ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट गौरी सावंत के जीवन पर आधारित उनकी आने वाली सीरीज़ ‘ताली’ का पहला लुक पोस्ट करते हुए, सुष्मिता सेन ने सोशल मीडिया पर एक खूबसूरत व्यक्तित्व को दर्शाने और उनकी कहानी को दुनिया के सामने लाने का सौभाग्य मिलने पर गर्व और आभार व्यक्त किया।
यह बायोपिक गौरी सावंत के सफ़र को दिखाएगी, जिन्होंने 2008 में एक बच्ची को गोद लिया और ट्रांस पर्सन्स के ‘बच्चा गोद लेने के अधिकार’ के लिए लड़ाई लड़ी। इसका निर्देशन मराठी फिल्म निर्माता रवि जाधव कर रहे हैं। सुष्मिता सेन ने अपने पोस्ट में लिखा- “यह सीरीज़, सम्मान से अपने अधिकारों को पाने का एक जश्न है।”
‘ताली’ गौरी सावंत के संघर्षों, जीवन की मुश्किलों से लड़ने और अडिग रहने की ताक़त को दिखाएगी। गौरी ने जेब में केवल 60 रुपये लेकर 17 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था और मुंबई आ गईं, क्योंकि उनके पिता ने उनके व्यक्तित्व को स्वीकार नहीं किया।
हमेशा से माँ बनना चाहती थीं गौरी सावंत
गौरी कहती हैं, “लड़कों की तरह रहने और कपड़े पहनने में मैं कभी सहज महसूस नहीं करती थी, ऐसा लगता था कि मैं किसी क़ैद में हूँ। मैं सिर्फ़ एक महिला की तरह कपड़े पहनना और रहना चाहती थी। बचपन से, जब मैंने गायिका ऊषा उत्थुप को टीवी पर देखा था, उनकी कलाइयों में चूड़ियां, हाथ में पल्लू, और माथे पर वह बड़ी सुंदर बिंदी को देख, मैं बस यही सोचती थी कि बड़ी होकर मैं उनके जैसी ही दिखूंगी।”
उनका यह सपना तब पूरा हुआ जब वह जूहू बीच पर ट्रांस पर्सन्स से मिलीं, फिर उन्होंने साड़ी पहननी शुरू की। NGO हमसफ़र ट्रस्ट की मदद से गौरी ने खुद कमाना शुरू किया। इसके बाद, उन्होंने अपना खुद का NGO ‘सखी चार चौगी’ लॉन्च किया, जो ट्रांस पर्सन्स को नौकरी ढूंढ़ने में मदद करता है, साथ ही उनकी काउंसलिंग और सेहत के लिए भी काम करता है।
गौरी सावंत बताती हैं, “मैं हमेशा से माँ बनने का अनुभव करना चाहती थी।” हालांकि जन्म के समय उनका नाम गणेश रखा गया था, लेकिन बाद में उन्होंने अपने लिए अपनी माँ का नाम ‘गौरी’ चुना।
वह कहती हैं, “हाथी के सिर वाले भगवान गणेश के नाम पर मेरा नाम रखा गया था और जब अपना नाम खुद रखने का समय आया, तो मैंने ‘गौरी’ चुना, जो भगवान गणेश की माँ पार्वती का दूसरा नाम है। मैं हमेशा से माँ बनना चाहती थी। बचपन में एक बार फैमिली फंक्शन में एक रिश्तेदार ने जब मुझसे पूछा कि मैं बड़े होकर क्या बनना चाहता हूँ, तो मुझे याद है मैंने कहा था कि मैं ‘आई’ बनना चाहता हूँ।”
“माँ बनने के लिए बच्चे को जन्म देना ज़रूरी नहीं”-गौरी सावंत
साल 2001 में जब गौरी एसटीडी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सेक्स वर्कर्स के साथ काम कर रहीं थीं, तब गौरी का यह सपना साकार हुआ। यही वह जगह थी, जहां वह गायत्री से मिलीं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब एक्टिविस्ट गौरी को यह ख़बर मिली कि गायत्री की असली माँ की मौत के बाद उसे सेक्स वर्क के लिए बेचा जाने वाला है, तब उन्होंने आगे बढ़कर बच्ची को बचाया।
गौरी अपने एक वीडियो में कहती हैं, “मेरी बेटी ने मुझे सिखाया कि माँ बनने के लिए बच्चे को जन्म देना ज़रूरी नहीं है, बच्चे की देखभाल करना और उसे दिल से प्यार करना ही मातृत्व है। मुझे यह देखकर बहुत ख़ुशी होती है कि लोग अब मुझे एक माँ के रूप में पहचानते हैं।”
ट्रांस पर्सन्स के एडॉप्शन राइट्स के लिए लड़ने के अलावा, उन्होंने अपनी कम्युनिटी को तीसरे जेंडर के रूप में मान्यता दिलवाने के लिए भी काफ़ी संघर्ष किया। वह 2019 में भारत के चुनाव आयोग द्वारा एलेक्शन एम्बेसडर बनाई जाने वाली पहली ट्रांस पर्सन बनीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘ताली’ की शूटिंग 10 अक्टूबर से शुरू होगी और इस सीरीज़ में लगभग 300 ट्रांसजेंडर कलाकार काम कर रहे हैं।
मूल लेख – सौम्या मणि
संपादनः अर्चना दुबे
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