देश में एक बड़ी समस्या यह है कि मरीज विभिन्न कारणों से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंच पाते। प्राथमिक केंद्र का घर से दूर होना या मरीज़ों का उम्रदराज़ होने की वजह से केंद्र तक नहीं पहुँच पाना आदि बेहद सामान्य बात है। गरीब मज़दूर या दिहाड़ी में काम करने वाले अनेक बीमारी से पीड़ित है, किन्तु इलाज कराने के लिए न तो पैसे है और न ही रोज़ के काम से समय मिल पाता है I इसी समस्या से निजात पाने के लिए हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले की एक संस्था ‘प्रयास’ ने मोबाइल एम्बुलेंस की शुरुआत की है।
हिमाचल के लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर बनाती प्रयास संस्था
प्रयास संस्था की शुरुआत कुछ साथियों ने 25 जनवरी 2013 को की थी। शुरुआत में केवल 10 दोस्तों ने इस संस्था की शुरुआत की। समाज के लिए कुछ करने का जज़्बा रखने वाले इन दोस्तों में से कोई किसान था, कोई व्यवसायिक, कोई सरकारी कर्मचारी और कोई भूतपूर्व सैनिक। ये लोग गरीब, अनाथ एवं दिव्यांगो के लिए कुछ करना चाहते थे। सबसे पहले इन्होंने गरीब एवं आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों को आर्थिक सहायता देने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे इनके इस नेक काम में और भी लोग जुड़ते चले गए।
आज यह 1200 सदस्यों का समूह बन गया है, जो बिना किसी स्वार्थ के अपनी सेवा देते है। इतना ही नहीं गरीबो की मदद करने हेतु हर सदस्य प्रत्येक माह 200 रुपये संस्था में सहयोग राशि के रूप में देता है।
एक साल तक विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के बाद संस्था के सदस्यों को ऐसा महसूस हुआ कि क्षेत्र के युवाओं को रोज़गार हेतु ट्रेनिंग देने की ज़रुरत है। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने ऑफिस में युवाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर शुरू किया, जिसके तहत उन्हे कंप्यूटर, टैली, एकाउंटिंग आदि सिखाया जाता था। इसके बाद उन्हें रोज़गार दिलाने में भी संस्था हर-संभव मदद करती है और अब तक 60 से ज़्यादा युवाओं को रोज़गार मिल चूका हैI
हिमाचल में प्राकृतिक आपदा के दौरान गरीब परिवारों के घर निर्माण हेतु डेढ़ लाख इंटों की व्यवस्था करना, घर निर्माण में हर संभव मदद कर, उन्हें रहने लायक बनाने का काम भी संस्था के सदस्यों द्वारा किया गया I
क्या है मोबाइल स्वास्थ्य सेवा ?
इस सेवा के अंतर्गत मोबाइल वैन में एक हेल्थ ऑफिसर एवं पैरा मेडिकल वालंटियरस के अलावा नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन तथा वाहन चालक होते हैं, जो लोगों के घर द्वार पहुंचकर न केवल विभिन्न प्रकार के रोगों की निशुल्क जांच करते है बल्कि मौके पर उनका इलाज भी करते है। इस मोबाइल अस्पताल में 40 से भी अधिक बीमारियों की जाँच और इलाज की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध होती है, जिसमें केएफटी, एलएफटी, हिमटॉलाजी टेस्ट, इलेक्ट्रोलाइटस टेस्ट, लिपिड प्रोफाइल टेस्ट, शूगर तथा हैपेटाइटिस के निशुल्ट टेस्ट किए जाते है। टेस्ट के बाद मुफ्त में दवाई उपलब्ध करवाई जाती है।
कैसे हुई शुरुआत ?
