‘सारा ज़माना हसीनों का दीवाना, ज़माना कहे फिर क्यों बुरा है दिल लगाना’!1980 के दशक में आई फिल्म ‘याराना’ में अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया यह गीत, उनकी लाइटिंग ड्रेस की वजह से काफी चर्चा में रहा था। लेकिन राजस्थान के एक इंजीनियर रितेश कोटेचा ने इस तरह की लाइटिंग ड्रेस को रोड सेफ्टी के लिए नए इनोवेशन (Road safety products) के तौर पर तैयार किया है।
अब लोग इस तरह की लाइटिंग पहने सड़कों पर नज़र आएंगे। दरअसल, 36 वर्षीय एमटेक (एनर्जी) इंजीनियर रितेश ने साल 2018 में पेट्रोलियम कन्सर्वेटिव रिसर्च एसोसिएशन (भारत सरकार) की नौकरी छोड़ दी और ‘क्रूज़र’ नाम से खुद का स्टार्टअप शुरू किया।
इस बिज़नेस के तहत, उन्होंने रेडियम, लेदर व एल.ई.डी लाइट से हेलमेट, जैकेट, शील्ड, रिफ्लेक्टिव वेस्ट, रिफ्लेक्टिव आर्मबंद जैसे प्रोडक्ट बनाए हैं, जिनकी रात के अँधेरे में दूर से ही अच्छी विजिबिलिटी होती है और एक्सीडेंट होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
एक दुर्घटना ने किया Road safety products बनाने के लिए प्रेरित
यह डिवाइस सेफ्टी के साथ-साथ काफी अट्रैक्टिव और फैशनेबल भी है। उनके साथ स्टार्टअप में 7 अन्य लोग भी जुड़े हुए हैं, जो साथ मिलकर हेलमेट लाइट, जैकेट, शील्ड, रिफ्लेक्टिव बैंड आदि जैसे कुल 16 प्रोडक्ट्स बनाते हैं।
रितेश के अनुसार, इस इनोवेशन के पीछे उनका भावनात्मक जुड़ाव है, उन्होंने बताया कि रोड एक्सीडेंट में हर साल हजारों जिन्दगियां ख़त्म हो जाती हैं और परिवार के लिए पीछे रह जाता है सिर्फ दुःख। उनके बचपन का एक करीबी दोस्त रात में रोड के साइड में बाइक लगाकर मोबाइल पर बात कर रहा था, वहां रोड लाइट भी नहीं थी, तभी उसे वहां से गुजरने वाले डंपर ने टक्कर मार दी थी।
काफी इलाज के बाद भी उसकी ज़िंदगी बच नहीं पाई। वास्तव में डंपर वाले को वहां लाइट का कोई सिग्नल नहीं मिला और अँधेरे में उसने टक्कर मार दी। इस घटना के बाद ही रितेश ने यह हाई विजिबिलिटी वाली LED हेलमेट लाइट, जैकेट, शील्ड, रिफ्लेक्टिव वेस्ट, रिफ्लेक्टिव आर्मबैंड आदि बनाने का प्लान किया।
कितना है सालाना टर्नओवर?
शाम को छ: बजे के बाद अँधेरे की वजह से अधिकतर एक्सीडेंट्स होते हैं। चूँकि, गाड़ी में इंडिकेटर तो होते हैं, लेकिन नीचे होने की वजह से रात में बड़ी गाड़ी वालों को दूर से नजर नहीं आता। लेकिन LED लाइट और रेडियम कि वजह से यह सेफ्टी डिवाइस दूर से ही दिखाई देते हैं और एक्सीडेंट की संभावना बिल्कुल नगण्य हो जाती है।
रितेश ने कहा, “अधिकतर लोग हेलमेट चालान के डर से पहनते हैं, सुरक्षा की दृष्टि से नहीं। लेकिन अगर हेलमेट स्टाइलिश होंगे, तो लोग उसे पहनना भी पसंद करेंगे। हमने इसी सोच के साथ काम किया है।” रितेश का सालाना टर्नओवर अभी 18 लाख रुपये है। उनके इस स्टार्टअप से 7 अन्य लोग भी जुड़े हुए हैं। इस इनोवेशन को MSME स्टार्टअप अवॉर्ड में द्वितीय पुरस्कार मिला था।
अभी तक रितेश ने कुल 10 हजार से ज्यादा प्रोडक्ट्स बेचे हैं। मुंबई में उनके क्लाइंट राहुल मेहता, बाइक चलाने के शौक़ीन हैं। उन्होंने क्रूज़र स्ट्राइकर- हेलमेट LED लाइट खरीदी और अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, “मैंने जो स्ट्राइकर खरीदा है वह बहुत ही स्टाइलिश है और पॉकेट फ्रेंडली भी। मुझे बाइक चलाने का शौक है और अब हेलमेट पहनकर चलना मुझे बेहद अच्छा है। रात में इस LED लाइट हेलमेट की वजह से मैं दूर से विज़िबल हो जाता हूँ और ज्यादा सुरक्षित महसूस करता हूँ।”
कंपनी नहीं करती कोई एडवरटीज़मेंट
ग्वालियर की कोमल बेरी भी बाइक चलाने की शौक़ीन हैं। उन्होंने क्रूज़र पैच वायरलेस इंडिकेटर और क्रूज़र बैंड प्रोडक्ट्स खरीदे। वह कहती हैं, “ये प्रोडक्ट्स स्टाइलिश हैं और रात में दुपहिया वाहन चलाने वालों के लिए बहुत ही उपयोगी भी। मुझे ख़ुशी इस बात की भी है कि यह भारत में ही बना हुआ है। एक बार एक सफर के दौरान, मैं रात में ढाबे पर चाय पीने के लिए रुकी, तो 5-10 मिनट बाद एक ट्रक वाले ने आकर बताया कि दूर से ही मैं काफी अच्छे से विजिबल हूं।
कुछ ऐसा ही अनुभव, जयपुर के प्रवीण सिंह बिष्ट और बेंगलुरु के यू-ट्यूबर विजय हंसोरा का भी रहा। वे भी प्रोडक्ट खरीद कर खुश हैं और कहते हैं, “युवाओं को अगर सेफ्टी के साथ स्टाइल मिल जाए तो, इससे बेहतरीन कुछ नहीं हो सकता। क्रूज़र के प्रोडक्ट से कूल लुक तो आता ही है, साथ ही सुरक्षित भी महसूस होता है।”
पूरे भारत में बाइक चलाने के शौकीन लोग, ये प्रोडक्ट्स खरीदते हैं। क्रूज़र कोई विज्ञापन नहीं करता, जो भी इनके प्रोडक्ट खरीदता है वह ही प्रोडक्ट की गुणवत्ता से खुश होकर इनकी ब्रांडिंग कर देते है। अभी सभी प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन बेचा जा रहा है। इसके अलावा, कई दुपहिया वाहनों के शोरूम में भी यह उपलब्ध है और बहुत जल्द बड़ी कंपनियों से टाई अप कर वाहन खरीदते समय ही इनको उपलब्ध करवाया जाएगा।
लेखकः सुजीत स्वामी
संपादनः अर्चना दुबे
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