2 दिसंबर 1984 की काली रात,जब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल मेंGas Tragedy की वहज से सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवा दी
..तब भोपाल रेलवे जंक्शन के बहादुर स्टेशन मास्टरगुलाम दस्तगीर ने लाखों ज़िंदगियां बचाई भी थीं।
उस रात वह ड्यूटी पर थे;स्टेशन पर काम करते हुए अचानक उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी;अभी तक किसी को जहरीली गैस के बारे में कोई भनक नहीं थी;मगर उन्हें लग गया था कि कोई गंभीर मामला ज़रूर है।
ऐसे में उन्होंने बिना देरी आसपास के सभी स्टेशनों को सतर्क किया,और भोपाल आने वाली सभी ट्रेनें रोक देने को कहा।
बिना सीनियर्स के आदेश का इंतज़ार किये गुलाम दस्तगीर नेट्रैक क्लियर करवाकर, आना-फानन मेंजंक्शन पर खड़ी, खचाखच भरी Gorakhpur-Mumbai Expressको वहां से निकलने का सिग्नल दिया।
देश के सबसे बड़े और खतरनाक industrial Disaster के बीच वह ये सब कर रहे थे।
खुद किसी सुरक्षित जगह पर जाकर छुपने के बजाएउन्होंने लाखों लोगों की जान बचाने का फैसला किया।शहर के दूसरे कोने में उनका खुद का परिवार भी मौत से लड़ रहा था;उस रात दुर्भाग्य से दस्तगीर ने अपने बेटे को खो दिया
लेकिन फिर भी यह नायक गुमनाम ही रह गया!
नेटफ्लिक्स की एक मिनी वेब सीरीज 'The Railway Men' इसी रियल लाइफ हीरो की कहानी पर आधारित है।