ये हैं भारत के 6 प्रसिद्ध सस्पेंशन ब्रिज, जो बने हैं केबल के सहारे।

आपने किसी भी नदी, नहर के ऊपर या समुद्र के बीच में पुल बने हुए देखे होंगे। ज़्यादातर नदियों पर पुल, पिलर के सहारे टिके रहते हैं।

लेकिन कुछ ऐसे पुल भी हैं, जहां पिलर के इस्तेमाल की जगह केबल का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे पुल को सस्पेंशन ब्रिज कहा जाता है।

ये हैं भारत के प्रसिद्ध झूला पुल या सस्पेंशन पुल, जिनका इस्तेमाल पब्लिक बेझिझक करती है-

कोटा हैंगिंग ब्रिज

ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर के तहत कोटा बाईपास के पास चंबल नदी पर बने हैंगिंग ब्रिज को शुरू हुए 5 साल हो गए। चम्बल नदी पर इस ब्रिज के निर्माण की शुरुआत साल 2007 में हुई थी, और 2017 में 213.58 करोड़ की लागत से यह ब्रिज बनकर तैयार हुआ।

ब्रिज की सड़क के नीचे डेक बना है। इसके भीतर 2.5 मीटर चौड़ा, सुरंगनुमा हॉलो सेक्शन है, जिसमें एक हाथी घूम सकता है।

लक्ष्मण झूला

भारत के सबसे प्रसिद्ध हैंगिंग ब्रिज में लक्ष्मण झूला का नाम भी शामिल है। इस पुल को ब्रिटिश काल में गंगा नदी के ऊपर बनाया गया था। यह 450 फीट लंबा और 5 फीट चौड़ा है।

लक्ष्मण झूला, तपोवन क्षेत्र में आवागमन का एकमात्र साधन है। हालांकि यह पुल 92 साल पुराना है, लेकिन समय-समय पर प्रशासन द्वारा इसकी मरम्मत करवाई जाती है।

डोबरा-चांठी मोटरेबल झूला पुल

उत्तराखंड के टिहरी झील पर देश का सबसे बड़ा सिंगल लेन डोबरा-चांठी मोटरेबल झूला पुल है।  डोबरा चांठी पुल लगभग 300 करोड़ की लागत से साल 2014 में बनकर तैयार हुआ।

हावड़ा ब्रिज

साल 1936 में हावड़ा ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1942 में यह पूरा हो गया। उसके बाद 3 फरवरी, 1943 को इसे जनता के लिए खोल दिया गया। उस समय यह पुल दुनिया में अपनी तरह का तीसरा सबसे लंबा ब्रिज था।

इस पुल की खासियत यह है कि पूरा ब्रिज महज़ नदी के दोनों किनारों पर बने 280 फीट ऊंचे दो पायों पर टिका है। इसके दोनों पायों के बीच की दूरी डेढ़ हज़ार फीट है। इन दो पायों के अलावा नदी में कहीं कोई पाया नहीं है, जो ब्रिज को सपोर्ट कर सके।

विद्यासागर सेतु

पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता को औद्योगिक शहर हावड़ा से जोड़ने के लिए बनाए गए विद्यासागर सेतु को 1992 में यातायात के लिए खोला गया था।

इसका शिलान्यास तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 20 मई, 1972 को किया गया था। लेकिन सात साल तक इस पर काम शुरू नहीं हो पाया था। आखिरकार इसका निर्माण तीन जुलाई 1979 को शुरू हुआ। पुल को पूरा होने में 20 वर्षों से अधिक समय लगा।

कोरोनेशन ब्रिज

कोरोनेशन ब्रिज पश्चिम बंगाल राज्य के दार्जिलिंग शहर में स्थित है। इसको 'सेवो के ब्रिज' के नाम से भी जाना जाता है और यह तिस्ता नदी के ऊपर बना हुआ है, जो दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी शहर को राष्ट्रीय राजमार्ग 31 से जोड़ता है।

सन 1937 में इसका निर्माण शुरू हुआ था और पुल की नींव, किंग जॉर्ज VI ने रखी थी, इस पुल को 4 लाख की लागत से 1941 में पूरा किया गया।