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गरीब हैं, कामचोर नहीं! ग्रेजुएशन के बाद 5 सहेलियों ने शुरू किया कुल्हड़ मैगी स्टॉल

5 friends selling Kulhad Maggie
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कहते हैं उम्र के साथ जिदंगी हमें सब कुछ सिखा देती है, लेकिन उन्हीं लोगों को जो कुछ करना चाहते हैं, आगे बढ़ना चाहते हैं और कभी हार नहीं मानना चाहते हैं। यह कहानी है दिल्ली की उन लड़कियों की, जो मात्र 21-22 साल की उम्र में निकल पड़ी हैं आम लोगों और गरीबों के लिए रेस्टोरेंट खोलने और अपने इस सपने को पूरा करने की शुरुआत की है उन्होंने एक मैगी स्टॉल खोलकर।

आर्थिक तौर पर संपन्न लोग तो चकाचौंध भरे रेस्टोरेंट में जाकर महंगे से महंगी चीज़ें खा लेते हैं, लेकिन अक्सर गरीबों को वहां जाने से पहले दस बार सोचना पड़ता है। इस हिचकिचाहट को खत्म करने और आम लोगों के बीच खुद का स्टार्टअप लाने के लिए, पांच लड़कियों ने बीड़ा उठाया है कि वे कुछ अलग कर दिखाएंगी।

दिल्ली की इन 5 दोस्तों ने ओडीएस (ODS) नाम का एक स्टॉल शुरू किया है। सीमा, प्राची सिंह और शिवानी, स्टॉल को संभालती हैं और बाकी दो पीछे रहकर सोशल मीडिया और दुकान से जुड़े दूसरे काम देखती हैं।

सीमा अपने इस स्टार्टअप के बारे में बताते हुए कहती हैं, ”हमने इसे पिछले साल 23 सितंबर को दिल्ली के इंद्रलोक में शुरू किया था। हम पांच पार्टनर्स हैं, जिसमें से तीन लोग स्टॉल लगाते हैं। 5 महीने हमने अपना स्टॉल वहां लगाया, लेकिन फिर हमें वह जगह छोड़नी पड़ी, क्योंकि वहां शराब की दुकान थी और लड़कियां होने के नाते हमें दिक्कत आ रही थी और फिर हमने दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस में स्टॉल शुरू किया।” 

समाज ने मारे ताने, घर से भी नहीं मिला सपोर्ट

Kulhad Maggi at ODS Delhi

अपने मैगी स्टॉल के बारे में बताते हुए प्राची कहती हैं कि ओडीएस (ODS) का मतलब है- ओम, ध्रुव, स्टार। ओम यूनिवर्सल साउंड है, ध्रुव पोलर स्टार है और स्टार उनके कस्टमर्स हैं। उनके मुताबिक, ओडीएस आम से आम इंसान, गरीब से गरीब इंसान और अमीर, सबका रेस्टोरेंट है। इस स्टॉल पर मैगी की चार वैराइटी और राजमा चावल मिलता है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी, नॉर्थ कैंपस में ओल्ड लॉ फैकल्टी के पास ये सहेलियां सुबह 10 बजे से शाम को 7 बजे तक अपना स्टॉल लगाती हैं और अब आगे उनका प्लान, अलग-अलग तरह की चाय बनाना शुरू करना है। 

प्राची अपने इस स्टॉल को शुरू करने के बारे में कहती हैं, ”हम पांचों कॉलेज के दोस्त हैं। हमने बहुत पहले से ही सोचा हुआ था कि हमें कुछ अच्छा और अलग करना है। लेकिन आर्थिक तौर पर हमारी कंडीशन अच्छी नहीं थी, तो पहले हमने जॉब की। लेकिन जॉब का अनुभव अच्छा नहीं था, तो हमने सोचा क्यों ना अपना कुछ शुरू किया जाए।”

हालांकि उन्हें अपना यह काम शुरू करने में काफी दिक्कतें भी आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। प्राची ने बताया, “लोग हमें ताने मारते थे कि क्या तुम्हारे माँ-बाप नहीं हैं, जो पटरी पर ठेला लगाने की नौबत आ गई। यह भी कहा जाता था कि ग्रेजुएशन करके सड़क पर मैगी बेच रही हैं। घर से भी हमें कुछ खास सपोर्ट नहीं मिला।”

घर से 6 महीने की मिली मोहलत

Girls serving Kulhad maggi at ODS

इन पांचों दोस्तों ने पहले तो घर पर किसी को बताए बिना ही मैगी स्टॉल शुरू कर दिया था, लेकिन बाद में जब घर पर पता चला, तो उन्हें सिर्फ छह महीने की मोहलत दी गई कि अगर 6 महीनों में सफल होते हो, तो यह काम करो वरना छोड़कर घर आ जाओ। स्टॉल चलाने वाली तीन दिल्ली लॉ फैकल्टी के पास किराए के मकान में घर से दूर रहती हैं और दो परिवार के साथ ही रहती हैं, क्योंकि वे स्टॉल पर काम नहीं करतीं। वे सोशल मीडिया और दुकान से जुड़े दूसरे काम देखती हैं।

