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मिट्टी के बर्तनों की छत व सूखी डालियों के खंभे, प्रकृति की गोद में बना है यह घर

“सस्टेनबिलिटी की शुरूआत होती है पर्यावरण के अनुकूल घर बनाने से और एक हेल्दी लाइफस्टाइल जीने पर यह सार्थक हो जाती है।”, यह कहना है  66 वर्षीय विट्टल डुपारे का, जो शहर की भागदौड़ छोड़कर अपने गृहनगर  वापस लौट आए और अब अपने सपनों को भरपूर जी रहे हैं।

मुंबई से महज दो घंटे की दूरी पर महाराष्ट्र के पालघर जिले के वाडा गाँव की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच बसा उनका घर किसी अजूबे से कम नहीं है। बाहर से यह घर भले आपको सामान्य लगे लेकिन घर के अंदर फ्री-फ्लोइंग डिजाइन से आर्किटेक और लैंडस्केप को अनोखे तरीके से उभारा गया है।

आई स्टूडियो आर्किटेक्चर के तीन आर्किटेक्ट्स की एक टीम ने इस घर का निर्माण किया था। ब्रिक हाउस नाम का यह प्रोजेक्ट 2011 में शुरू हुआ और 2014 में पूरा हुआ।

इनमें से एक आर्किटेक्ट प्रशांत दुपारे थे जिन्होंने डिजाइन प्रक्रिया में एक प्रमुख हिस्से को तैयार किया था। लेकिन, उनके पिछले प्रोजेक्ट की तुलना में यह उनके लिए अधिक व्यक्तिगत था क्योंकि यह प्रोजेक्ट उनके माता-पिता को समर्पित था।

प्रशांत कहते हैं, “मेरे माता-पिता ने इस गाँव में अपना बचपन बिताया और वह इसे हमेशा याद करते थे। मुंबई में रहते हुए वह लगातार यहाँ आने और प्रकृति के करीब जीवन जीने की बात करते थे। उनके सपनों को पूरा करने के लिए मैं घर को कुछ ऐसे डिजाइन करना चाहता था जो पूरी तरह अलग और प्रकृति के करीब हो। इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर मैंने निर्माण कार्य शुरू करने का फैसला किया।”

प्रशांत ब्रिटिश-भारतीय आर्किटेक्ट लॉरी बेकर और नारी गांधी से प्रेरित हैं।

फ्री-फ्लोइंग आर्किटेक्चर

घर की बनावट के पीछे मुख्य उद्देश्य इसमें प्राकृतिक परिवेश को उभारना था। फ्री-फ्लोइंग डिजाइन, घुमावदार और गोल दीवार, खुली जगहें और छेद वाली दीवारों के कारण घर के अंदर पर्याप्त रोशनी और हवा दोनों आती हैं।

इसके अलावा घर के निर्माण में सस्टेनेबल और स्थानीय निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया। पूरी तरह तो नहीं लेकिन घर का अधिकांश हिस्सा ब्लैक बेसाल्ट पत्थर, ईंट, लकड़ी और कडप्पा बांस से बनाया गया है। ये सभी जैविक सामग्री हैं। हालाँकि घर की मजबूती को बनाए रखने के लिए सिर्फ कुछ जगहों पर कंक्रीट का इस्तेमाल भी किया गया है।

प्रशांत बताते हैं कि कम खर्च में घर बनाने और निर्माण कार्य के प्रभाव से प्रकृति को बचाने के लिए हमने कच्ची निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया।

प्रशांत कहते हैं, “यह घर आम घरों की तरह बंद नहीं है, बल्कि लगभग सभी ओर से खुला है। इसके अलावा, घर के अंदर और बाहर दोनों ही जगह का नजारा प्राकृतिक है। जैसा कि हमने ईंट और पत्थर की दीवारों पर किसी भी प्लास्टर का इस्तेमाल नहीं किया और इसके बजाय इन कच्चे प्राकृतिक सामग्रियों की सुंदरता को उभारने की कोशिश की। इसने घर के टेक्सचर को बढ़ा दिया। साथ ही साथ इमर्सिव ऑर्गेनिक आर्किटेक्चर भी हमारा एक बड़ा लक्ष्य था, जो इस घर में नजर आता है।”

