बेड़िया समुदाय के लोगों के विकास और उनके जीवन की बेहतरी के लिए काम कर रहे एमपी पुलिस के यह अधिकारी

भोपाल, राजगढ़, विदिशा, सागर, रायसेन और गुना सहित मध्य प्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्र के छह जिलों के 60 गांवों में बेड़िया समुदाय के 5,000 बच्चे, किशोर, युवा और वयस्क रहते हैं। 

इस समुदाय के लोग लंबे समय से सेक्स वर्क में शामिल थे। उनका घर खर्च इसी के सहारे चलता था, लेकिन अब यह समुदाय अपने अतीत को भूल कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ रहा है और ये सब संभव हुआ IPS वीरेंद्र और उनकी संस्था 'संवेदना' की पहल से।

IPS वीरेंद्र मिश्रा के प्रयासों की बदौलत, 6 जिलों के 60 गांवों के बच्चे आज शिक्षा से जुड़ चुके हैं, जिनमें से कुछ डॉक्टर, इंजीनियर बनना चाहते हैं, तो कुछ IAS अधिकारी और वकील।

“फिलहाल, भोपाल के कॉलेजों में इस समुदाय के 26 और स्कूलों में 37 छात्र हैं। हम जहां भी काम करते हैं, हमारी कोशिश रहती है कि सभी बच्चे हमारी पहल से जुड़ सकें।” - IPS मिश्रा

IPS मिश्रा ने 2005 में राज्य में जाति-आधारित व्यावसायिक यौन शोषण और मानव यौन तस्करी का मुकाबला करने के लिए 'संवेदना' की शुरुआत की थी।

2010 में वह राजगढ़ जिले के 13 बेड़िया बच्चों को पढ़ाने के लिए भोपाल लाए, उन्हें स्कूलों में दाखिला दिलाया। उन्हें प्री स्कूल लेवल की शिक्षा दी और उन्हें उच्च शिक्षा और नौकरी हासिल करने में मदद की।

राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ में पोस्टिंग के दौरान ही उन्हें बेड़िया समुदाय के बारे में पता चला। यहाँ के ज्यादातर लोग कभी गाँव के बाहर गए ही नहीं थे।  "हमने कभी ये नहीं कहा कि आप जो काम कर रहे हैं वह गलत है। हम उन्हें दूसरे कामों के बारे में बताते हैं।" - IPS मिश्रा

"इस काम ने मुझे बेहतर इंसान बनाया है। मैंने इन बच्चों से बहुत कुछ सीखा है और मैं उनके लिए उतना ही भावुक हूं जितना कि मैं अपने बच्चों के लिए हूं।”