अक्सर रिटायरमेंट के बाद, लोगों को भजन-कीर्तन करने, नाती-पोते के साथ खेलने या तीर्थ यात्रा पर जाने की सलाह मिलती है। ऐसे में, अगर 70 साल के बुजुर्ग कपल, बुलेट बाइक से लम्बी यात्रा करते या पैराग्लाइडिंग और रिवर राफ्टिंग जैसी रोमांचक चीजें करते दिखें, तो आप निश्चित ही हैरान हो जाएंगे।
कौन कहता है कि इस उम्र में ये सब करना मुश्किल काम है? दिल्ली के योगेश्वर (73) और सुषमा (69) भल्ला के लिए तो यही जीवन जीने का सही तरीका है। समय मिलते ही अपनी बुलेट पर सवार होकर एक लॉन्ग ड्राइव पर जाना, साइकिलिंग करना और जितना हो सके दुनिया के अनदेखे हिस्से की सैर करना, कुछ ऐसा ही है इस बुलेट कपल का जीवन। इन्हें लोग प्यार से योगी और सुषी बुलाते हैं।
कैसे शुरू हुआ इनका यह सुहाना सफर?
द बेटर इंडिया से बात करते हुए योगेश्वर बताते हैं, “मुझे बचपन से ही ड्राइविंग का शौक़ रहा है। मैं स्कूल भी साइकिल से ही जाया करता था। इसके अलावा, समय मिलते ही, मैं दूर कहीं घूमने भी निकल पड़ता था। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ, तो बाइक चलाने में भी माहिर हो गया। मेरी नौकरी लगते ही घरवालों को बिना बताए, मैंने तकरीबन 6,300 रुपये में एक बुलेट बाइक खरीदी थी। उस समय 6,300 रुपये की काफी अहमियत थी।”
बस फिर क्या था, बुलेट मिलते ही जैसे उन्हें उड़ने के लिए पंख मिल गए। दिल्ली के आस-पास की हर जगह उन्होंने अपने बुलेट से ही घूम ली और जल्द ही उन्हें एक बेहतरीन ट्रेवल पार्टनर भी मिल गया। साल 1976 में, वह अपनी पत्नी सुषमा से पहली बार मिले और शादी के बाद साथ मिलकर घूमने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह आजतक जारी है।
सुषी यानी सुषमा बताती हैं, “हालांकि, मैंने शादी के पहले ज्यादा यात्राएं नहीं की थी, लेकिन बुलेट पर अपने पति के साथ घूमना मुझे बेहद पसंद है।” शादी के बाद सबसे पहली बार, यह कपल बुलेट पर सवार होकर दिल्ली से शिमला गया था।
भल्ला परिवार ने साथ में की कई छोटी-बड़ी यात्राएं
यात्रा के शौक़ीन योगेश्वर ने अपने दोनों बच्चों और पत्नी के साथ कई शहरों की यात्रा की हैं। चूँकि उन्हें ड्राइविंग करना बेहद पसंद है, इसलिए वह जहां भी जाते हैं, अपनी कार लेकर ही जाते हैं। उन्होंने बताया, “कभी-कभी हम कहीं पहुंचने के लिए तो ट्रेन या हवाई जहाज का सहारा ले लेते हैं, लेकिन वहां पहुंचकर हम कार से ही घूमना पसंद करते हैं। इस दौरान, गाड़ी योगेश्वर खुद ही चलाते हैं।”
योगेश्वर कहते हैं, “मेरे दोनों बच्चों को भी मेरी तरह ही ड्राइविंग का शौक़ है।” साल 2011 तक वे दोनों अपने बच्चों की पढ़ाई और शादी जैसी जिम्मेदारियों से मुक्त हो गए थे। उनका बेटा विदेश में रहता है और बेटी दिल्ली में ही रहती हैं। योगेश्वर और सुषमा समय-समय पर अपने दोनों बच्चों के पास जाते रहते हैं। लेकिन अपना ज्यादातर समय वह घूमने-फिरने में ही बिताते हैं।
रिटायरमेंट के बाद शुरू की नई पारी
योगेश्वर मानते हैं कि असल जिंदगी वह रिटायर होने के बाद ही जी रहे हैं। चूँकि वह जीवन की सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो चुके हैं, इसलिए अब वह जब चाहे घूमने निकल सकते हैं।