प्रयास संस्था के सदस्य अक्सर अपने काम के लिए गाँवों का दौरा करते। इस दौरान उन्होंने देखा कि यहाँ के लोगों की सबसे बड़ी मुश्किल है स्वास्थ्य सेवा। अस्पताल दूर होने की वजह से गाँववाले अक्सर बिमारियों को अनदेखा कर देते और छोटी-मोटी बिमारी, ध्यान न देने की वजह से बड़ी और जानलेवा बीमारी का रूप धारण कर लेती। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को समय पर चिकित्सा न मिलने से कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता। ऐसे में प्रयास संस्था ने एक मोबाइल अस्पताल की परिकल्पना की, जो इन गाँववालों के द्वार तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुंचा सकें।
इस मुहीम की शुरुआत करने के लिए संस्था के लोगों ने हमीरपुर के सांसद श्री अनुराग सिंह ठाकुर से चर्चा की और अच्छी बात यह हुई कि उन्होंने सांसद निधि से एक बड़ी राशि मोबाइल एम्बुलेंस के लिए उपलब्ध करवा दी। इस तरह अप्रैल 2018 में इस नेक पहल की शुरुआत की गई। साथ ही क्रिटिकल मेडिकल केस को विशेष रूप से ध्यान देने के लिए एक टीम भी बनाई गयी।
संस्था के सदस्य संजीव कुमार कहते है, “प्रयास संस्था एक अच्छी सोच का परिणाम है, जो गरीब और अस्वस्थ्य लोगों के लिए कुछ बेहतर काम करना चाहती है। हमारे पास प्रतिदिन ऐसे मरीज आते थे, जिनकी देखभाल या इलाज करवाने वाला कोई नहीं होता था। किसी के पास पैसों की कमी होती, तो कोई पूरी तरह से असहाय होता I इस समस्या का स्थाई समाधान करने के लिए हमने मोबाइल एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की और हमारे 1200 सदस्य गाँव -गाँव तक एम्बुलेंस और मेडिकल स्टाफ की सुविधा बेहतर तरीके से पहुंचाने में मदद करते है।”
संजीव आगे बताते हैं, “शुरुआती दिनों में लोग हमारा मज़ाक उड़ाते थे और कहते थे कि जहाँ घरों में पीने का पानी ठीक से नहीं आता, वहां तुम लोग एम्बुलेंस ले जाने की बात करते हो, लेकिन हमारे सदस्यों और क्षेत्र के सांसद के भरपूर सहयोग से हमने इस कठिन डगर को बड़ी आसानी से तय कर लिया। आज ख़ुशी होती है, जब किसी बच्चे या बुजुर्ग का इलाज होते हुए देखता हूँ।”
50 हज़ार लोगों तक पहुंची सेवा
इस पहल का अधिक लाभ दिहाड़ी- मजदूरी करने वाले लोगों को मिल रहा है। इसके अतिरिक्त बुजुर्गों, महिलाओं और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को भी इसका लाभ मिला है, जिससे उनके समय तथा धन की बचत हुई है। एक सुखद बात यह भी है कि 350 पंचायतों को अब तक कवर किया गया है, और इसमें 73 फीसदी महिलाओं ने इस सेवा का लाभ उठाया है।
प्रयास संस्था की एक सदस्या ने बताया कि इस पहल का क्रियान्वयन बेहद ही व्यवस्थित तरीके से किया जाता है। गाँव का चयन, वैन के पहुंचने से पहले सूचना, मेडिकल सेवा, निशुल्क दवाई और इसके बाद फिर टेलीफोन के माध्यम से परामर्श की सुविधा और ज़रुरत पड़ने पर मेडिकल कैंप लगाकर इलाज किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में स्वयं गाँववाले बढ़- चढ़कर हिस्सा लेते हैं। प्रत्येक गाँव में अस्पताल ऐम्बेसडर नियुक्त किया गया है, जिसकी ज़िम्मेदारी होती है कि वह गाँव के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के उपचार करवाए।
लंबलू गाँव से पुरषोत्तम ठाकुर कहते है. “मैं गाँव में घूम -घूमकर अगरबत्ती बेचता हूँ, लेकिन घुटने के दर्द के कारण चलने में बहुत दिक्कत आती थी। एक दिन पंचायत में पता चला कि जुगल बेरी गाँव में मोबाइल एम्बुलेंस आई है और डॉक्टर मुफ्त में इलाज कर रहे है। मैं इलाज करवाने पंहुचा और अब उपचार के बाद मुझे बहुत राहत है। ख़ुशी की बात यह भी है कि मेरे निवेदन पर मेरे गाँव में भी कैंप लगाया गया और ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की बिमारियों का इलाज हो गया।”
कंड्रोला गाँव की आशा देवी कहती है, “3 साल से मेरी आँखों में समस्या थी। इलाज के लिए कोई शहर ले जाने वाला नहीं था और एक दिन पता चला कि गाँव में मुफ्त इलाज करने के लिए कोई गाड़ी आ रही है। इसके बाद इलाज के लिए पंजीयन करवाया और प्राथमिक उपचार के बाद आँखों को राहत मिली। कैंप में मुझे दवाई भी उपलब्ध कराई गई और 3 महीने के बाद मेरी आंखें पूरी तरीके से ठीक हो गई।”
मोबाइल एम्बुलेंस सेवा एक अनूठी पहल है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जाए तो शायद स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफ़ी बदलाव आएगाI उम्मीद है कि ऎसी पहल देश भर में अपनाई जाएँगी!
(संपादन – मानबी कटोच)