में भी बहुत से सकारात्मक बदलाव होंगे, जैसे:
* टेलीमेडिसिन और टेली-एजुकेशन जैसी ई-गवर्नेंस सेवाओं के विस्तार में आसानी
* द्वीप में ऑनलाइन पढ़ाई, बैंकिंग और शॉपिंग से लेकर टेलीमेडिसिन तक की सुविधा होगी
* छोटे कारोबारियों को ई-गवर्नेंस का फायदा
* इसकी लॉन्चिंग के साथ ही अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में इंटरनेट की कीमत होगी कम
बुरडे कहते हैं कि जैसे हम गाँव, छोटे शहरों और बड़े शहरों को आपस में नेशनल हाईवे से जोड़ते हैं, वैसे ही यह चेन्नई और पोर्टब्लेयर के बीच 'डिजिटल हाईवे' है, जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को विकास की राह पर आगे बढ़ाएगा। वह अपनी पूरी टीम और सरकार को इस काम का श्रेय देते हैं और आगे उनकी योजना है कि लक्षद्वीप को भी इसी तरह भारत के अन्य शहरों से जोड़ा जाए। इस प्रोजेक्ट पर विभाग काम कर रहा है।
यकीनन, यह देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। आज जब हम कहते हैं कि आने वाला युग डिजिटल युग है तो बहुत ज़रूरी हो जाता है कि देश के हर एक कोने में डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध हों और यह इस तरह की बेहतर कनेक्टिविटी से ही संभव है!
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