योगेश्वर ने साल 2011 में काम करना बंद कर दिया था और सुषमा, जो स्कूल में पढ़ाया करती थीं, उन्होंने भी उसी साल रिटायरमेंट ले ली थी। अब वह अपनी सेविंग और पेंशन से मिलने वाले पैसों का इस्तेमाल घूमने के लिए करते हैं। वे जब अपने बेटे के पास विदेश जाते हैं, तो वहां भी कार या बेटे की बुलेट लेकर अलग-अलग जगहों की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। इस तरह, वह अब तक दुनिया के 22 देश घूम चुके हैं। जिसमें बेल्जियम, भूटान, दुबई, जर्मनी, रोम, स्विज़रलैंड, टर्की आदि शामिल हैं।
अपने सबसे यादगार सफर के बारे में बात करते हुए योगेश्वर बताते हैं, “मेरी जानेमन, गूलेगुलज़ार (पत्नी) को वेनिस देखने का बहुत मन था। अभिनेता अमिताभ बच्चन और ज़ीनत अमान पर फिल्माया गीत-दो लफ्जों की है दिल की कहानी गीत गाते हुए, हमने वहां अपनी नई कहानी भी लिखी। वे पल, वे लम्हें आज तक हमारे दिलो दिमाग पर छाए हुए हैं।”
यात्रा से जुड़ी यादें
यात्रा के दौरान चखे सबसे बेहतरीन भोजन को याद करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी को सी-फ़ूड नहीं पसंद, लेकिन अपनी थाईलैंड और मलेशिया की यात्रा के दौरान उन्हें हर जगह सी-फ़ूड ही मिलता था। तभी वहां एक सरदारजी ने उन्हें बताया कि यहां एक भारतीय ढाबा भी है। उस ढाबे में थाई लड़कियां फुल्का और पनीर की सब्जी परोस रही थीं, जिसे खाकर उन्हें परदेश में देश की याद आ गई थी।
हालांकि वे जहां भी जाते हैं, वहां का लोकल फ़ूड खाना ही पसंद करते हैं।
वे दिल्ली के एक बाइकर्स ग्रुप के भी मेंबर हैं। जहां वे कई नौजवानों के साथ मिलकर दिल्ली के आस-पास की जगहों की यात्रा करते रहते हैं।
बाइकर्स ग्रुप के साथ, अपनी ऋषिकेश यात्रा के दौरान, उन्होंने 69 की उम्र में रिवर राफ्टिंग का लुत्फ उठाया था। वह कहते हैं, “हालांकि पहले मुझे राफ्टिंग की परमिशन नहीं मिल रही थी। लेकिन ग्रुप के बच्चों ने कहा की अगर अंकल और आंटी रिवर राफ्टिंग नहीं करेंगे, तो हम भी नहीं करेंगे। इसके बाद हमें स्पेशल परमिशन दी गई।”
इसी तरह उन्होंने नेपाल के पोखरण में करीब 68 की उम्र में पैराग्लाइडिंग का भी आनंद उठाया है।
इसी साल मार्च में, योगेश्वर के घुटनों का ऑपरेशन हुआ और डॉक्टर ने उन्हें बाइक चलाने और ज्यादा घूमने-फिरने से परहेज करने को कहा था। उन्हें कुछ समय तक छड़ी के सहारे ही चलने की सलाह दी गई थी। लेकिन वह ऐसी परिस्थितियों से डरने या हारने वालों में से तो बिल्कुल नहीं हैं, उन्होंने न छड़ी उठाई और न ही घूमना छोड़ा।
योगेश्वर ने मसूरी में 1 सितम्बर को अपना 73वां जन्मदिन मनाया। वह नियमित बुलेट और कार दोनों चलाते हैं।
आने वाले ट्रिप्स के बारे में सुषमा बताती हैं, “हमारी ज्यादातर यात्राएं बिना किसी प्लानिंग के होती हैं। फ़िलहाल हम हिमाचल जाने के बारे में सोच रहे हैं।”
अपने जैसे हर एक रिटायर्ड कपल को योगी और सुषी जीवन को पूरी जिंदादिली के साथ जीने की सलाह देते हैं।
आप इनके बारे में ज्यादा जानने या इनसे बात करने के लिए उनके फेसबुक पेज पर संपर्क कर सकते हैं।
संपादन- अर्चना दुबे
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