हैदराबाद का डॉ. बीआर अंबेडकर सब्जी बाज़ार सस्टेनेबिलिटी का एक शानदार उदाहरण है।

यहाँ के बाज़ार से रोज़ाना करीब 10 टन जैविक कचरा निकलता है, जो कई सालों से लैंडफिल में जा रहा था।

लेकिन अब इस कचरे को बायोगैस में बदला जाता है, जिससे  बिजली बनाई जाती है।

इस बिजली से 100 से ज़्यादा स्ट्रीट लाइट्स और 170 दुकानों को रौशनी मिलती है।   इस तरह मार्केट हर महीने 2.5 लाख रुपये की बचत भी कर रहा है।

साल 2020 में शहर की आहूजा इंजीनियरिंग सर्विसेज़ और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ केमिकल टेक्नोलॉजी की मदद से यह प्लांट तैयार किया गया है।  

 बाज़ार के बेकार पड़े  कचरे को एक टीम जमा करती है। इसे प्लांट में ले जाने के बाद, 'फ़ीड प्रिपरेशन टैंक' में भिगोया जाता है। बाद में यह जैव-मिथेनेशन प्रक्रिया से गुज़रता है।

बायोगैस को जनरेटर के अलग-अलग टैंकों में डालकर बिजली बनाई जाती है।

है न बड़ा कमाल का काम!!

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