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कभी स्कूल में हुई थीं फेल, फिर पहले ही प्रयास में की UPSC की परीक्षा पास!

UPSC Exam 2020

ज हम जिस कहानी से आपको रु-ब-रु करवाने जा रहे हैं वह आपको इस बात का एहसास ज़रूर दिलवाएगी कि कैसे भारत के लगभग हर घर में बच्चों पर अधिक अंक लाने का दबाव इतना ज़्यादा रहता है कि उनके डर, चिंता, तनाव- सभी कुछ को अनदेखा कर दिया जाता है। फिर भी, कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने यह साबित किया है कि यदि हम चाहें तो अपनी असफलता को अपने भविष्य की सफलताओं की पहली सीढ़ी बना कर आगे बढ़ सकते हैं।

आज की कहानी एक ऐसी ही भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी की है, जो असफलता से भयभीत नहीं हुईं।

आईएएस अधिकारी अंजु शर्मा मूल रूप से जयपुर की हैं जो इन दिनों गुजरात में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव पद पर कार्यरत हैं। दसवीं की प्री-बोर्ड परीक्षा में रसायन विज्ञान में अगर वो असफल न होती, तो शायद आने वाली हर परीक्षा की सुनियोजित तैयारी करने की कला भी वो अपने अंदर विकसित नही कर पातीं।

IAS Anju Sharma (Source: Twitter)

रसायन विज्ञान के विषय में फेल होने से यूपीएससी में सफल होने तक का सफर गुजरात में उच्च व तकनीकी शिक्षा की प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त अंजु शर्मा अपने रसायन विज्ञान की परीक्षा के ठीक पहले वाली रात याद करते हुए ‘द बेटर इंडिया’ को बताती हैं,

“मुझे कई सारे पाठ पूरे करने थे और रात को खाने के बाद मुझे घबराहट शुरू हुई। मेरी इतनी खराब तैयारी थी कि मैं जानती थी कि मैं फ़ेल होने वाली हूँ, जिसे अच्छा नहीं माना जाता था। एक समय मुझे रोना ही आ गया। जो बात इस स्थिति को बदतर बना रही थी, वो यह थी कि यह पेपर प्री-बोर्ड के थे। मेरे आस-पास के सारे लोग इस बात पर दबाब डाल रहे थे कि किस प्रकार दसवीं में हमारा प्रदर्शन ही हमारे आगे की पढ़ाई का स्वरूप निर्धारित करता है।

अंजु शर्मा ने बताया कि वो खुद को दोषी भी मानने लगी थी क्योंकि उनके माता-पिता को इस बात पर गर्व था कि उनकी बेटी अच्छे अंक हासिल जरूर करेगी। आखिरकार परीक्षा का परिणाम आया और जैसा कि अपेक्षित था वह रसायन विज्ञान के विषय में फेल हो गयी। लेकिन इसके बावजूद उनकी माँ उनके साथ खड़ी थी। परिणाम आने के बाद अंजु शर्मा की मां ने इन्हें सांत्वना दी और समझाया कि ऐसा हो जाता है।

अंजु शर्मा ने बताया कि रिजल्ट के बाद उनकी माँ ने उन्हें बस यही कहा- “दिल छोटा मत करो।”

उन्होंने बताया, “मेरे माता-पिता का मानना था कि बच्चों को अपनी असफलताओं से सीख लेनी चाहिए। वे मेरे परिणाम को लेकर दुखी नहीं थे। मुझे अब लगता है कि माता-पिता का जो सहयोग और भरोसा मुझे बचपन में मिला, उसी ने मेरे नजरिए को बदल दिया और आज जब मैं खुद माँ हूं तो अपने बच्चों को यही समझाती हूँ।”

एक सीख जो हर बार काम आयी

अंजु को लगता है कि सब कुछ आखिरी समय के लिए छोड़ना और तैयारी का अभाव इनके कम अंकों का कारण बना। दिलचस्प बात है कि जिस रात इनको यह महसूस हो रहा था कि इनकी आंखों के आगे इनकी दुनिया बिखर रही है, उसी रात इनकी असफलता इनकी आंख खोलने का काम भी कर रही थी।

अंजु को पहले से की गयी तैयारियों का मोल समझ आया। यह उनके लिए सफलता हासिल करने का फार्मूला बन गया। यह फॉर्मूला था अपने पाठ्यक्रम को पहले ही पूरा कर लेना और परीक्षा से एक रात पहले पढ़ाई से ब्रेक ले लेना।

अंजु शर्मा बताती हैं, “ पढ़ाई के लिए इस एक फार्मूले ने मेरी ज़िंदगी बदल दी। मैंने अपने काम के नतीजों के बारे में सीखा। इसने मुझे जोखिम उठाने का एहसास दिलाया और इस बात की स्पष्टता दी कि मैं अपना भविष्य कैसा चाहती हूँ। मैंने खुद से वादा किया कि ज़िंदगी की सारी परीक्षाओं और लड़ाइयों के लिए मैं खुद को पहले से तैयार रखूंगी”।

Interacting with children under State Govt’s #MissionVidya (Source: Twitter)

इसी मंत्र को अपना कर अंजु शर्मा ने जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय से बीएससी व एमबीए की परीक्षा न सिर्फ उत्तीर्ण की बल्कि दोनों में स्वर्ण पदक भी पाया।

जब 1991 में अंजु ने यूपीएससी की परीक्षा में बैठने का फैसला लिया तो उनके सामने खुद को अपनी नज़रों में साबित करने की चुनौती थी। उनका विश्वास था कि कड़ी मेहनत और पहले से पाठ्यक्रम को पूरा करके, बाद में दोहराने के लिए समय रखने की अपनी रणनीति से वह इस परीक्षा में सफलता हासिल कर लेगी। उन्होंने बताया कि इस परीक्षा के एक दिन पहले वह खूब घूमी और आराम किया।

फिर जब यूपीएससी परीक्षा का परिणाम आया तो वह सफल हुई। तब इनके पड़ोसियों को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने चहकते हुए बताया, “कुछ लोग बात कर रहे थे, ‘ये लड़की तो हमेशा घूमती रहती है, इसने यूपीएससी कैसे क्लियर किया’?”

बच्चों व अभिभावकों के लिए सलाह

अंजु शर्मा इस बात पर ज़ोर डालती है कि अच्छे अंक प्राप्त करने का या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा को पास करने का कोई एक फॉर्मूला नहीं होता। उनका कहना है, “आपको ज़रूरत होती है मजबूत इच्छाशक्ति, ध्यान व दृढ़निश्चय की। परिणाम की चिंता किए बिना पूरी लगन से पढ़ाई करें। यूपीएसएसी परीक्षा में अपना पूरा जीवन न लगाएं। याद रखें कि यूपीएससी की परीक्षा सिर्फ एक परीक्षा है, आपको चीज़ें सही करने के लिए बहुत मौके मिलते रहेंगे। अपनी सहूलियत के हिसाब से अपनी पढ़ाई की योजना तैयार करें।”

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इसी के साथ, अभिभावकों के लिए उनका संदेश है, “पहले से तनावग्रसित अपने बच्चों पर और बोझ न डालें, उनसे बात करें। उनको समझें। परीक्षा के परिणाम की परवाह किए बिना उनसे प्यार करें और उनको सहयोग दें। बच्चों को खुद पर भरोसा करना सिखाएं। उन्हें असफलताओं को अपनाने की सीख दें।”

मूल लेख – गोपी करेलिया


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