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आज देश के अधिकांश शहरों में रहने वाले लोग प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटाई भी है। हम सब हरियाली से दूर होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम सभी का दायित्व बनता है कि घर में छोटे से छोटे स्तर पर भी बागवानी करें। आज हम आपको गुड़गाँव एक ऐसी ही महिला से मुलाकात करवाने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी छत को गार्डन का रूप दे दिया है।
एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका रहीं अनामिका को बचपन से ही बागवानी का शौक था, लेकिन पहले वह जहाँ रहती थीं, वहाँ बागवानी के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। लेकिन, 3 साल पहले जैसे ही वह गुड़गाँव स्थित अपने नए घर में रहने के लिए गईं, उन्होंने बागवानी शुरू कर दी।
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अनामिका ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैंने शुरूआत में पुराने बर्तनों, बाल्टी, डिब्बे आदि में गुलाब, चंपा, नींबू जैसे 25 पौधे लगाए थे, लेकिन अधिकांश पौधे सूख गए। इससे मुझे काफी निराशा हुई। लेकिन, मैंने बागवानी करनी नहीं छोड़ी और यूट्यूब से जानकारी हासिल कर एक नए आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ी। आज मेरे पास 35x9 के टैरेस गार्डन में 150 से अधिक पौधे हैं।”
वह आगे बताती हैं, “हमारे आस-पास की मिट्टी बागवानी के लिए उपयुक्त नहीं है, इस वजह से शुरूआती दिनों में मेरे पौधे सूख गए। बाद में, मैंने बाजार से वर्मी कम्पोस्ट खरीद कर इसे मिट्टी में मिलाया। इसके साथ ही मैं बागवानी में किचन वेस्ट का भी इस्तेमाल करने लगी। नतीजन, मिट्टी की उर्वरा शक्ति में काफी बढ़ोत्तरी हुई। फिर, धीरे-धीरे मैंने अपने बगीचे में पौधों को बढ़ाना शुरू किया। आज मेरे पास आम, अनार, नींबू, इमली, लेमनग्रास, पीपल जैसे कई पौधे हैं। इसके साथ ही, मैं अपने बगीचे में लौकी, करेला, खरबूजा जैसे कई सब्जियों की भी जैविक खेती करती हूँ। इससे मेरी बाजार पर निर्भरता थोड़ी कम हो गई है।”
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एक और खास बात यह है कि अनामिका शहतूत, नींबू, गुलाब जैसे पौधों की ग्राफ्टिंग कर अपने घर पर ही एक पौधों से कई पौधों को बनाती हैं और आपको उनके घर में पुराने बर्तनों से लेकर पुराने जींस तक में पौधे देखने को मिलेंगे।
अनामिका बताती हैं, “मुझे अपने बगीचे में बैठना अच्छा लगता है। इससे मन को शांति मिलती है। लॉकडाउन के दौरान भी, मैं पूरे वक्त बागवानी में व्यस्त रही। इससे मुझे ऐसे मुश्किल हालातों में तनाव रहित रहने में मदद मिली।”
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बागवानी से संबंधित अनामिका के कुछ सुझाव:
- बागवानी के लिए मिट्टी सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए इसका चुनाव बेहद सावधानी से करें। यदि बगीचे की मिट्टी उपलब्ध हो जाए, तो बेहतर है। गमले में मिट्टी और खाद को 60:40 के अनुपात में मिलाएं।
- पेड़-पौधे के लिए बरसात का मौसम अच्छा है, लेकिन यदि पहली बार बागवानी कर रहे हैं, तो जनवरी से मार्च के बीच में शुरू करें। क्योंकि इस दौरान, यदि आप पौधे की ज्यादा देख-भाल नहीं कर पाते हैं, तो पौधों के गलने या सूखने का खतरा कम रहता है।
- शुरूआत आसानी से लगने वाले पौधे, जैसे गुलाब, चंपा आदि से करें। इससे आपका बागवानी से लगाव बढ़ेगा।
- पौधों को 4-5 घंटे का धूप लगने दें।
- हर हफ्ते नीम ऑयल या मिर्च और लहसन के पेस्ट को पानी में मिलाकर पौधों पर स्प्रे करें। इससे कीट नहीं लगेंगे।
अनामिका बताती हैं, “बागवानी के लिए धैर्य रखना जरूरी है। यदि पौधा सूख जाए, तो निराश नहीं होना चाहिए और सही तरीकों की तलाश करनी चाहिए।”
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अंत में, वह लोगों से अपील करती हैं, “हमें जितना संभव को सके, घर पर बागवानी शुरू करनी चाहिए। इससे खुद को तनावों से दूर रखने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलती है। क्योंकि, आज शहरों में प्रदूषण दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। इसकी रोकथाम के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकते, तो छोटा सा ही प्रयास तो कर ही सकते हैं।”
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अनामिका के इन विचारों से प्रेरित होकर शहरों में रहने वाले उनके 2-3 रिश्तेदारों ने भी लॉकडाउन के दौरान अपने घर में बागवानी शुरू कर दी।
अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी [email protected] पर!
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