जो लोग मछली खाने के बहुत शौकीन नहीं हैं, उनके लिए बंगाली डिश ‘भेटकी माछेर पटुरी’ लजीज़ सप्राइज़ है। जब पहली बार मैंने इसे चखा, तो मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह सरसों या केले के पत्तों (Banana leaf) या फिर दोनों को मिलाकर बनाया गया है। लेकिन हर बार, जब भी मैं इस बेहतरीन डिश के बारे में सोचती हूं, तो मेरे मुंह में पानी आ जाता है।
केले के पत्तों में लिपटी मछली की भाप से निकलने वाली खुशबू से ही आप इसके स्वाद का अंदाज़ा लगा सकते हैं। जो बात इसे और भी दिलचस्प बनाती है वह यह है कि यह बंगाली खाना केले के पत्ते के ज़रिए कई दूसरे क्षेत्रीय व्यंजनों से भी जुड़ा हुआ है।
चाहे स्टीम्ड इडली हो, गुजराती स्नैक, पांकी; पारसी की पत्र नी मच्ची, असम की भापोट दीया मच या केरल की ओणम संध्या, केले के एक साधारण से पत्ते ने अलग-अलग राज्यों के कई व्यंजनों में अपनी जगह बना ली है।
यह पत्ता है ही ऐसा, जिसे कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। खाने को स्टीम्ड, ग्रिल्ड और डीप फ्राई करने से लेकर सर्विंग प्लेट और पैकेजिंग सामग्री तक के रूप में इसका उपयोग कर सकते हैं।
केले के पत्ते देसी भोजन और परंपराओं का एक अभिन्न अंग तो रहे ही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी हैं?
क्या हैं केले के फायदे (Benefits of Banana leaf)?
केले के पत्ते एंटीऑक्सिडेंट का एक पावरहाउस होते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचने देते। इनमें काफी अधिक मात्रा में पॉलीफेनोल्स होते हैं, जो हमारे शरीर में हानिकारक मुक्त कणों को बेअसर करने में मदद करते हैं और उम्र बढ़ने, कई तरह की आम बीमारियों और कैंसर से भी लड़ सकते हैं।
इन पत्तियों में जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं, जो कीटाणुओं से लड़ सकते हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक कटलरी की तुलना में पत्तियां अधिक पर्यावरण के अनुकूल विकल्प होती हैं। पत्तियों पर मोम जैसा लेप होता है, जो धूल और गंदगी को दूर रखता है।
रूबी हॉल क्लिनिक की चीफ न्युट्रीशनिस्ट कमल पालिया ने बताया, “केले के पत्ते (Banana leaf) पर खाना न केवल स्वस्थ्य के लिए अच्छा होता है, बल्कि किफायती भी होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, इसलिए यह आपके शरीर के लिए अच्छा होता है। केले के पत्तों में काफी मात्रा में पॉलीफेनॉल्स होते हैं, जो पार्किंसंस और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचाते हैं। जैसे, पत्र नी मची बनाते समय केले के पत्तों में मछली को स्टीम किया जाता है, इसलिए मछली का कैल्शियम और प्रोटीन बरकरार रहता है। साथ ही केले का पत्ता डैंड्रफ और स्कैल्प के रूखेपन के लिए भी अच्छा होता है। बालों के तेल में सूखे पत्ते मिलाकर लगाने से ये दोनों परेशानियां दूर हो जाती हैं।”
केले के पत्ते (Banana leaf) में थाई फिश कैसे बनाएं? (शेफ संजीव कपूर की रेसिपी)
सामग्री: (4 लोगों के लिए)
- बोनलेस फिश फ़िल्लेट्स 2
- थाई रेड करी पेस्ट 1 बड़ा चम्मच
- केले के पत्ते 2
- लेमनग्रास डंठल 1 इंच
- स्प्रिंग अनियन बल्ब 3
- तुलसी के ताजे पत्ते 6-7 गिलास
- अदरक कसा हुआ 1 छोटा चम्मच
- फिश सॉस 2 छोटे चम्मच
- ब्राउन शुगर 2 छोटे चम्मच
- इमली का पल्प 2 छोटे चम्मच
- बर्ड्स आई चिलीज़ 5
- तेल 3 बड़े चम्मच
- नमक स्वादअनुसार
बनाने की विधि
- लेमनग्रास और स्प्रिंग अनियन बल्ब को तिरछे काटकर एक बाउल में रखें।
- तुलसी के पत्तों को मोटा-मोटा काट लें और बाउल में डालें। लाल करी पेस्ट, अदरक, फिश सॉस, ब्राउन शुगर और इमली का पल्प डालें।
- बर्ड्स आई चिलीज़ को स्लाइस करके प्याले में डालें और अच्छी तरह से मिलाएं। 1 बड़ा चम्मच तेल डालें और फिर से मिलाएँ। मिश्रण को कुछ देर के लिए छोड़ दें।
- केले के पत्तों के रेसे निकाल लें, लंबाई में आधा करके, सीधी आंच पर रखकर नरम करें।
- एक नॉन स्टिक पैन में 1 बड़ा चम्मच तेल गरम करें।
- फिश फ़िल्लेट्स को आधा काटकर एक प्लेट में रख लें। ऊपर से नमक छिड़कें।
- केले के पत्तों (Banana leaf) के 2 आधे भाग एक दूसरे को ओवरलैप करते हुए रखें। उस पर थोड़ा सा तेल छिड़कें और एक मछली का टुकड़ा रखें और ऊपर से थोड़ा हरा प्याज का मिश्रण डालें। एक और मछली का टुकड़ा रखें और कुछ और हरे प्याज के मिश्रण रखें और पार्सल की तरह लपेटकर तैयार करें। इसी तरह एक और पार्सल बना लें।
- पार्सल को पैन में रखें, एक-एक करके, ढककर तब तक पकाएं जब तक कि मछली पूरी तरह से पक न जाए, बीच में एक बार पलट दें।
- पार्सल को थोड़ा सा खोलें और तुरंत परोसें।
मूल लेखः गोपी करेलिया
यह भी पढ़ेंः एक्सपर्ट से सीखें, केले के छिलके से बेहतरीन खाद बनाना