कुछ समय पहले भारतीय रेलवे ने किसान रेल चलाई थी ताकि किसानों की आय दोगुनी करने की योजना में रेलवे भी अपना योगदान दे सके। इसके बाद, यात्रियों की सुविधा के लिए क्लोन ट्रेन चलाई गईं और अब पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, रेलवे ने एक और मुकाम हासिल किया है।
दक्षिण रेलवे के चेन्नई डिवीज़न ने एक ऐसा इंजन/लोकोमोटिव बनाया है, जो बिजली और बैटरी, दोनों से चल सकता है। जी हाँ, इसका नाम है पसुमई लोकोमोटिव, जो कि एक बैटरी-कम-एसी ऑपरेटेड ट्रेन इंजन है। यह इलेक्ट्रिक और नॉन-इलेक्ट्रिक, दोनों सेक्शन में काम कर सकता है।
अच्छी बात यह है कि एक पुराने इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में ही बदलाव करके इसे बैटरी लगाकर ड्यूल मॉडल बनाया गया है। पहले इस लोकोमोटिव का इस्तेमाल चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन और बेसिन ब्रिज यार्ड के बीच में खाली कोचों की शंटिंग के लिए किया जाता था।
यह ग्रीन एनर्जी कांसेप्ट है। यह शायद पहली बार है कि किसी इंजन को बैटरी से चलने वाला बनाया गया है।
चेन्नई डिवीज़न के प्रवक्ता ए. एलुमलै बताते हैं कि अरक्कोनम के इलेक्ट्रिक लोको शेड टीम ने WAG5HA लोकोमोटिव को बदलकर कम लागत वाला इको-फ्रेंडली मॉडल बनाया है। इसमें 110 वाल्ट की दो बैटरी और दो बैटरी चार्जर हैं। बैटरी मोड में यह लोकोमोटिव लगातार साढ़े तीन से चार घंटे तक काम कर सकता है।
इसके साथ ही, इस लोकोमोटिव में और भी कई खूबियां हैं। जैसे कि AC मोड में इसकी क्षमता 110HP और बैटरी मोड में 14.76KN है। ढुलाई की क्षमता 1080 MT (24 डिब्बों का वजन) है और अधिकतम शंटिंग स्पीड 15 किमी प्रति घंटा है।
एलुमलै के मुताबिक, इस ट्रेन से शंटिंग के दौरान काफी मदद मिल सकती है। अक्सर जब बिजली का कनेक्शन नहीं मिल पाता है और ट्रेन बीच पटरी पर ही रुक जाती है तो दुर्घटना होने की संभावना उत्पन्न हो जाती है। ऐसी स्थिति में बैटरी से चलने वाला यह लोकोमोटिव काफी लाभदायक हो सकता है। यह बैटरी की मदद से ट्रेन को इधर से उधर ला-ले जा सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि इस इंजन का यह मॉडल तैयार करने में बहुत ही कम लागत आई है।
बैटरी से चलने वाले इस इंजन के और भी कई फायदे हो सकते हैं जैसे कि ऊर्जा की कम खपत, और न के बराबर ध्वनि प्रदुषण। साथ ही, ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन भी कम होगा। पर्यावरण की दिशा में भारतीय रेलवे का यह महत्वूर्ण कदम है। पहले से ही भारतीय रेलवे अपने सभी इंजन को इलेक्ट्रिक करने में जुटी है। ऐसे में, बैटरी और इलेक्ट्रिक, दोनों तरीकों से काम करने वाला इंजन बनाकर भारतीय रेलवे ने मिसाल कायम की है।
दक्षिण रेलवे के जनरल मैनेजर, जॉन थॉमस ने इलेक्ट्रिक लोको शेड की टीम की सराहना करते हुए उन्हें सम्मानित करने की घोषणा भी की है। हाल ही में, जब इस लोकोमोटिव का ट्रायल लिया गया तो यह काफी सफल रहा और फ़िलहाल, यह लोकोमोटिव बेसिन ब्रिज यार्ड पर कार्यरत है।
“इस लोकोमोटिव की सफलता के बाद हमें हौसला मिला है। अब हम और दो बैटरी से चलने वाले इंजन पर काम कर रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही यह भी तैयार हो जायेंगे,” एलुमलै ने अंत में कहा।
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) October 9, 2020
यह कमाल भारतीय रेलवे के इंजीनियर्स का है, जो हर दिन नए-नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। भारतीय रेलवे में सोलर ऊर्जा पर भी अच्छा-ख़ासा काम किया जा रहा है। आने वाला समय, ग्रीन एनर्जी का है और इसलिए भारतीय रेलवे हर दिन इस दिशा में अपने कदम बढ़ा रहे हैं। उम्मीद है कि इसी तरह भारतीय रेलवे सेक्टर नई-नई सफलताएं हासिल करेगा!
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