स्टॉल लगाने में भी तीनों दोस्तों को काफी दिक्कतें आई थीं, क्योंकि आस-पास के लोग कोई प्रतिद्वंदी नहीं चाहते थे। इसलिए वे उन्हें हटाने की कोशिश करते थे। एक बार तो इनका स्टॉल तोड़ भी दिया गया, ऐसे में इन लड़कियों का टिकना मुश्किल हो रहा था। लेकिन उन्होंने फिर से अपना स्टॉल लगाया और फूरी शिद्दत से अपने काम में लगी हुई हैं। अब घरवालों की तरफ से इन लड़कियों के पास करीब 1 महीने का वक्त ही बचा है।

पहले ये लड़कियां ज़मीन पर पटरी पर अपना स्टॉल लगाती थीं और अब इन्होंने इसे अपग्रेड करते हुए एक प्रॉपर स्टॉल लगाना शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि जल्द ही ये अपनी और बाकियों की उम्मीदों पर खरी उतरेंगी। बहुत से लोग इनकी मदद करने के लिए आगे भी आए हैं।

कुल्हड़ में क्यों देती हैं मैगी?

Maggi stall business

चलिए, अब बात करते हैं इनके खाने के खासियत की। इन 3 दोस्तों का कहना है कि उनकी मैगी थोड़ी हटकर होती है, क्योंकि ये उसे कुल्हड़ में सर्व करती हैं। सीमा ने द बेटर इंडिया से बात करते हुए कहा, ”कुल्हड़ के अपने ही फायदे हैं। यह इको फ्रेंडली होता है। जैसा कि हमारी सरकार प्लास्टिक बैन कर रही है, तो लोग पेपर प्लेट या थर्माकॉल का इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने कहा, “हमें कुल्हड़ वाइब लेकर आना था। वैसे भी देश में कई हैंडी क्राफ्ट खत्म होने की कगार पर हैं, ऐसे में हम कुल्हड़ का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे पर्यावरण को तो फायदा होता ही है, साथ ही इसे बनाने वालों को रोज़गार भी मिल जाता है।”

सीमा आगे कहती हैं, ”हमारे पूर्वज मिट्टी के बर्तनों में खाया करते थे और ह्रष्ट-पुष्ट थे, तो हम चाहते हैं कि हमारे कस्टमर्स भी हेल्दी रहें। लेकिन फिर आप कहेंगे कि मैगी क्यों लेकर आए, यह तो नुकासनदायक होता है। लेकिन हमारी मैगी नुकसान नहीं करती, क्योंकि इसे हम अपने एक्सपेरीमेंटेड मसालों के साथ बैलेंस कर देते हैं। हम भारतीय हर चीज़ को अपने हिसाब से ढाल लेते हैं, तो बस हमने मैगी को अपने हिसाब से स्वादिष्ट और हेल्दी बना लिया है।”

क्या आप करना चाहेंगे इस मैगी स्टॉल को चलाने में इनकी मदद?

Special Kulhad maggi

इन लड़कियों ने यू हीं अपना यह स्टार्टअप नहीं शुरू किया है। उनका अपना एक विज़न है। उन्होंने कहा कि वे युवा हैं और देश को यूथ ही आगे लेकर जा सकता है। इसलिए इन्होंने एक ऐसा स्पॉट चुना है, जहां यूथ क्राउड ज्यादा है। अपने स्टार्टअप को सीमा, प्राची और शिवानी, इंटरनेशनल लेवल तक ले जाना चाहती हैं। 

हंसते-मुस्कुराते दिखने वाले इन चेहरों के पीछे दर्द भी है और जज्बा भी। तभी तो ये लड़किया अपने फैमिली बैकग्राउंड की परवाह न करते हुए आगे बढ़ रही हैं। किसी की माँ चाय की दुकान लगाती हैं, तो किसी के पिता पाइप बनाने का काम करते हैं। किसी के घर से पानी टपकता है, तो कोई किराए के घर में रहता है। इन चीजों को इन लड़कियों ने अपनी मजबूरी नहीं बनने दी। 

ये लड़कियां ऐसे ही आगे बढ़ते रहना चाहती हैं और इन्हें बढ़ना भी चाहिए। आप भी इनकी किसी भी तरह से मदद कर सकते हैं। आप इनकी आर्थिक मदद करना चाहते हैं, तो 9310750552 (Paytm) पर कर सकते हैं और अगर इनसे संपर्क करना चाहते हैं, तो 7557668089 पर कर सकते हैं।

संपादनः अर्चना दुबे

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