Site icon The Better India – Hindi

“मेरी माँ उनकी हँसी और मुस्कुराहट में ज़िंदा हैं, जिन्हें उनकी वजह से जीने का सेकंड चांस मिला!”

Credits: Humans of Bombay

“मेरी माँ बहुत ही दयालु थीं। इसलिए नहीं कि उन्होंने कोई बड़ा काम किया, बल्कि हर दिन के छोटे-छोटे अच्छे कामों की वजह से। वो कभी अपनी परेशानियों के बारे में बात नहीं करती थीं। लेकिन दूसरों की परेशानियां सुनती भी थीं और मदद भी करती थीं।

मुझे याद है एक बार जब हम छोटे थे और पापा बीमार हो गये थे, तब उनकी देखभाल में उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी। कभी कोई शिकायत नहीं, गुस्सा नहीं। मैंने हमेशा उन्हें सबके बारे में सोचते हुए, सबकी परवाह करते हुए देखा। इसलिए जब यह हुआ– तो लगा कि यह दुनिया में सबसे बड़ा अन्याय है। माँ अपनी योगा क्लास से वापस आ रही थीं, जब एक बाइक ने उन्हें टक्कर मार दी। वह गिर गयीं और आस-पास के लोगों ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुँचाया। 

His Mother (Credits: HoB)किसी ने हमें फ़ोन किया और इस बारे में बताया। मैं शहर में नहीं था तो मेरे पापा और बहन तुरंत अस्पताल पहुंचे। जब वे लोग वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि माँ को चोट लगी थी, लेकिन वह ठीक लग रही थीं। डॉक्टर्स ने कहा कि वह जल्द ही घर जा सकती हैं। लेकिन फिर अचानक…. उनकी नाक से खून आने लगा।

किसी को नहीं पता था कि क्या हुआ? डॉक्टर्स ने उन्हें दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए कहा। लेकिन जब वहां पहुंचे तो कहा गया कि बहुत देर हो चुकी है। उन्हें बचाने का आख़िरी रास्ता भी खत्म हो गया था। डॉक्टर्स ने कहा कि वे ऑपरेशन कर सकते हैं लेकिन बचने की कोई गारंटी नहीं है। मैं जितना जल्दी हो सकता था, वहां पहुंचा।

हम उम्मीद नहीं छोड़ना चाहते थे, इसलिए हमने ऑपरेशन करने के लिए हाँ कह दी— लेकिन यह असफल रहा। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया।

डॉक्टर्स ने हमसे कहा कि वह जा चुकी हैं— अब कभी वापस नहीं आयेंगी।

मुझे बहुत डर लगने लगा। वह मेरी आँखों के सामने थीं लेकिन मैंने उन्हें खो दिया। मैं अब कभी उन्हें बोलते हुए नहीं सुन पाऊंगा, कभी उनके गले नहीं लग पाऊंगा या उनके साथ वक़्त नहीं बीता पाऊंगा।

मेरे पापा और मेरी बहन भी इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। लेकिन फिर मेरे पापा ने बताया कि छह महीने पहले माँ ने अस्पताल जाकर ऑर्गन डोनेशन के लिए फॉर्म भरा था। उनकी इच्छा थी कि उनके जाने के बाद भी वह लोगों के काम आ सकें।

Credits: HoB

हमने डॉक्टर्स से बात की और उन्होंने तुरंत सभी फॉर्मेलिटी पूरी करने की व्यवस्था की। उनका लीवर, किडनी, हार्ट वाल्वस और कॉर्निया, सभी कुछ हार्वेस्ट करके ज़रूरतमंद मरीजों के लिए इस्तेमाल किये गये। ऑर्गन्स को मैंगलोर से एयरलिफ्ट किया गया और फिर ग्रीन कॉरिडोर के जरिए ले जाया गया।

लगभग एक हफ्ते के अंदर हमें मैसेज आया कि हमारी माँ ने चार जिंदगियां बचाई हैं। उनमें से एक 10 साल का बच्चा था, जिसके पास जीने के लिए ज़्यादा वक़्त नहीं था। बीता हुआ वक़्त और बातें कभी नहीं बदलेंगी। इस ज़िंदगी में अब वह कभी भी हमारे साथ नहीं होंगी। लेकिन मेरे और मेरे परिवार के लिए यही काफ़ी है कि वह उन लोगों की हंसी और मुस्कुराहट में ज़िंदा हैं, जिन्हें उनकी वजह से जीने का सेकंड चांस मिला है…. उन्होंने मौत में भी लोगों को ज़िन्दगी दी है!”

साभार – Humans Of Bombay

 

संपादन – मानबी कटोच 


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

Exit mobile version