बिहार की सिन्नी सोश्या, पटना में एक आर्ट स्टूडियो चलाती हैं। इस स्टूडियो के जरिए वह 15 लोगों को रोजगार देती हैं और कइयों को आर्ट की ट्रेनिंग भी। उन्होंने अपने हुनर को ही अपनी पहचान बना ली है और ‘बिहार की मशहूर’ आर्टिस्ट(Artist) के रूप में देश भर में मशहूर भी हो गई हैं।
मात्र 27 साल की उम्र में सिर्फ अपने जुनून के दम पर उन्होंने जो काम किया है, वह काबिल-ए-तारीफ है। एक समय पर डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली सिन्नी ने आर्थिक तंगी के कारण डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ दी थी।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहती हैं, “जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है। जब मैंने बाहरवीं के बाद साइंस छोड़कर आर्ट्स की पढ़ाई चुनी, तो घरवालों ने कहा कि बैंकिंग की तैयारी करो। लेकिन मैंने तभी फैसला किया था कि वही करूंगी, जिसे मैं बेहतर कर सकती हूँ।’
उनके पिता एक कोचिंग चलाते हैं और माँ नर्स का काम करती हैं। हालांकि, वे चाहते थे कि उनकी बेटी कोई अच्छी नौकरी करे, ताकि उसका भविष्य सुरक्षित रहे। लेकिन उन्हें अपनी बेटी की कला पर भी पूरा भरोसा था। इसलिए उन्होंने सिन्नी का हर कदम पर साथ भी दिया।
उन्हें बचपन से मेहंदी के कोन से डिज़ाइन बनाना अच्छा लगता था। इसलिए वह कोन से अलग-अलग आकृतियां बनाती रहती थीं। बाद में उन्होंने इसमें ही एक्रेलिक कलर डालकर पेंटिंग बनाना शुरू किया। पटना से फाइन आर्ट्स की पढ़ाई के साथ सिन्नी पेंटिंग बनाने का काम भी करती रहती थीं।
एक प्रदर्शनी ने बदला जीवन
सिन्नी की कोन से बनी पेंटिंग लोगों को भी खूब पसंद आती है। उन्होंने अपने हुनर को दुनिया के सामने रखने के लिए साल 2017 में एक प्रदर्शनी में अपनी बनाई पेंटिंग्स को सबके सामने रखा। सिन्नी की सभी पेंटिंग्स किसी न किसी थीम से जुड़ी होती हैं। प्रदर्शनी में कई सरकारी दफ्तरों से आए लोगों ने भी उनकी पेंटिंग की तारीफ की, जिससे सिन्नी का हौसला और बढ़ गया। लेकिन तब तक सिन्नी इस बात से अनजान थीं कि उन्हें जीवन में कितना बड़ा अवसर आने वाला है। पटना से ग्रेजुएशन करके वह मास्टर्स के लिए दिल्ली आना चाहती थीं।
उन्होंने बताया, “मैं जामिया मिल्लिया इस्लामिया में इंटरव्यू के लिए आई थी, तभी मुझे राजधानी ट्रेन पर पेंटिंग बनाने का ऑफर मिला। इसके लिए मुझे एक थीम पेश करनी थी। मेरे जैसे कई और कलाकार भी अपनी थीम के साथ आने वाले थे। मैंने इस मौके का फायदा उठाने के लिए दिल्ली का वह इंटरव्यू दिया ही नहीं। मैंने ‘बिहार की बेटी’ थीम के साथ अपने आर्ट वर्क को जज के सामने रखा, जो सबको इतना पसंद आया कि मुझे राजधानी ट्रेन पर पेंटिग करने का काम मिला।”
यह सिन्नी के जीवन का टर्निंग पॉइन्ट साबित हुआ। सिन्नी को यकीन हो गया कि कला के क्षेत्र में भी असीम संभावनाएं हैं।
मेहंदी के कोन से लिखी सफलता की कहानी
इसके बाद, उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग के जरिए मास्टर्स करने का सोचा और पेंटिंग बनाने का काम जारी रखा। वह देश की अलग-अलग प्रदर्शनियों में भी भाग लेती रहती थीं। इसके साथ शादियों में मेहंदी के ऑर्डर्स भी उन्हें खूब मिलते। उन्होंने पटना में designpoint नाम से एक स्टूडियो भी खोला, जिसके जरिए वह कई तरह के ऑर्डर्स लेती हैं। किसी के घर, ऑफिस, कैफ़े या होटल आदि की दीवारों पर बेहतरीन पेंटिंग बनाना हो या शादियों में मेहंदी का काम करना हो, वह सारे ही काम बड़ी कुशलता से करती हैं।
सिन्नी कहती हैं, “हम थीम मेहंदी लगाते हैं, जिसकी भी शादी होती है, उससे उसकी कहानी पूछते हैं और उस कहानी को मेहंदी के जरिए हाथों पर बनाते। इसलिए हमारा काम दूसरों से अलग भी है।”
इसके साथ ही वह अब तक तीन बार अलग-अलग ट्रेनों में भी पेंटिंग बना चुकी हैं।
अंत में सिन्नी कहती हैं, “सामान्य रूप से पहले मेहंदी लगाने का काम करने वाले को ज्यादा सम्मान नहीं मिलता था। सब इसे टाइम पास काम समझते थे। लेकिन आज हमें लोग आर्टिस्ट कहकर बुलाते हैं। मेरे पास कई लड़कियां काम सीखने आती हैं और इससे अपना करियर बनाना चाहती हैं। यह देखकर मुझे बेहद ख़ुशी मिलती है। मुझे भी मेहंदी लगाना पसंद था और उसी शौक़ ने मुझे आज इस काबिल बनाया कि मैं दूसरों को भी काम दे सकूं।”सिन्नी की कहानी यह साबित करती है कि किसी भी काम को पूरी शिद्द्त से किया जाए, तो सफलता जरूर मिलती है।
संपादनः अर्चना दुबे
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