56 साल की किरणदीप कौर,  पारंपरिक हैंडीक्राफ्ट के ज़रिए अपने पैतृक गांव के आसपास रहनेवाली वंचित और अशिक्षित महिलाओं को सशक्त बनाने का काम रही हैं।

किरणदीप कौर और उनके पति रणबीर सिंह अब अपने गांव, खुर्द में ही रह रहे हैं और महिलाओं को दरी, नैपकिन और कुशन बनाने के लिए सामान मुहैया कराते हैं।

एक बार, जब चीज़ें बनकर तैयार हो जाती हैं, तो किरणदीप इन्हें ऑनलाइन या प्रदर्शनियों में बेचती हैं। उनकी कोशिशों की बदौलत, आज 30 महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं।

ये महिलाएं पहले या तो मनरेगा के लिए काम कर रही थीं या फिर खेतों में। लेकिन आज, वे अपने घरों से ही आराम से काम करती हैं और इससे उनकी अच्छी कमाई भी हो रही है।

“ये महिलाएं बचपन से ही कुशल कारीगर हैं, क्योंकि वे अपने दहेज के लिए 'खेस' और 'दरी' बुनती रही हैं। उन्हें बस अपने हुनर को तराशने की ज़रूरत है।”              - किरणदीप कौर