(यह लेख हिंदवेयर के साथ साझेदारी में प्रकाशित किया गया है।)
देश की सबसे प्रतिष्ठित बाथवेयर कंपनी हिंदवेयर होम्स (Hindware Homes), ने 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस (World Toilet Day) के मौके पर “बिल्ड ए टॉयलेट, बिल्ड हर फ्यूचर (Build A Toilet, Build Her Future)” पहल की शुरुआत की।
कंपनी ने इस पहल को तीन साल पहले ही शुरू किया था और पहले चरण के दौरान हरियाणा के बहादुरगढ़ में अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के आस-पास के आठ गाँवों में, आठ शौचालय बनवाए थे। इसके ज़रिए, उनका उद्देश्य स्कूलों में आवश्यक सैनिटाइजेशन सुविधा देकर लड़कियों को सक्षम और सशक्त बनाने पर जोर देना है।
भारत में खुले में शौच काफी गंभीर समस्या है। ग्रामीण इलाकों में आज भी शौचालयों को महंगी चीज या विलासिता मानने के साथ ही, घर-आँगन की पवित्रता से भी जोड़ दिया जाता है और लोग इसका इस्तेमाल करने से कतराते हैं।
हालांकि, बीते कुछ वर्षों के दौरान सरकार ने शौचालयों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं को लागू किया है और इसे बनाने के लिए आर्थिक मदद भी दी जाती है। पर, कई बार लोग शौचालय तो बना लेते हैं, लेकिन उसे घर का हिस्सा नहीं मानते और अपनी आदत में बदलाव न लाने के कारण, खुले में ही शौच करते हैं।
रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ कम्पैशनेट इकोनॉमिक्स की 2019 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक – बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में 44 फीसदी लोग खुले में शौच करते हैं और करीब एक चौथाई लोग घर में सुविधा होने के बावजूद खुले में शौच करते हैं।
लोगों को अपनी यह सोच बदलने की जरूरत है, क्योंकि खुले में शौच के कारण लोगों को दस्त, टाइफाइड, पीलिया जैसी कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है। घर में शौचालय न होने के कारण सबसे ज्यादा मुश्किल महिलाओं को होती है और उन्हें शौच जाने के लिए शाम ढलने का इंतजार करना पड़ता है।
खुले में शौच के कारण, न सिर्फ उन्हें कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है, बल्कि कई बार वे बलात्कार और छेड़खानी जैसी अपराधिक कृत्यों की भी शिकार हो जाती हैं।
एक शोध के मुताबिक ग्रामीण इलाकों के 11.5 फीसदी स्कूलों में, लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा नहीं थी और जहाँ थी, उनमें से 11.7 फीसदी या तो बंद थे या उनकी स्थिति इतनी जर्जर थी कि उसे उपयोग में नहीं लाया जा सकता था।
वहीं, स्कूलों में पर्याप्त सैनिटाइजेशन सुविधा न होने के कारण, मासिक धर्म के दौरान लड़कियां स्कूल नहीं आ पाती हैं। नतीजन, वह क्लास में पीछे रह जाती हैं और कुछ समय बाद, वे स्कूल हमेशा के लिए छोड़ देती हैं।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में प्राथमिक स्कूल में पढ़ने वाली 4.74 फीसदी लड़कियों ने स्कूल छोड़ा। वहीं, सेकेन्ड्री स्कूलों में 17.3 फीसदी लड़कियों ने स्कूल छोड़ दिया। यह वह समय होता है, जब लड़कियां मासिक धर्म की स्थिति में पहुँचती हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस चिन्ताजनक स्थिति के लिए, स्कूलों में शौचालय संबंधित सुविधाओं में कमी जिम्मेदार है।
एक बार स्कूल छोड़ देने के बाद, लड़कियों को कम उम्र में ही शादी के लिए मजबूर होना पड़ता है और कम उम्र में ही माँ बनने के कारण, उन्हें कई शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह देश में अधिक मातृ-शिशु मृत्यु दर के लिए जरूर कहीं न कहीं जिम्मेदार है।
