IAS उम्मुल खैर: निजामुद्दीन की झुग्गियों से IAS बनने तक का सफ़र
टूटा घर, सौतेली माँ, आर्थिक तंगी, 12 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी.. इन सबके बावजूद, वह आगे बढ़ी और बन गयी देश की सबसे प्रेरक IAS अफसर!
हम बात कर रहे हैं IAS उम्मुल खैर की!
हम बात कर रहे हैं IAS उम्मुल खैर की!
उम्मुल जब पांच साल की थीं तब उनका परिवार राजस्थान से दिल्ली के हज़रत निजामुद्दीन की झुग्गियों में आकर रहने लगा। यहाँ उनके पिता फुटपाथ पर बैठकर सामान बेचते थे।
सौतेली माँ, Fragile Bone Disorder जैसी बिमारी और झुग्गी की मुश्किल ज़िन्दगी के बीच उम्मुल के पास एक ही उम्मीद थी- उनकी पढ़ाई।
सौतेली माँ, Fragile Bone Disorder जैसी बिमारी और झुग्गी की मुश्किल ज़िन्दगी के बीच उम्मुल के पास एक ही उम्मीद थी- उनकी पढ़ाई।
वह सातवीं में पढ़ते हुए ही ट्यूशंस लेने लगी और अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठाने लगीं। लेकिन परिवार की दकियानूसी सोच ने उनकी यह उम्मीद भी उनसे छीन ली। आठवीं के बाद उम्मुल की पढ़ाई रोक देने का फैसला लिया गया..
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ऐसे में, उम्मुल ने घर छोड़ दिया। वह एक छोटे से कमरे में 50 रुपए महीने पर बच्चों को पढ़ातीं और वहीँ रहकर अपनी पढ़ाई करतीं। इस बीच उनकी बिमारी के चलते ज़रा से भारी काम करने या गिरने से उनकी हड्डियां टूट जातीं।
पर इस बिमारी के साथ और परिवार के साथ के बिना ही उन्होंने पहले स्कूल पास किया, फिर कॉलेज और फिर UPSC! और आज वह एक सफल IAS अफसर हैं।
तो जब भी आपको लगे कि वक़्त आपका इम्तिहान ले रहा है उम्मुल की कहानी को ज़रूर याद करिएगा और अपनी राह पर डटे रहिएगा! देखिएगा, कामयाबी एक दिन आपके कदम ज़रूर चूमेगी।