इन सामग्रियों के इस्तेमाल के कारण न केवल निर्माण का खर्च कुल 20 लाख रुपये (सौर पैनलों को मिलाकर) में सिमट गया, बल्कि इसमें बहुत अधिक बिजली और एयर कंडीनशर का इस्तेमाल किए बिना आरामदायक सुख सुविधाओं का ध्यान रखते हुए इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया।

प्रशांत कहते हैं, “हमने कई निर्माण तकनीकों को आजमाया। जैसे कि आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम भाग सबसे गर्म होता है क्योंकि यह कड़ी धूप के संपर्क में होता है, इसलिए हमने यह सुनिश्चित किया कि दक्षिण-पश्चिम वाला सेक्शन इस संरचना का उच्चतम हिस्सा होगा जो घर के बाकी हिस्सों को गर्मी से बचा सकता था। क्रॉस वेंटिलेशन के लिए लगी कई खिड़कियों और खुली जगहों से परे हमने रैट-ट्रैप बॉन्ड नामक एक दिलचस्प ब्रिकवर्क टेक्निक का इस्तेमाल किया, जिससे ईंटों को सीधे की बजाय लम्बाई में लगाया गया है ताकि दो ईंटों के बीच एक गैप छोड़ा जा सके और इससे दीवार के अंदर एक कैविटी बने। यह कैविटी बाहर से गर्मी को दीवार के अंदर जाने से रोकती है।”

यहाँ तक ​​कि छत को मिट्टी के बने स्थानीय बर्तनों और मिट्टी की टाइलों का इस्तेमाल करके बहुत कुशलता से डिजाइन किया गया है जो घर के ऊपर एक टापूनुमा है। इसे सपोर्ट के लिए छत के निचले हिस्से पर लगाया गया है जिससे कंक्रीट का इस्तेमाल भी कम हो।

सस्टेनेबल लाइफस्टाइल

घर के अंदरूनी हिस्से का इंटीरियर भी प्रशांत और उनकी टीम ने इस तरह से डिजाइन किया है जिससे इसमें काफी जगह और हल्केपन का एहसास होता है। उनका कहना है कि यह पैसिव डिजाइन टेक्नोलॉजी का हिस्सा है, जिसमें एनर्जी और पैसों की बचत होती है और पर्यावरण का भी फायदा मिलता है।

घर के बीच में खुला आँगन इस तकनीक का एक दूसरा उदाहरण है। महाराष्ट्र के साथ-साथ दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में पारंपरिक वास्तुकला से प्रेरित घर के बीच के आँगन के साथ खुले रोशनदान की इंट्रोवर्टेड डिजाइन को स्थानीय रुप से चौक कहा जाता है। यह परिवार के इकट्ठा होने के लिए एक बेहतर जगह है।

इसके लिए, प्रशांत ने आँगन के कोने में एक शेडेड वॉटरबॉडी लगाई है, जिसमें ठंडा पानी बहता है। यह न केवल घर के सौंदर्य को बढ़ाता है बल्कि घर को ठंडा भी रखता है।

इसके अलावा, कलर्ड आक्साइड के कॉम्बिनेशन के साथ इंडियन पेटेंट स्टोन (IPS) फ्लोरिंग का इस्तेमाल घर के इंटीरियर की शोभा को बढ़ा देता है।

“हमने फर्श के लिए कई रंगीन ऑक्साइड का इस्तेमाल किया है, ताकि घर में लाल और भूरे रंग के डोमिनेटिंग मोनोक्रोम टेक्सचर को तोड़ा जा सके। जैसे कि एक बेडरूम में पीली आईपीएस फ्लोरिंग है जबकि रसोई का फर्श हरा है। दूसरे बेडरूम का फर्श नीला है। लिविंग रूम का फर्श नीले और पीले ऑक्साइड फ्लोरिंग का कॉम्बिनेशन है।”

