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UPSC Telegram Channel चलाकर कर रहे हैं छात्रों की मदद, पांचवी बार में की थी सफलता हासिल

परीक्षा के दिन हुआ सड़क हादसा, फिर भी नहीं टूटा हौसला, पढ़िए IPS Shubham Agrawal की प्रेरक कहानी

अगर आपसे पूछा जाए कि सबसे कठिन परीक्षा कौनसी है, तो सबसे पहला नाम लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा का ही आता है। यूपीएससी परीक्षा में करीब 800 सीटों के लिए हर साल लाखों परीक्षार्थी शामिल होते हैं। इसके तहत उम्मीदवारों को प्रीलिम्स, मैन्स और इंटरव्यू के आधार पर परखा जाता है।

अक्सर देखा जाता है, परीक्षार्थी यूपीएससी में दो-तीन बार असफल होने के बाद, हार मान लेते हैं और जीवन में कोई दूसरा काम करने का फैसला कर लेते हैं। लेकिन, आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने पांचवीं बार में न सिर्फ इस परीक्षा में सफलता हासिल की, बल्कि 153वीं रैंक के साथ आईपीएस भी बने।

यह कहानी है मध्य प्रदेश के रहने वाले शुभम अग्रवाल (IPS Shubham Agrawal) की। शुभम मूल रूप से ग्वालियर के डबरा गांव के रहनेवाले हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव में ही हुई। फिर, वह आगे की पढ़ाई के लिए भोपाल चले गए।

कैसे मिली प्रेरणा

आईपीएस शुभम अग्रवाल (IPS Shubham Agrawal) ने द बेटर इंडिया को बताया, “मैं बीते 7 वर्षों से यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। मैं लगातार चार बार प्रीलिम्स में सफल हुआ। मैंने 2019 में मैन्स भी क्लियर किया, लेकिन मुझे सफलता यूपीएससी 2020 में मिली। यह मेरा पांचवां प्रयास था।”

आईपीएस शुभम अग्रवाल

वह आगे कहते हैं, “मेरे पिताजी  भोपाल में बिजनेस करते हैं। उन्होंने ही मुझे यूपीएससी के लिए प्रेरित किया। फिर, यूपीएससी मेरा जुनून बन गया। यह एक ऐसी सेवा है, जिसमें आप एक साथ कई चीजें कर सकते हैं और लोगों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं।”

पहला कदम

शुभम बताते हैं, “2014 में भोपाल के एक्सीलेंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद, मैं यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली आ गया और कोचिंग लेने लगा। 2016 में, मैंने अपने पहले प्रयास में प्रीलिम्स क्लियर कर लिया, लेकिन मुझे समझ में ही नहीं आया कि मैन्स में क्या करना है! मैंने नोट्स बनाने से लेकर उत्तर लिखने तक में कई गलतियां की।”

वह आगे बताते हैं, “पहली बार में असफल होने के बाद, मैं काफी निराश हुआ। लेकिन मुझे घरवालों का सपोर्ट था और उन्होंने मुझे कभी परेशान न होने के लिए कहा। मेरा मन भी यही कह रहा था कि मैं यह कर सकता हूं। लेकिन, सच कहूं तो दूसरी और तीसरी बार के बाद अपनी हिम्मत हार चुका था। मेन्स में लगातार फेल होने के बाद, मैं कैरियर में कुछ और करने के बारे में सोचने लगा था।”

फिर, शुभम ने मेडिटेशन और एक्सरसाइज करना शुरू कर दिया। इससे उन्हें मानसिक शांति और मजबूती मिली।

वह कहते हैं, “यहां से मैंने नतीजे की चिन्ता किए बगैर अपने प्रोसेस को परफेक्ट करना शुरू किया। क्योंकि, मुझे अहसास हुआ कि यदि मैं अपना 200 फीसदी दे रहा हूं और आज खुद को कल से बेहतर बना रहा हूं, तो यह सिर्फ कुछ समय की बात है, मैं सफलता जरूर हासिल करूंगा।”

