भारत में विकास की एक नई गाथा लिखने में इनका अहम योगदान था। खेती में सुधार से लेकर, इन्होंने जेल के कैदियों के उत्थान के लिए भी काम किया।
बचपन से उनके पिता को पता था कि विक्रम कोई आम इंसान नहीं है। 24 साल की उम्र में इस 'शेरशाह' ने देश के लिए कुर्बान होकर यह बात साबित कर दी।
उनका शोध नीरा (ताड़ के मीठे रस, फलियां और चावल के आटे से बना एक लोकप्रिय पेय) था, जिसके जरिए उन्होंने भारतीयों, विशेष रूप से गरीबों को पोषण देने का काम किया।
जिन्होंने देश के घाटों के बीच से रास्ता बनाया, साथ ही भारत का पहला आधुनिक शिपयार्ड, पहला विमान और कार कारखाना खोलने का श्रेय भी इनको ही जाता है।
भगत सिंह की बहन अमर, जो अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए दो बार जेल भी गईं।
लोगों की मदद करने को अपना जुनून बनाने वाले इस डॉक्टर ने कोरिया वॉर के समय दो लाख लोगों की जान बचाई।
मैसूर के महाराजा के 'हुजूर' सचिव की बेटी फिलोमेना ने ट्रिनिटी कॉलेज लंदन से फेलोशिप परीक्षा पास की थी। इसके बाद उन्हें पेरिस संगीत विद्यालय में प्रवेश के लिए चुना गया और ऐसा करने वाली वह सबसे कम उम्र की और भारत की पहली महिला थीं।