केरल के कासरगोड में नारायणी नाम की एक टीचर बच्चों को पढ़ाने के लिए पिछले 50 सालों से हर दिन 25 किमी पैदल चल रहीं हैं। यह उनके इस अद्भुत सफ़र की कहानी है।
जीवन में शिक्षा से ज़्यादा ज़रूरी क्या है? इसके जवाब में कासरगोड की रहनेवालीं के वी नारायणी कहेंगी ‘कुछ भी नहीं’। नारायणी टीचर के नाम से मशहूर यह 65 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला अपने इलाके के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के लिए रोज़ाना 25 किमी पैदल चलती हैं। उनका दिन सुबह 4.30 बजे शुरू हो जाता है, और 6.30 बजे वह पहले घर पहुंचती हैं। यहाँ से वह अपने बाक़ी स्टूडेंट्स के घर जाती हैं और अपने घर लौटने में उन्हें रात हो जाती है।
चलने और पढ़ाने को अपना कर्तव्य मानतीं हैं नारायणी टीचर
नारायणी टीचर ने 1971 में 10वीं कक्षा पास की थी और वह कभी कॉलेज नहीं गईं। लेकिन वह चार भाषाएं जानती हैं- अंग्रेजी, मलयालम, हिंदी और संस्कृत। उन्होंने 15 साल की उम्र में पढ़ाना शुरू कर दिया था लेकिन वह कभी स्कूल टीचर नहीं थीं। पिछले 50 सालों में उन्होंने 100 से ज़्यादा छात्रों को पढ़ाया है।
ट्यूशन से मिलने वाले पैसों से ही वह अपनी रोजी-रोटी चलाती हैं और बिस्तर पर पड़े अपने लाचार पति की देखभाल करती हैं। वह कहती हैं, “मुझे हर किसी से पॉज़िटिव फीडबैक मिलता है और मेरे सभी स्टूडेंट्स अच्छे मार्क्स लाते हैं।”
नारायणी बताती हैं कि पैदल चलना उनकी रोज़ की दिनचर्या का हिस्सा है। वह कहती हैं, “जब तक मेरी सेहत साथ देगी, तब तक मैं चलना और पढ़ाना दोनों जारी रखूँगी। नारायणी टीचर COVID-19 के समय लगे लॉकडाउन के दौरान भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रही थीं।
वह और उनके पति चेरुवाथुर में एक किराए के घर में रहते हैं। उनकी जीवन में बस यही इच्छा है कि एक दिन वे अपना घर लेकर वहाँ रह पाएं।
देखिए नारायणी टीचर की असाधारण कहानी:
यह भी पढ़ें – रिटायरमेंट के बाद पूरा किया बचपन का सपना, 62 की उम्र में शुरु किया गोवा में रेस्टोरेंट