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टर्निंग प्वाइंट

शुभम बताते हैं, “अब तक मेरा दोस्तों का एक ग्रुप बन गया था। हमने एक साथ काफी अनुशासन के साथ तैयारी की और एक-दूसरे से काफी कुछ सीखने के लिए मिला।”

वह आगे कहते हैं, “पांचवें प्रयास के दौरान मुझे यह समझ में आया कि यूपीएससी में सफल होने के लिए सिर्फ ज्ञान नहीं, रणनीति की भी जरूरत है। मैं कितना भी पढ़ लूं, लेकिन परीक्षा में 250 शब्द ही तय करेंगे कि नतीजा क्या होता है। इसलिए लिखना ऐसे है कि मुझे ब्रह्मांड आता है। इस रणनीति के कारण जीएस में कम से कम 60 अंकों का फर्क आया।”

शुभम बताते हैं कि 2019 में पहली बार इंटरव्यू के दौरान, वह काफी नर्वस थे, लेकिन 2020 में वह काफी सहज रहे। जिस वजह से वह इंटरव्यू में सवालों का उस तरीके से जवाब दे पाए, जैसा वह देना चाहते थे। 

अपने परिवार के साथ शुभम अग्रवाल

शुभम ने अपना वैकल्पिक विषय फिलॉसफी रखा था। वह कहते हैं, “इस विषय के तैयारी के लिए दुनिया के हर पहलू को गहराई से समझने की जरूरत होती है। चार असफलता के बाद, मैंने अपनी नेगेटिविटी को दूर करने के लिए मेडिटेशन और एक्सरसाइज के अलावा, प्रकृति से भी जुड़ने की कोशिश की। आध्यामिक तौर पर प्रकृति से जुड़ने से मुझे एक उम्मीद मिली।”

वह बताते हैं कि इस बार उन्होंने खुद से शार्ट नोट्स बनाए और उन्हें किताबों को छूने की जरूरत नहीं पड़ी। उन्होंने विषयों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट कर, उत्तर लिखने की खूब प्रैक्टिस की।

शुभम का मानना है कि आज इंटरनेट पर हर जानकारी सिर्फ एक क्लिक दूर है। ऐसे में परीक्षा में शामिल होने वाले अधिकांश छात्रों को बेसिक जानकारी तो होती है। लेकिन फर्क यह पैदा करता है कि आप उस जानकारी का रणनीतिबद्ध तरीके से इस्तेमाल कैसे करते हैं।

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परीक्षा के दिन हुए हादसे का शिकार

आखिरी साल जीएस-3 पेपर के दिन वह सड़क हादसे की चपेट में आ गए। 

वह कहते हैं, “मैं परीक्षा दिल्ली में दे रहा था। परीक्षा 9 बजे से शुरू होने वाली थी और मैं 8:45 तक सेंटर पहुंच गया। जैसे ही मैंने अपने गाड़ी का गेट खोला, एक बाइक सवार बीच में घुस गया। इससे मेरे सिर पर चोट लग गई और खून बहने लगा। लेकिन, मैंने सोचा जो हुआ सो हुआ, मेरा भविष्य मेरे सामने खड़ा है। फिर, अपना चेहरा धोया और घाव पर रूमाल बांध कर परीक्षा देने चला गया। यदि मैं उस समय परेशान होता, तो शायद मेरा ध्यान भी भटक जाता।”

अब छात्रों की करते हैं मदद

वह बताते हैं, “मैं अपना एक टेलीग्राम चैनल (UPSC Telegram Channel) भी चलाता हूं, जिससे फिलहाल 1800 से अधिक छात्र जुड़े हुए हैं। वे मुझसे डायरेक्ट मैसेज पर बात कर सकते हैं। यदि कोई बड़ी दिक्कत हो, तो मैं उनसे फोन पर भी बात करता हूं। इस पहल के तहत मेरा मकसद लोगों को सही दिशा दिखाना है।”

