मेकैनिक से गुलज़ार तक : अद्भुत है संपूर्ण सिंह का सफ़र!

गुलज़ार यानी संपूर्ण सिंह कालरा का जन्म 1934 में अविभाजित पंजाब में हुआ था। विभाजन के दौरान उनका पूरा परिवार अमृतसर आ गया।

परिवार के कहने पर वह मुंबई आ गए, ताकि कुछ पैसे कमा सके।

गुजारा चलाने के लिए उन्होंने मोटर मेकैनिक का काम करना शुरू कर दिया और अपने खाली समय में बंगाली से हिंदी में अनुवाद करने लगे।

इसी दौरान वह लेखकों की बैठकों का हिस्सा बनें और फिल्म निर्माता बिमल रॉय की नज़र उन पर पड़ी। 1963 में उन्होंने अपना पहला गीत 'मोरा गोरा रंग लई ले' लिखा।

हृषिकेश मुखर्जी और आर.डी बर्मन के साथ उनकी साझेदारी बेमिसाल थी - 'मुसाफिर हूँ यारों' जैसा हिट गाना इसी साझेदारी की देन है।

दिल छू जाने वाली शायरी के लिए मशहूर, गुलज़ार को अब ज्ञानपीठ पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया है, जो भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है।