सौर ऊर्जा, दुनियाभर में ऊर्जा के लिए एक आदर्श स्त्रोत बनता जा रहा है। आज इसका इस्तेमाल आवासीय भवनों, होटलों और खेतों में सिंचाई करने से लेकर कई घरेलू कामों में हो रहा है।
आज हम आपको बताएंगे कि आप अपने घर में खुद से सोलर पैनल लगाकर, कैसे हर महीने आने वाले बिजली के भारी-भरकम बिल से छुटकारा पा सकते हैं।
सोलर एनर्जी को लेकर ‘टेक मेवाड़ी’ यूट्यूब चैनल चलाने वाले निलेश जांगिड़ कहते हैं, “सोलर सिस्टम लगाने से पहले, हमें यह पता होना चाहिए कि हम इसे क्यों अपना रहे हैं? आपको इसपर मोटर जैसी भारी मशीनें भी चलानी हैं या सिर्फ लाइट-पंखा जैसी चीजों तक सीमित रहनी है?”
इसके बाद, यह कैलकुलेट करना चाहिए कि आपको हर दिन कितने यूनिट बिजली की जरूरत है। फिर, एकबार यह तय हो जाने के बाद, आप अपना पहला कदम बढ़ा सकते हैं।
किस तरह के सोलर पैनल से मिलेगी अधिक राहत?
निलेश कहते हैं कि आज बाजार में तीन तरह के सोलर पैनल मिलते हैं –
- ऑन ग्रिड सोलर पैनल – इस तरह के सोलर पैनल सीधे बिजली के खंभों से जुड़े होते हैं और नेट मीटर के मदद से बिजली के बिल को कम करते हैं।
- ऑफ ग्रिड सोलर पैनल – इस तरह के सोलर पैनल को चलाने के लिए बैटरी और इन्वर्टर की जरूरत होती है और यह उन इलाकों के लिए सबसे अच्छा होता है, जहां बिजली की ज्यादा कटौती होती है।
- हाइब्रिड सोलर सिस्टम – यह एक ऐसा सोलर सिस्टम है, जिसमें नेट मीटरिंग के साथ-साथ बैटरी बैकअप भी है। यानी बिजली नहीं होने के बाद भी यह काम करता रहेगा। इसी वजह से बाजार में इसकी काफी मांग है।
क्या हैं मुख्य पार्ट्स?
सोलर सिस्टम के मुख्य रूप से तीन पार्ट्स हैं –
- सोलर पैनल
- इन्वर्टर
- बैटरी
कितने किलोवाट का खरीदें सोलर पैनल?
निलेश के अनुसार, एक किलोवाट के सोलर पैनल से हर दिन करीब चार यूनिट बिजली बनती है।
वह कहते हैं, “यदि आप सोलर पैनल से लाइट, पंखा, टीवी और फ्रिज के अलावा मोटर भी चलाना चाहते हैं, तो आपको हर दिन करीब छह से सात यूनिट बिजली की जरूरत होगी। ऐसे में, 1.5 से 2 किलोवाट का सोलर सिस्टम लेना ज्यादा बेहतर होगा।”
वहीं, अगर आप हर दिन 1500 से 1800 वाट बिजली की खपत कर रहे हैं, तो आपको कम से कम 2500 वाट के इन्वर्टर को लेना होगा।
बैटरी खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
आज के दौर में सही तरीके से जांची और परखी बैटरी को खरीदना जरूरी है, ताकि बाद में किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े। बाजार में फ्लैट बैटरी और ट्यूबलर बैटरी की मांग सबसे ज्यादा है। अगर आप सोलर सिस्टम को चलाने के लिए बैटरी खरीदना चाहते हैं, तो ट्यूबलर बैटरी की ओर रुख करें। इसे लीड एसिड बैटरी भी कहा जाता है।
निलेश कहते हैं, “अगर आपका सोलर पैनल 12 वाट का है, तो आपको 150 एम्पीयर की एक बैटरी लेनी होगी। वहीं, अगर पैनल 24 वाट का है, तो आपको दो बैटरी की जरूरत पड़ेगी।”
वह कहते हैं कि अधिकांश लीड एसिड बैटरी 12 वोल्ट की ही होती है। इसलिए ग्राहकों को बैटरी के वोल्ट को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। साथ ही, वह बताते हैं कि किसी भी अच्छी कंपनी की बैटरी पर 5 साल की अनकंडीशनल वारंटी मिलती है। इसलिए लोगों को इसका ध्यान रखना चाहिए।
कितना आता है खर्च?
निलेश के अनुसार, एक पूरे सोलर सिस्टम को लगाने में करीब 70-80 हजार रुपये खर्च होते हैं। लेकिन, सोलर पैनल, इन्वर्टर और बैटरी को जरूरत के हिसाब से कस्टमाइज तरीके से खरीदा जाए, तो इसे करीब 40 हजार रुपये में लगाया जा सकता है।
सोलर सिस्टम कैसे लगाएं?
सोलर पैनल को इन्वर्टर और बैटरी से कनेक्ट करने के लिए, छह एमएम या 10 एमएम के तार की जरूरत होगी। ध्यान रखें कि तार की लंबाई 10-12 मीटर से ज्यादा न हो, नहीं तो पावरलॉस की काफी दिक्कत आ सकती है।
वहीं, सोलर पैनल को आंधी-तूफान से बचाने के लिए, उसे एक फ्रेम में सेट कर दें और तार को सुरक्षित रखने के लिए इलेक्ट्रिक फिटिंग पाइप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
तार को एक कनेक्टर के जरिए सोलर पैनल से जोड़ने के बाद, उसे बैटरी से जोड़ दें और फिर इन्वर्टर को बैटरी से अटैच करते हुए, उसे अपने घर के इलेक्ट्रिक बोर्ड से जोड़ दें।
इस तरह, इन तरीकों को अपनाकर, आप अपने सोलर सिस्टम को खुद से ही लगा सकते हैं और बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बन सकते हैं। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए मददगार साबित होगा।
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