ऐसे ही एक छात्र हैं उत्तर प्रदेश के रहने वाले देवांश मोहन द्विवेदी। 

देवांश कहते हैं, “शुभम सर से मेरा परिचय नवंबर 2020 में हुआ था। उस वक्त वह मैन्स की तैयारी कर रहे थे, इसके बावजूद वह हमेशा बड़ी विनम्रता से मेरे सवालों का जवाब देते थे। यहां तक कि वे आधी रात को भी फोन पर बात कर, मेरी मदद करते थे।”

वह कहते हैं, “मैंने उनसे सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि एक इंसान के रूप में भी बहुत कुछ सीखा है। बात चाहे धैर्य और कड़ी मेहनत की हो या ह्यूमर की। अधिकारी बनने के बाद भी, उनके स्वभाव में कोई बदलाव नहीं आया है। वह मेरे बड़े भाई जैसे हैं और मेरा हमेशा मार्गदर्शन करते हैं।”

छात्रों के साथ शुभम अग्रवाल

शुभम बताते हैं कि उन्होंने अपने इस काम के लिए एक मोडेरेटर को भी रखा है, जिसे वह खुद पैसे देते हैं। शुभम हर दिन कम से कम 30-40 छात्रों से बात करते हैं।

वह कहते हैं, “मैं छात्रों से अक्सर कहता हूं कि आप कहां से आए हैं और आपकी क्या दिक्कतें हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। आपको हमेशा यह सोचना चाहिए कि यदि आप यूपीएससी में सफल होते हैं, तो आपका भविष्य कितना सुंदर होगा।”

वह छात्रों से हमेशा नकारात्मक विचारों वाले लोगों से दूर रहने की सलाह देते हैं।

सफल नहीं हुए तो भी बेहतर होगा कल

शुभम कहते हैं, “मैंने लंबे समय तक यूपीएससी की तैयारी की है। इस दौरान कई ऐसे लोग मिले, जिन्होंने काफी अच्छी तैयारी की। लेकिन सफल नहीं हो पाए। फिर भी आज जीवन में काफी अच्छा कर रहे हैं।”

वह कहते हैं, “यूपीएससी की तैयारी एक प्रक्रिया है, जो आपको व्यक्तिगत और पेशेवर, दोनों तरीकों से बेहतर बनाता है। यही वजह है कि आप हर समस्या को हल करने के लिए नया-नया आइडिया सोच पाते हैं।”

शुभम बताते हैं कि यदि आप इंटरव्यू तक जाते हैं, तो असफल होने के बावजूद सरकार द्वारा रोजगार का एक वैकल्पिक साधन दिया जाता है। 

वह कहते हैं, “यदि तमाम कोशिशों के बाद भी आप यूपीएससी क्रैक नहीं कर पाते हैं, तो ऐसा नहीं है कि आपकी दुनिया खत्म हो गई है। मेरे हिसाब से तो आपकी दुनिया शुरू हुई है। बस जरूरत है सही एटीट्यूड और हौसला बनाए रखने की।”

प्रशासन और लोगों के बीच दूरी को करना चाहते हैं खत्म

शुभम कहते हैं, “आज प्रशासन और जनता के बीच एक दूरी बनी हुई है, जिसे मैं खत्म करना चाहता हूं। प्रशासन लोगों के लिए है और जिम्मेदारी और पारदर्शिता के जरिए इस बढ़ती दूरी को खत्म किया जा सकता है।”

वह कहते हैं, “यदि आज लोगों के साथ कुछ गलत होता है, तो उन्हें यह विश्वास होना चाहिए कि प्रशासन उनके साथ हमेशा खड़ा है। जिस दिन यह दूरी खत्म हो जाएगी, लोगों का आर्थिक विकास भी होगा और सामाजिक भी। साथ ही, दंगे-फसाद और अन्य अपराधों पर भी लगाम लगेंगे।”

शुभम से संपर्क करने के लिए यहां क्लिक करें।

संपादन- जी एन झा

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