Site icon The Better India – Hindi

वाटर लिली के पैशन को बनाया बिज़नेस, IT कंपनी में जॉब के साथ, इससे भी होती है अच्छी कमाई

महाराष्ट्र के ठाणे में रहने वाले सोमनाथ प्रदीप पाल कई सालों से गार्डनिंग कर रहे हैं। उनकी गार्डनिंग की खास बात यह है कि वह अलग-अलग किस्म के वाटर लिली और कमल के फूल उगाते हैं। सोमनाथ सिर्फ वाटर लिली और कमल के फूल उगा ही नहीं रहे हैं बल्कि वह इनकी हाइब्रिड किस्में भी तैयार करते हैं। साथ ही, इनके बल्ब और ट्यूबर तैयार करके वह कमर्शियल स्तर पर बेचते भी हैं।

गार्डनिंग के प्रति उनका लगाव बचपन से ही रहा है। फ़िलहाल, वह एक आईटी फर्म में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर काम कर रहे हैं और इसके साथ-साथ वह वाटर लिली और कमल के फूल भी उगा रहे हैं। सोमनाथ कहते हैं कि गार्डनर से लेकर हाइब्रिडाइज़र और सेलर बनने का सफ़र एक दिन में उन्होंने तय नहीं किया है।

“मैं बचपन से ही पेड़-पौधे लगाता था। हम किराए के घर में रहते थे तो हर बार घर बदलने के वक़्त पेड़-पौधों को शिफ्ट करने की परेशानी आती थी। कहीं अगर जगह होती घर में तो मैं अपने पौधों को ले जाता और अगर नहीं होती तो आस-पड़ोस में उन्हें बाँट देता था। आज भी हम किराए के घर में ही रहते हैं लेकिन इतने सालों से पौधों को इधर-उधर करते-करते मैं थक गया और वाटर लिली के प्रति मेरा लगाव बहुत ज्यादा हो गया। इसलिए हमने घर बनाने के लिए जो ज़मीन ली थी मैंने उस पर ही अपने पौधे उगाना शुरू कर दिया,” उन्होंने आगे बताया।

Somnath Pal

वाटर लिली के बारे में बात करते हुए सोमनाथ कहते हैं कि वह लगभग 16-17 साल के रहे होंगे जब उन्हें पहली बात वाटर लिली को जाना। वह बताते हैं कि एक बार वह अपनी बड़ी बहन के साथ नर्सरी गए थे। उस वक़्त उन्होंने नर्सरी में वाटर लिली के पौधे देखे और वह दिखने में इतने आकर्षक थे कि सोमनाथ ने ठान लिया अब वह भी वाटर लिली उगाएंगे।

“उस वक़्त मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं खरीद पाता और बहन से मैंने कहा भी नहीं। मैंने इसके बाद अपने घर की छत पर ही वाटर लिली उगाने की ठानी। शुरू में कई बार फेल भी हुआ पर फिर धीरे-धीरे सफलता मिली,” उन्होंने कहा।

सोमनाथ जैसे-जैसे आगे बढ़े, वाटर लिली के बारे में उनकी जिज्ञासा बढ़ती गई। उन्होंने वाटर लिली के बारे में काफी पढ़ा-जाना और एक्सपेरिमेंट भी किया। पेड़-पौधे लगाने के साथ-साथ सोमनाथ ने वाटर लिली के बीज भी इकट्ठा करना शुरू किया। वह बताते हैं कि जब उनके पास अच्छी मात्रा में बीज इकट्ठे हो गए तो उन्होंने बीज को बेचना शुरू किया। उन्होंने eBay पर बीज की बिक्री की और उन्हें काफी अच्छा रिस्पांस मिला। चंद महीनों में उन्होंने लगभग 20 हज़ार रुपये के बीज बेचे।

बीज के मामले में कमर्शियल तौर पर उन्हें सफलता मिल गई। इसके बाद उनका मनोबल बढ़ने लगा और उन्होंने वाटर लिली व कमल के फूल भी बड़े स्तर पर उगाना शुरू किया। फिलहाल, वह 11,000 स्क्वायर फीट की जगह में 30 किस्म के कमल के फूल और लगभग 100 किस्म के वाटर लिली उगा रहे हैं।

अपने वाटर लिली और कमल के फूलों और किस्मों के लिए उन्हें न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है। कुछ समय पहले International Waterlily and Water Gardening Society (IWGS) जर्नल के जुलाई अंक में उन्हें बतौर ‘हाइब्रिडाइज़र’ फीचर किया गया।