कम लागत में प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए वास्तुकारों ने सिर्फ बीम और खंभों के लिए लकड़ी का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल हर निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया है। ये खंभे स्थानीय सूखी लकड़ी की डालियों से बने हैं। बेड, सीटिंग और किचन स्लैब जैसे फर्नीचर फेरो-सीमेंट से बने हैं।

2500 वर्ग फुट में फैले इस  क्षेत्र में बने 2 मंजिला घर में पहली मंजिल पर एक बेडरूम और ग्राउंड फ्लोर पर किचन के साथ दो बेडरूम, आंगन और लिविंग रूम हैं। और ये सभी कमरे गोल घुमावदार दीवारों के पीछे बने हुए हैं, जो किसी को भी खुलेपन का एहसास कराते हैं।

लेकिन इस घर का सस्टेनबिलिटी फैक्टर यहीं खत्म नहीं होता है। 2 एकड़ के भूखंड पर निर्मित ब्रिक हाउस में  800 वर्ग फुट में न केवल एक ईंट और कंक्रीट की दीवारों वाला स्विमिंग पूल फैला हुआ है, बल्कि यहाँ पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेत भी हैं जहाँ विट्ठल दपारे और उनका परिवार चावल, फल और कई प्रकार की सब्जियाँ उगाते हैं।

विट्ठल दपारे कहते हैं, “सब्जी और फलों के बगीचे के बीच अपनी धान की फ़सलों को देखकर मुझे बहुत खुशी मिलती है। मुझे खुशी है कि मेरे बेटे ने मुझे रहने के लिए यह छोटा सा स्वर्ग बना दिया।”

घर में सौर ऊर्जा का भरपूर इस्तेमाल होता है और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर काम चल रहा है। जहाँ तक कचरे के प्रबंधन की बात है, तो यह परिवार कोई गीला कचरा उत्पन्न नहीं करता है और इन्हें खाद में बदलकर बगीचे में इस्तेमाल किया जाता है। स्विमिंग पुल का पानी पूरी तरह क्लोरिन-फ्री है और यह बगीचे से जुड़ा है। इससे सफाई और रखरखाव के दौरान एक भी बूंद पानी बर्बाद नहीं होता है।

ग्रामीण अनुभव को बढ़ावा देना

स्थायी जीवन जीने के अपने माता-पिता के प्रयासों के जरिए प्रशांत ने एक सकारात्मक उदाहरण स्थापित करना चाहा और 2017 में अपना वेंचर अर्थबाउंड गेटवेज शुरू किया। 2018 में आईस्टूडियो आर्किटेक्चर के भी बंद होने के तुरंत बाद वह पर्यावरण के अनुकूल आर्किटेक्चरल प्रोजेक्ट पर फोकस करने लगे। इस दौरान उन्होंने ग्रामीण पर्यटन के माध्यम से सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को बढ़ावा दिया।

“जब हमने ब्रिक हाउस का निर्माण किया उसके बाद हमें वीकेंड में घर में रहने के लिए कई रिक्वेस्ट मिलने लगे। इसलिए मैंने 2017 में इसे Airbnb से जोड़ने का सोचा। अर्थबाउंड गेटवे के तहत मैं इस तरह से एक और होमस्टे का निर्माण कर रहा हूँ, जो हमारे घर से पाँच मिनट की दूरी पर है। यह एक पहाड़ी पर 5 एकड़ जमीन में फैला है। यह 100% प्राकृतिक सामग्रियों से बना एक कोब हाउस बनने जा रहा है। मुझे उम्मीद है कि ये प्रयास वास्तुकला क्षेत्र में और उससे आगे भी एक सकारात्मक मिसाल कायम करेंगे ”, प्रशांत कहते हैं।

मूल लेख-ANANYA BARUA

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