रेलवे स्टेशन पर सोते थे, मजदूरी भी की;  IAS एम शिवागुरु प्रभाकरन की कहानी है प्रेरणादायक

हमारे बीच कई लोग ऐसे होते हैं जो अपनी मेहनत और दृढ़-संकल्प से जीवन के अभावों को भी चुनौती देकर आगे बढ़ते रहते हैं। उन्हीं लोगों में से एक हैं IAS शिवगुरु प्रभाकरन। 

तमिलनाडु के एक किसान परिवार में जन्में शिवगुरु का बचपन काफ़ी तंगहाली में बीता। पिता को शराब की बुरी लत थी, घर संभालने के लिए उनकी मां और बहन दिन में खेतों में मजदूरी और रात को टोकरी बनाने का काम करती थीं।

उन्होंने अपने परिवार की मदद के लिए मील में ऑपरेटर की नौकरी की। शिवगुरू ने लगभग 2 सालों तक ऑपरेटर के रूप में कार्य किया और साथ ही खेती में भी हाथ बंटाया।

इस तरह कड़ी मेहनत करके उन्होंने घर भी चलाया और बहन की शादी भी कराई लेकिन पढ़ने के अपने जज़्बे को कभी ख़त्म नहीं होने दिया।

यह उनकी पढ़ाई के प्रति रूचि ही थी जिसके दम पर उन्होंने साल 2008 में इंजीनियर करने का फैसला किया और IAS बनने का सपना भी देखा।

2014 में प्रभाकरन ने एमटेक में टॉप रैंक के साथ परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने अपने सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने के सपने को साकार करने का निश्चय किया।

जब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे तब उनके पास रहने के लिए घर नहीं था जिसके कारण उन्हें प्लेटफॉर्म पर ही सोना पड़ता था। वह वीकेंड में प्लेटफॉर्म पर सोते और बाकी दिन कॉलेज फीस भरने के लिए पार्ट टाइम जॉब करते।

दिन-रात की कड़ी मेहनत और नौकरी करके उन्होंने न सिर्फ़ अपनी पढ़ाई पूरी की बल्कि साल 2017 में अपने चौथे प्रयास में UPSC CSE की परीक्षा भी AIR 101 से पास कर ली और बन गए IAS अधिकारी।

शिवगुरू का जीवन अभावों से भरा रहा लेकिन उनके जुनून के आगे सभी परेशानियों ने घुटने टेक दिए।

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“मैंने दो साल तक आरा मिल संचालक के रूप में काम किया और खेती भी की। मैं जो भी पैसा जुटा सका, उसमें से कुछ अपने परिवार पर खर्च किया और कुछ अपनी शिक्षा के लिए बचाया। मैं अपने सपनों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था।'' - IAS शिवगुरु प्रभाकरन