सोमनाथ कहते हैं कि कमर्शियल सफलता से भी ज्यादा उनका उद्देश्य दुनिया का सबसे अच्छा हाइब्रिडाइज़र बनने का है। “सीजन में मुझे बहुत से ऑर्डर्स आते हैं लेकिन मैं हर किसी को ट्यूबर और बल्ब नहीं भेजता। मार्केट में ग्राहक चुनते हैं कि वह किससे चीजें खरीदेंगे लेकिन मेरे मामले में यह थोड़ा अलग है। मैं खुद अपने ग्राहक चुनता हूँ जो इन पौधों को वैसे ही देखभाल दे पाएं जितनी मेहनत से मैंने इन्हें तैयार किया है। मैं चाहता हूँ कि मैं वाटर लिली की दुर्लभ किस्में इकट्ठा करूँ और अच्छी से अच्छी किस्में हाइब्रिड करके बनाऊं।”

He has got his varieties registered

कैसे लगा सकते हैं घर में वाटर लिली:

सोमनाथ कहते हैं कि वाटर लिली और कमल, दोनों ही पौधे गर्म तापमान पसंद हैं। इसलिए आप इन्हें घर की छत पर लगाएं जहाँ सीधी धूप आती हो। वाटर लिली के लिए धूप बहुत ज्यादा ज़रूरी है। वाटर लिली आप ठंडी जगहों पर या फिर ठंड के मौसम के नहीं लगा सकते हैं। गर्मियों के मौसम में ये बहुत अच्छे से लगते और खिलते हैं।

“वाटर लिली को आप बीज के अलावा ट्यूबर, बल्ब और इसके फूल-पत्तियों से भी प्रोपेगेट कर सकते हैं। लेकिन आपको इसकी अच्छी देखभाल करनी होती है और वक़्त के साथ अनुभव से आप कर पाते हैं। इसलिए कोशिश करें और अगर फेल हो जाएँ तो निराश न हो क्योंकि अगर आप सच्चे मन से मेहनत करेंगे तो सफल ज़रूर होंगे,” उन्होंने आगे कहा।

सोमनाथ वाटर लिली को बीज से लगाने का तरीका बता रहे हैं।

सोमनाथ कहते हैं कि वाटर लिली ठहरे हुए पानी में ज़्यादा अच्छे से पनपते हैं। इसलिए बहुत ज़्यादा पानी को हिलाएं नहीं और हफ्ते भर में पानी बदलते रहें। सबसे ज़्यादा ध्यान आपको एल्गी यानी कि काई का रखना होता है। जब आप वाटर लिली को एनपीके जैसे फ़र्टिलाइज़र देते हैं तो यह धूप की वजह एल्गी भी पैदा करते हैं। इसलिए आपको ध्यान देना है कि आपने पानी में एल्गी न हो। इसके लिए आप या तो पहले मिट्टी में ही अच्छे से खाद दे दें ताकि बहुत ज़्यादा पोषण बाद में न देना पड़े।

दूसरा तरीका है कि आप जितना ज़्यादा स्पेस पौधे को देंगे उतनी ही कम इसमें एल्गी होगी। क्योंकि ज़्यादा जगह में एल्गी बनने में समय लगता है। ज़्यादा अच्छी जगह होने से आपके फूल भी बड़े खिलते हैं। इसलिए इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें।

सोमनाथ कहते हैं कि सीजन में वह वाटर लिली और कमल के ट्यूबर, बल्ब आदि की बिक्री करके अच्छा-खासा कमा लेते हैं। कई बार तो महीने में उनकी बिक्री एक लाख रूपये से ज़्यादा की भी हो जाती है।

“लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं सिर्फ कमर्शियल के लिए ही बागवानी कर रहा हूँ। यह मेरा पैशन है और मुझे बहुत ख़ुशी होती है जब फूल तैयार होते हैं,” सोमनाथ ने अंत में कहा।

अगर आप सोमनाथ से सम्पर्क करना चाहते हैं तो आप फेसबुक पर उनका ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं या फिर उन्हें 9004603931 पर फ़ोन कर सकते हैं! उनसे वाटर लिली और कमल के फूल के ट्यूबर और बल्ब खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें!

अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!

यह भी पढ़ें: राजस्थान: अकाउंटेंट की नौकरी छोड़ शुरू किया नर्सरी बिज़नेस, करते हैं लाखों का कारोबार
संपादन – जी. एन. झा


यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है, या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ साझा करना चाहते हो, तो हमें hindi@thebetterindia.com पर लिखें, या Facebook और Twitter पर संपर्क करें। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो 7337854222 पर व्हाट्सएप कर सकते हैं।

Exit mobile version