दुनिया आज विकास के जिस ऊंचे स्तरों पर पहुँची है, वह विज्ञान और वैज्ञानिकों के महान आविष्कारों की बदौलत ही है। दुनिया की इस तस्वीर को बदलने में भारतीय वैज्ञानिकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। जानिए भारत के 10 ऐसे महान वैज्ञानिकों के बारे में-
यह महाराष्ट्र् के कोल्हापुर में जन्में भौतिकी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक हैं। कई पुरस्कारों से सम्मानित नार्लीकर ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बिग बैंग की थ्योरी के अलावा, स्थायी अवस्था के सिद्धान्त (Steady State Theory) पर भी काम किया है।
चंद्रशेखर वेंकटरमन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पाने वाले पहले वैज्ञानिक थे। 1930 में उन्हें भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्होंने लाइट पर गहन अध्ययन किया और उनके आविष्कार को 'रमन-किरण' के रूप में जाना गया। रमन को 1954 ई. में भारत रत्न दिया गया, जबकि 1957 में लेनिन शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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भारतीय मूल के इस अमेरिकी नागरिक और वैज्ञानिक डॉ. हरगोबिंद खुराना को 1968 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया। उन्होंने आनुवांशिक कोड (डीएनए) की व्याख्या की और उसका अनुसंधान किया।
भारत के अंतरिक्ष इतिहास के जनक कहे जाने वाले साराभाई ने भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम की नींव रखी। वह भौतिक विज्ञानी व उद्योगपति थे, जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान शुरू किया और भारत में परमाणु ऊर्जा विकसित करने में मदद की। उनकी कोशिशों का ही नतीजा रहा कि हमारे देश के पास आज ISRO जैसी विश्व स्तरीय संस्था है।
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सर बोस को भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पति विज्ञान और पुरातत्व का गहन ज्ञान था। वह दुनिया के पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्होंंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर काम किया। इसके अलावा, वनस्पति विज्ञान में भी उन्होनें कई महत्वपूर्ण खोजें कीं। बोस, भारत के पहले वैज्ञानिक थे, जिन्हें अमेरिकी पेटेंट मिला। पूरी दुनिया में उन्हें रेडियो विज्ञान का पिता कहा जाता है।
25 सितम्बर 1920 को जम्मू कश्मीर के श्रीनगर जिले में जन्में श्री सतीश धवन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रणेताओं में से एक थे| ये भारतीय विज्ञान संस्थान से 20 वर्षों तक जुड़े रहे| विज्ञान के प्रति इनके योगदान के लिए इन्हें पद्म पुरस्कार (1971) से सम्मानित भी किया गया|
10 मार्च 1932 को कर्नाटक में जन्में राव का अंतरिक्ष विज्ञान में विशेष योगदान रहा है। वह लम्बे समय तक भारतीय विज्ञान की सेवा करते रहे और इसी कारण भारत सरकार द्वारा इन्हे पद्म पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया।
इनके बिना भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना ही नहीं की जा सकती। उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा की बदौलत 1974 में देश, पहला परमाणु परीक्षण करने में सफल रहा।
तमिलनाडू के चिदंबरम जिले से आने वाले भारतीय मूल के रामकृष्णन को साल 2009 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार दिया गया। रामन को यह पुरस्कार कोशिका के अंदर प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम की कार्यप्रणाली व संरचना के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए दिया गया।
24 अक्टूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम में जन्में डॉ. कृष्णास्वामी ने मूलरूप से एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में अपना विशिष्ट योगदान दिया| वह PSLV और GSLV से सीधे तौर पर सम्बंधित रहे|
इनके नेतृत्व में ही देश ने चंद्रयान-I, इनसेट-2 , भारतीय दूर संवेदी उपग्रह आई आर एस 1A और 1B में सफलता हासिल की है| विज्ञान में इनके योगदान के लिए इन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।