अगर आप दिल्ली के मंगोलपूरी इलाके से गुजरेंगे तो आपका ध्यान इस बात पर ज़रूर जायेगा कि यहाँ की महिलाएं किस तरह बेखौफ घर से बाहर निकलती है। उन्हें किसी भी प्रकार के उत्पीड़न या परेशानी का डर नहीं सताता। पूरा इलाका सेफ-हाउस मैकेनिज्म (सुरक्षित-घर युक्ति) से वाकिफ है जिससे महिलाएं उत्पीड़न से सुरक्षित रहती है। इसके लिये हमें वहां रहने वाले निवासी’यो को धन्यवाद देना चाहिये। १०० से भी ज्यादा दूकाने और घर विपत्ति के समय सेफ-हाउस बन जाते है। पांच-पांच घरों के ब्लाक पर निओन से ‘सुरक्षित शहर’ लिखा गया है जिसमे आपदा के समय सुरक्षा प्रदान की जाती है।
जिस किसी भी महिला को लगता है कि कोई उसका पीछा कर रहा है या उसे धमकाया जा रहा है वो दिन हो या रात, इन सभी दुकानों और घरों के चौखट पर जाकर दरवाजा खटखटा सकती है।
प्लान इंडिया नामक NGO ने ‘सेफर सिटीज’ प्रोजेक्ट के तहत सभी दूकान और घरवालो को ट्रेनिंग दी है ताकि वे पीड़ित महिलाओ की सही तरह से मदद कर सके।
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जब कोई महिला मदद की गुहार लगाती है तब सभी लोगो को क्या करना है इसके बारे में बताया जाता है। सबसे पहले वो उस महिला किसी भी असुरक्षा से बचाते है। फिर पुलिस को कॉल किया जाता है। परेशान करने वाले व्यक्ति से कोई भी बातचीत नहीं होती, क्योंकि इससे परेशानी और बढ़ने की संभावना होती है इसलिये पुलिस को बुलाया जाता है। घर के सभी लोगो द्वारा पीड़ित महिला को चौबीस घंटे हर तरह की मदद की जाती है।
एक NGO एवी बालिगा मेमोरियल ट्रस्ट इस प्रोजेक्ट के सभी घर वालो को विधिमान्य करती है जिससे ये साबित हो कि आपत्ति के समय पीड़ित महिला की मदत कर सके। एवी बालिगा की ज्योति कंदारी मंगो पूरी प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
“हम मंगोलपूरी इलाके में पिछले ३५ सालो से काम कर रहे है और वहा रहने वाले लोगो को जानते है।इस प्रोजेक्ट के लिये हमने उन घरों को शामिल किया है जिसमे हमारे साथ काम करनेवाले लोग रहते है”, द हिन्दू को एवी बालिगा की संचालिका ज्योति कंदारी ने बताया।
प्रोजेक्ट में शामिल किये गये घर सार्वजनिक स्थलों से नजदीक है या फिर स्ट्रीट कार्नर के पास है। छेड़ खानी करने वाले लोग हमेशा स्ट्रीट कार्नर पर ही महिलाओ को परेशान करते है। डी.सी.पी विक्रमजीत सिंह कहते है कि घर के सदस्य और पुलिस के बीच सही तरह से बातचीत हो इसलिये हमने सभी घरवालो को कांस्टेबल के फोन नंबर दिये है। इतना ही नहीं सभी पुलिस वालो के पास शामिल किये गये घर और दुकानों की पूरी जानकारी है।
एक अजनबी महिला ने ‘द हिन्दू’ को बताया, “छेड़छाड़ करने वाले अब सेफ हाउस के आसपास के पार्क और स्ट्रीट कार्नर पर छेड़खानी नहीं करते है। हमारे इलाके में सभी लोगो को इस प्रोजेक्ट के बारे में पता है और वो जानते है कि किसी भी विपदा के समय तुरंत पुलिस की सहायता ली जा सकती है।
दक्षिण दिल्ली के मदनपुर खदान इलाके में भी इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गयी है जिसमे स्थानीय NGO का सहभाग है।
शामिल किये गये सभी घरो पर निओन का चिन्ह अंकित किया गया है जो बाहर से आसानी से दिख सके।
प्लान इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भाग्यश्री डेंगरे कहती है, “भविष्य में हम सभी निओन चिन्ह को लुमीनेस्सेंट चिन्ह से बदलने वाले है ताकि रात के वक्त भी सही तरह से दिखे। मंगोलपूरी और मदनपुर खदान इलाके में महिलाओ के प्रति अपराध दर बहुत ज्यादा है, इसलिये प्रोजेक्ट के लिये इन दो इलाकों का चयन किया गया है। इस प्रोजेक्ट की सफलता पर हम निश्चित करेंगे कि इसे दिल्ली के अन्य इलाके में जारी करे।”
मूल लेख निती विजयकुमार द्वारा लिखित।