गीता टंडन बॉलीवुड की सफल स्टंट वुमेन है। कई फिल्मों में बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्रियों के डबिंग किरदार भी निभाए हैं, जिनमे करीना कपूर, बिपाशा बासु और दीपिका पादुकोण भी शामिल हैं। गीता दो बच्चों की बहादुर माँ है। टीवी के कई जोखिम भरे रियलिटी शोज में काम कर चुकी हैं. लेकिन इस सफल गीता की कहानी इतनी आसान नहीं रही है।
पंद्रह साल की उम्र में ब्याही गई गीता को ससुराल में सबने प्रताड़ित किया। गीता ने सोचा, बच्चे हो जायेंगे तो शायद हालात सुधर जायेंगे, लेकिन पति का अत्याचार बढ़ता गया। पति घंटों बाल नोंचता था, कई बार दीवारों में सर मारा। गीता को समझ ही नहीं आ रहा था कि वे लोग चाहते क्या थे।
गीता के साथ ही नहीं ये हमारे समाज की दर्दनाक सच्चाई है, बहु को नौकरानी से भी बदतर समझा जाता है और वो कभी आवाज़ भी न उठा पाए इसलिए हमेशा प्रताड़ित किया जाता है। पितृसत्तात्मक समाज में पति अपनी औकात इसी में समझता है कि उसकी पत्नी उसकी मार कितनी चुप्पी से सहती रहती है। वो नशा करें, बेहूदापन करे सब जायज है, पत्नी को सिर्फ झेलना है। घर में बने रहने की यही एकमात्र शर्त होती है।
गीता ने सबकुछ झेला और एक दिन जब हद हो गई तो वो निकल पडी। कहाँ जाएंगी? क्या करेगी? उसे खुद भी नहीं पता था और ना ही उसने उस वक़्त सोचने की जहमत उठाई। वो बस उस दर्द से भाग जाना चाहती थी।
गीता के ससुराल वालों ने उसे पनाह देने वाले उसके बड़े बहनोई को भी नहीं छोड़ा और उन्हें परेशान करने लगे। ससुराल वालों की योजना थी कि जब कहीं कुछ नहीं मिलेगा तो खुद ही मजबूर होकर घर आएगी, लेकिन गीता ये ठान कर निकली थी कि मर जाएगी लेकिन अब नहीं लौटेगी।
गीता ने टूटे-फूटे घरों में गुजारा कर मेहनत मजदूरी की, गुरूद्वारे के लंगर से बच्चों का पेट भरा, दूसरे के घरों में रोटियां बनाईं….गीता को ज़िन्दगी किन-किन रास्तों पर नहीं ले गई। उसे सबकुछ करने को मजबूर कर दिया गया। लेकिन गीता एक बात की हमेशा गाँठ बांधे रही की कभी अपना जमीर नहीं बेचेगी।
और एक दिन उसके जज्बे को सटीक रास्ता मिल गया। ज़िन्दगी जुनूनी लोगों की परीक्षा बहुत लेती है लेकिन जब बदले में देती है तो यकीनन छप्पर फाड़ के देती भी है।
सुनिए गीता की कहानी। उसी की जुबानी,… जो आपको रुलाएगी लेकिन झोली भर हिम्मत भी दे जाएगी……