यह सच है कि किसान अगर चाहे तो गोबर से भी अच्छी कमाई कर सकता है। लेकिन समस्या यह है कि गोबर को उठाने और इससे कोई काम करने में लोगों को बहुत हिचक महसूस होती है। वैसे यह भी सच है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। लेकिन बात जब गोबर को उठाने और इसके प्रबंधन की आती है तो साफ-सफाई का मुद्दा जुड़ जाता है।
इस कारण डेयरी फार्म शुरू करने वाले किसानों को अक्सर मजदूर मिलने में परेशानी होती है और गौशालाओं में भी साफ-सफाई ढंग से नहीं रहती है। इन सभी परेशानियों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के एक किसान ने एक अनोखी मशीन बनाई है। बैटरी से चलने वाली इस मशीन से कोई भी आसानी से बिना अपने हाथ गंदे किए गोबर को इकट्ठा कर सकता है।
इस मशीन को बनाने वाले बीड इलाके के किसान मोहन लांब को नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से पुरस्कार भी मिल चुका है। फिलहाल, मोहन इस मशीन को अपने स्टार्टअप के जरिए ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए 48 वर्षीय मोहन ने बताया, “मैंने मात्र दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। पढ़ाई के बाद खेती में जुट गया। हमारे इलाके में कपास और मूंगफली जैसी फसलें ज्यादा उगाई जाती हैं। गोबर उठाने वाली मशीन को बनाने से पहले मैंने एक स्प्रेयर बनाया था, जिससे किसान आसानी से अपने खेतों में स्प्रे कर सकते थे। हालांकि, अब बाजार में बैटरी से चलने वाले स्प्रेयर मौजूद हैं तो मैंने स्प्रेयर बनाना बंद कर दिया। स्प्रेयर के बाद मैंने गोबर उठाने वाली यह मशीन बनाई, जिसके लिए मुझे लोगों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।”
महिलाओं की परेशानी कम करने के लिए आविष्कार
हमेशा से कुछ न कुछ खोलने-बनाने में रूचि रखने वाले मोहन बताते हैं कि उनके दिमाग में कभी भी गोबर उठाने की मशीन का ख्याल नहीं आया था। “लेकिन साल 2014 में मैंने ऐसी मशीन के बारे में सोचा और काम शुरू किया। इसकी बड़ी वजह मेरे परिवार में घटी एक घटना थी। दरअसल मेरी एक भतीजी को शादी के बाद ससुराल में परेशानी होने लगी। इसका मुख्य कारण था कि ससुराल वाले गाय-भैंस रखते थे और उनके घर की महिलाओं को उनका सभी काम करना पड़ता था। लेकिन हमारी बेटी को गोबर उठाने में बहुत परेशानी होती थी और इसी कारण बात इतनी बढ़ गयी कि कोर्ट-कचहरी का चक्कर पड़ गया। तब मुझे लगा कि गोबर उठाना भी बहुत बड़ी समस्या है और इसके लिए कोई मशीन होनी चाहिए,” उन्होंने बताया।
मशीन पर काम करने से पहले मोहन बहुत से डेयरी किसानों से भी मिले। उनसे बात करके उन्हें पता चला कि सिर्फ गोबर उठवाने के लिए उन्हें अलग से मजदूर लगाने पड़ते हैं और हर कोई आसानी से इस काम के लिए तैयार नहीं होता है।
मोहन ने कहा, “मुझे स्प्रेयर के लिए पहले ही नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से पुरस्कार मिला था। इसलिए इस बार भी अपनी रिसर्च करने के बाद नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन को गोबर उठाने वाली मशीन का आईडिया भेजा। उन्होंने मुझे इस मशीन पर काम करने के लिए ग्रांट दी। इस मशीन को तैयार करने में समय और मेहनत, दोनों ही बहुत ज्यादा लगे। लेकिन आज हम इस मशीन से तीन लाख रुपए तक की कमाई कर चुके हैं।”
अपनी मशीन का प्रोटोटाइप तैयार करने के बाद, उन्होंने कई जगह इसका ट्रायल किया। ट्रायल में जब मशीन सफल रही तो उन्होंने इसे मार्किट करने के लिए अपना खुद का स्टार्टअप, ‘कल्पिक एग्रोटेक‘ शुरू किया है।
बैटरी से चलती है यह मशीन
मोहन ने मशीन के बारे में बताया कि यह एसी और डीसी, दोनों मोटर के साथ काम कर सकती है। बैटरी लगाने के बाद मशीन का वजन 60 किलो हो जाता है और बैटरी के बिना 50 किलो है। उनका दावा है कि यह मशीन एक मिनट में 40 किलो गोबर को इकट्ठा करती है। मशीन में प्लास्टिक क्रैट रखने की जगह है, जिसमें गोबर इकट्ठा होता रहता है।
डेयरी फार्म, ज्यादा पशु रखने वाले घरों में और गौशालाओं में यह मशीन कामयाब है। क्योंकि इसकी मदद से कोई भी गोबर को बिना किसी परेशानी के इकट्ठा कर सकता है। इस मशीन से गोबर को इकट्ठा करने के बाद, क्रैट को उठाने के लिए भी उन्होंने एक ट्रॉली बनाई है। इस तरह से अब लोगों को गोबर को छूने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी और वे इसे इकट्ठा करके एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकते हैं।
मोहन ने बताया कि अब तक वह 25 से ज्यादा मशीन बेच चुके हैं और उन्हें लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं। लगभग 450 गायों की गौशाला का संचालन कर रहे अजय जैन कहते हैं कि उन्होंने आपातकालीन परिस्तिथियों के लिए यह मशीन मोहन से खरीदी है।
“इस बात में कोई संदेह नहीं कि मशीन काफी उपयोगी है। लेकिन इसका रख-रखाव भी आपको अच्छी तरह से करना होगा। इस्तेमाल के बाद इसे धोकर रखना होता है। मुझे लगता है कि छोटे डेयरी किसानों और छोटी गौशालाओं के लिए यह मशीन एक अच्छा विकल्प है,” उन्होंने आगे कहा।
मोहन कहते हैं कि अब वह सिर्फ किसान नहीं हैं बल्कि धीरे-धीरे आविष्कारक और बिजनेसमैन बन रहे हैं। हालांकि, उनकी राह इतनी आसान नहीं थी। उन्होंने कहा, “एक समय था जब लोग मेरा मजाक बनाते थे। घरवालों को भी लगता था कि मैं समय और साधन दोनों बर्बाद कर रहा हूं। लेकिन आज मजाक उड़ाने वाले लोग घर पर चाय के लिए बुलाते हैं। परिवार के सदस्य भी अब मेरी मदद कर रहे हैं।”
मोहन कहते हैं कि ग्रामीण इलाकों के लिए वह और भी कई इनोवेटिव आइडियाज पर काम कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले समय में वह और भी मशीनें लोगों को दे पाएंगे। फिलहाल, उनका फोकस अपनी गोबर उठाने वाली मशीन को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने पर है।
यह वीडियो देखें:
अगर आप इस मशीन की कीमत और अन्य कोई जानकारी चाहते हैं तो मोहन को 8788315880 पर व्हाट्सऐप मैसेज कर सकते हैं।
संपादन- जी एन झा
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