IAS अधिकारी ने 125 वॉलंटियर्स के साथ, बिना सरकारी फंड के ऐतिहासिक तालाब की बदली दशा

2016-बैच के अधिकारी IAS अंशुल गुप्ता, 2021 के अंत में उज्जैन नगर निगम, मध्य प्रदेश के कमिश्नर बने औऱ उनकी एक पहल ने उज्जैन के बाहरी इलाके में मौजूद यम तलैया नाम के बदहाल पड़े तालाब की तस्वीर ही बदल दी।  

4.2 एकड़ का यह तालाब, कभी आस-पास के किसानों और चित्रगुप्त मंदिर के लिए काफी महत्व रखता था, लेकिन सालों की लापरवाही और निक्षेपण ने के कारण इसकी जल-धारण क्षमता काफी कम हो गई।

फिर तो खरपतवार और आस-पास के खेतों के अतिक्रमणों ने इस तालाब का हाल और भी बुरा कर दिया। जब IAS अंशुल गुप्ता ने इस बदहाल तालाब को देखा, तो उन्होंने इसे फिर से जीवित करने का फैसला किया।

"इस ऐतिहासिक साइट के दौरे के बाद, मैं एक गैर-लाभकारी पर्यावरण संरक्षण समूह, एनवायरनमेंटलिस्ट फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया (EFI) के पास पहुँचा"- IAS अंशुल गुप्ता

दिसंबर 2021 में, EFI और वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च कर एक योजना बनाई और इस पर काम करने के लिए, सोशल मीडिया के ज़रिए स्थानीय गैर-लाभकारी संस्थाओं, सामाजिक संगठनों और कॉलेजों को साथ जोड़ा गया। 

आखिरकार, लगभग 125 वॉलंटियर्स, EFI और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर IAS गुप्ता ने सफाई का काम शुरू किया। इस पूरे काम किसी तरह के सरकारी फंड का एक रुपया नहीं लगा।

तालाब के जीर्णोद्धार, दीवार पेंटिंग, वृक्षारोपण और यहां तक ​​कि जल निकाय के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए एक स्क्रीनिंग अभियान में स्वयंसेवक लगे हुए हैं।

“उत्खनन का उपयोग करके औसतन 4 फीट गाद निकाली गई। तटबंधों को मजबूत करने के लिए इसे परिधि में स्थानांतरित किया गया था, जो औसतन 12 फीट तक बढ़ाए गए थे। इससे जल धारण क्षमता को बढ़ाने और भारी वर्षा के दौरान बाढ़ को कम करने में मदद मिलेगी।

यह पूरी मेहनत व्यर्थ न जाए इसके लिए यहां कई तरह के सिविल काम भी किए गए- जैसे पैदल मार्ग की मरम्मत, मौजूदा घाट और इनलेट चैनल को पार करने के लिए लकड़ी के पुल बनाए गए।

आठ महीनों के प्रयास के बाद, तालाब की जल-धारण क्षमता को इसके मूल 67,989,600 लीटर से लगभग एक तिहाई (22,800,000 लीटर) बढ़ाने में मदद की।

“यम तलैया (विष्णु सागर से बहने वाला) तालाब, जो कभी बिल्कुल बुरे हाल में था, अब बेहद खूबसूरत हो चुका है। तालाब में पहले की तुलना में अब अधिक पानी और वन्य जीवन है।

तालाब के पास रहने वाले किसानों सहित 100 से अधिक लोगों को बढ़ते भूजल से फायदी हुआ, इसके अलावा कई तरह के पक्षियों और सरीसृपों आदि का भी यहां आना बढ़ा।

इसके अलावा, यहां मौजूद मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या भी काफी बढ़ी है।