इन्हीं चिन्ताओं को देखते हुए, अग्रणी सैनिटरीवेयर कंपनी हिंदवेयर होम्स ने, 2019 में ‘बिल्ड ए टॉयलेट, बिल्ड हर फ्यूचर’ (Build A Toilet, Build Her Future) पहल की शुरुआत की।
वे इस पहल के तहत, न सिर्फ शौचालय बना रहे हैं, बल्कि उनके पूरे रखरखाव की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं। इस पहल का मूल उद्देश्य लड़कियों को अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करना है। हिंदवेयर को इस पहल में गैर सरकारी संस्था “मा माय एंकर (Ma My Anchor)” का साथ मिल रहा है।
कोरोना महामारी के दौरान स्कूलों को बंद कर दिया गया था, लेकिन स्थिति बेहतर होने के बाद, स्कूलों को फिर से खोला जा रहा है। इसलिए कंपनी ने इस पहल को फिर से शुरू किया है। इस बार, और बड़े पैमाने पर।
कंपनी द्वारा ‘बिल्ड ए टॉयलेट, बिल्ड हर फ्यूचर’ (Build A Toilet, Build Her Future) के तहत, इस बार गुड़गांव, सोनीपत, उदयपुर और बहादुरगढ़ के 19 वंचित गाँवों के 19 स्कूलों में करीब 40 लाख की लागत से 50 से अधिक शौचालय बनाए जाएंगे।
पहल को लेकर ब्रिलोका बाथ बिजनेस के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर सुधांशु पोखरियाल ने कहा, “बिल्ड ए टॉयलेट, बिल्ड हर फ्यूचर पहल के जरिए हमारा उद्देश्य स्कूली लड़कियों के लिए स्वच्छता सुविधाओं को आसान बनाना है, ताकि उनकी पढ़ाई में कोई बाधा न आए। लोगों को इस विषय में जागरूक करने के लिए, हिंदवेयर ने मार्केटिंग कैम्पेन भी शुरू किया है। स्वच्छता संदेशों को लोगों तक प्रभावी तरीके से पहुँचाने के लिए डिजिटल फिल्म और कई अन्य माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है।”
बता दें कि हिंदवेयर ने इस पहल अपने ग्राहकों और आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कर, समाज में स्वच्छता और स्वास्थ्य के विमर्श को बढ़ावा देने के लिए ‘हाइजीन दैट एम्पावर्स’ (Hygiene That Empowers) नामक एक वेबसाइट भी विकसित किया है। इसके जरिए आप नकद राशि दान कर, पहल को नई ऊंचाई दे सकते हैं।
इस पहल को लेकर मा माय एंकर फाउंडेशन की अध्यक्ष सुष्मिता सिंघा कहती हैं, “ग्रामीण इलाकों में शौचालयों की समस्या के कारण, लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं। यह दुखद है, शौचालय की कमी के कारण, किसी भी बच्चे की पढ़ाई नहीं छूटनी चाहिए।”
वह आगे कहती हैं, “हिंदवेयर लीक से हटकर लोगों की समस्याओं को हल करने में हमेशा सबसे आगे रहा है। ‘बिल्ड ए टॉयलेट, बिल्ड हर फ्यूचर’ इसी प्रतिबद्धता को दोहराता है। इस पहल को शुरू करने के लिए हम हिंदवेयर का धन्यवाद करते हैं। हम साथ मिलकर इसे सफल बना सकते हैं।”
पहल को लेकर ब्रिलोका लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप सोमानी ने अंत में कहा, “बाथवेयर इंडस्ट्री में अग्रणी होने के नाते हमें लगा कि ग्रामीण इलाकों में शौचालयों का निर्माण कर, अपनी एक्सपरटाइज का इस्तेमाल करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। स्कूलों में शौचालयों की कमी के कारण बच्चों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, खासकर लड़कियों को। हमें यकीन है कि हमारा यह प्रयास उन्हें एक मजबूती देगा। हम देश के कई और स्कूलों से जुड़, इस पहल को जारी रखेंगे।”
आप हिंदवेयर से यहाँ जुड़ सकते हैं:
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