एक IAS अफसर, जिन्होंने 1 साल में पराली जलाने की घटना को 80% तक कर दिया कम।
IAS अधिकारी विक्रम यादव ने हरियाणा के अंबाला में पोस्टिंग के दौरान धान और गेहूं की पराली को जलाने के बजाय, उपयोग में लाने के लिए कई तरीकों से किसानों की मदद की।
उनकी कोशिशों का परिणाम यह हुआ कि गांव में पराली जलाने की संख्या में 80% की कमी आई।
विक्रम यादव पूरे उत्तर भारत में पराली जलाने पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
दरअसल, किसान फसल का मौसम खत्म होने के बाद गेहूं और धान के पराली को पूरी तरह से जला देते हैं, क्योंकि उन्हें अगली फसल बोने के लिए खेत को पूरी तरह से साफ करना होता है।
पराली को जलाना खेत साफ करने का सबसे आसान तरीका है। इससे एक रात में ही पूरे खेत की सफाई हो जाती है।
विक्रम ने देखा कि खेतों में पराली जलाना पर्यावरण के लिए तो नुकसानदेह है ही, इसके साथ ही इससे कई खेतों में आग भी लग जाती है।
तब उन्होंने इस समस्या को सुलझाने का फैसला किया और सैटेलाइट इमेज से सभी गतिविधियों पर नज़र रखने लगे।
उन्होंने जिले में जागरूकता अभियान चलाने और ट्रेनिंग देने की योजना बनाई। पराली जलाने की रोकथाम के लिए स्कूल और कॉलेज के बच्चों के साथ मिलकर रैली की।
उनकी लगातार कोशिशों के बाद, जहां 2020 में 15 सितंबर और 30 अक्टूबर के बीच पराली जलाने के 705 मामले दर्ज़ हुए थे। वहीं, 2021 में इसी समय में पराली जलाने के मामले घटकर 146 हो गए।