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रोबोट की तरह इस्तेमाल हो सकता है यह EV, आएगा भारतीय सेना के काम

चेन्नई स्थित स्टार्टअप Torus Robotics भारतीय सेना के लिए मानव-रहित जमीनी वाहन (Unmanned Ground Vehicles)  तैयार कर रहा है। इन वाहनों को रोबोट्स की तरह चलाया जा सकता है और इन्हें एक सुरक्षित दूरी से इस्तेमाल किया जा सकता है। इस स्टार्टअप के फाउंडर विग्नेश कंडासामी, कार्तिकेयन बी और विभाकर सेंथिल हैं। 

द बेटर इंडिया से बात करते हुए विग्नेश ने बताया, “बिजली से चलने वाले इन वाहनों को इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस (आईईडी) का पता लगाने, पहचानने और उसे नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस वाहन को एक किलोमीटर तक की सुरक्षित दूरी से चलाया जा सकता है। इसे जगहों की खोज करने और जानकारी इकट्ठा करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।”

पढ़ाई के दौरान ही शुरू किया काम 

साल 2012 में विग्नेश, कार्तिकेयन और विभाकर की मुलाक़ात हुई थी। उन्होंने एसआरएम इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी से मैकेट्रॉनिक्स में बीटेक किया है। अपने कॉलेज के पहले साल में ही, इन तीनों ने एक रोबोटिक्स प्रोग्राम में एनरोल कर लिया था। विग्नेश बताते हैं, “इस कोर्स में, हमें पहले से मौजूद समस्या की पहचान करना था और रोबोटिक्स के जरिए इसका समाधान बनाना था। हम तीनों की ही दिलचस्पी भारतीय सेना में है और इसलिए हमने डिफेंस सेक्टर में रिसर्च शुरू की।”

कोर्स के शुरुआती सालों में, इन तीनों ने मिनिएचर रोबोट विकसित किए, जो निगरानी में मदद कर सकते हैं। उन्होंने सौर ऊर्जा से चलने वाला सिंगल सीट वाहन भी बनाया था। विग्नेश कहते हैं, “हमारे कई प्रोजेक्ट कुछ कॉलेज स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए चुने गए और इनमें से कुछ हमने जीते भी।” इससे उन्हें 2016 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, अपनी खुद की कंपनी शुरू करने की प्रेरणा मिली। हालांकि, इन तीनों को यह समझने के लिए समय चाहिए था कि किस तरह के समाधान वे विकसित करेंगे और साथ ही, उन्हें निजी निवेशकों की भी तलाश थी। 

The co-founders of Torus Robotics

एक बिज़नेस चलाने के लिए खुद को अपस्किल करना जरुरी था और इसके लिए उन्हें SRM यूनिवर्सिटी ने फुल-स्कॉलरशिप पर एमबीए कोर्स में दाखिला दिया। विग्नेश कहते हैं, “साल 2018 तक, हम एमबीए कर रहे थे और साथ में, हम ऐसे एक्सपर्ट्स से भी मिल रहे थे जो हमें आईडिया दे सकें कि भारतीय सेना को जमीनी स्तर पर किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।”.

खतरों का पता लगाने के लिए समाधान 

साल 2018 के अंत तक, इन तीनों का एक सरकारी संगठन, आर्मी डिज़ाइन ब्यूरो से संपर्क हो गया। इस संगठन को भारतीय सेना की तत्काल जरूरतों को समझने और स्टार्टअप्स या निजी कंपनियों के माध्यम से समाधान तैयार कराने के लिए बनाया गया है। 

विग्नेश कहते हैं, “इस संगठन की मदद से, हमने भारतीय सेना की समस्याओं को विस्तार से समझना शुरू किया। इसमें, ऊंचाइयों पर भारी वजन लेकर चढ़ना, घुसपैठियों की तलाश करना, आईईडी का पता लगाना और बहुत कुछ शामिल था। जल्द ही, हमें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) से एक प्रोजेक्ट भी मिला। हमें एक ऐसा डिवाइस बनाना था, जो जगहों का पता लगा सके और अज्ञात वस्तुओं की निगरानी/छानबीन कर सके।” 

साल 2019 की शुरुआत में टीम ने UGV बनाना शुरू किया और 2019 के अंत तक औपचारिक तौर पर अपनी कंपनी, Torus Robotics को रजिस्टर किया। यह चेन्नई के अम्बत्तूर में स्थित है।  

टीम को जिन मुख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ा उनमें से एक वाहन के निर्माण के लिए पार्ट्स खरीदना था। ज्यादातर पार्ट्स को दूसरे देशों से आयात करना था। इस काम में न सिर्फ ज्यादा समय लग रहा था, बल्कि यह महंगा भी था। अतिरिक्त लागत से बचने के लिए, उनके वाहन के सभी पार्ट्स का निर्माण चेन्नई में किया गया। 

Torus Robotics presenting their UGV at Aero India exhibition.

भारत सरकार के साथ साइन किया समझौता ज्ञापन

यह डिवाइस एक इलेक्ट्रिक टैरेन व्हीकल है, जिसमें एक रोबोटिक हाथ लगा हुआ है। यह सूटकेस या बैग जैसे अज्ञात चीजों को उठाकर, इन्हें IED के लिए चेक कर सकता है। 

वह आगे कहते हैं, “एक बार फाइनल वर्जन तैयार होने के बाद, डिवाइस को DRDO को सबमिट कर दिया गया, ताकि इसके प्रदर्शन का परीक्षण किया जा सके।” सभी जरुरी टेस्ट पास करने के बाद, फरवरी 2021 में आयोजित वार्षिक ऐरो इंडिया एग्जिबिशन में प्रदर्शित किया गया। इस आयोजन में, टीम ने UGV के उन्नत संस्करण (एडवांस्ड वर्जन) को विकसित करने के लिए भारत सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस UGV को भारत की सीमा पर तैनात किया जाएगा।

यह वाहन जवानों को भारी सामान उठाने के बोझ से मुक्त करने के लिए बनाया जाएगा। इस UGV को ऐसे उपकरण को ले जाने के लिए बनाया जायेगा, जिसे ऊंचाई पर ले जाने के लिए 10 जवानों की जरूरत पड़ती है। 

यह टीम इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी भी बना रही है। अगर आप उनके बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो torus@nandan.co.in पर ईमेल कर सकते हैं। 

मूल लेख: रौशनी मुथुकुमार 

संपादन- जी एन झा

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