100% रिसाइकिल हो सकता है मिट्टी और बांस से बना यह घर

आर्किटेक्ट रेवती कामथ के मिट्टी और बांस से बने घर की दिलचस्प बात यह है कि यहां पहली बार, दो मंजिला घर बनाने के लिए धूप में सूखी मिट्टी की ईंटों का उपयोग किया गया था।

करीबन 27 साल पहले, आर्किटेक्ट रेवती कामथ ने सूरजकुंड, फरीदाबाद में अपना घर बनाया। तब वह इसके ज़रिए, सस्टेनेबल घर का बढिया उदाहरण पेश करना चाहती थीं।  

इस दो मंजिला घर में बैम्बू और मिट्टी के अलावा पहली बार, धूप में सूखी हुई ईंटों का इस्तेमाल भी किया गया था।  

1990 के दौर में वह,  कई ईको-फ्रेंडली प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही थीं।

प्राकृतिक घरों से जुड़ी गलत धारणा को गलत साबित करने के लिए, उन्होंने सालों मिट्टी के घर में रहकर साबित किया कि ये काफी टिकाऊ होते हैं।

वह कहती हैं कि सालों से भारत में मिट्टी के घर बनते आ रहे हैं, लेकिन समय के साथ सस्ते और पक्के मकान बहुत ज़्यादा प्रचलित हो गए।

लेकिन पक्की ईंटों को बनाने में पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचता है।

  लोगों का मानना है कि मिट्टी की ईंटे बारिश में ज़्यादा नहीं चलतीं, लेकिन उन्होंने साबित किया कि मिट्टी में सुखाई हुई ईंटों में भी काफी ताकत है।  

 उनके घर को बनाने में महिलाओं और बुजुर्गों का सबसे ज़्यादा योगदान है। जबकि पक्के घरों के कंस्ट्रक्शन में आप महिलाओं को बस सामान ढोते ही देखते हैं।  

इस घर में सामान्य से ज़्यादा बड़ी ईंटों का इस्तेमाल किया गया है।

प्लास्टर के लिए मिट्टी और गोबर का इस्तेमाल हुआ है। उन्होंने दिल्ली के कई पक्के घरों में मिट्टी का प्लास्टर करके एक नया लुक दिया है।

बैम्बू और मिट्टी के अलावा, जो बात इस घर को खास बनाती हैं वह है इसकी छत, जिसमें उन्होंने बैम्बूक्रिट का उपयोग करके घास उगाई हैं।  यह एक लाइव छत है।

छत और नींव सहित इस पूरे कंस्ट्रक्शन में केवल  0.3 प्रतिशत सीमेंट इस्तेमाल हुआ है। बाकि की सारी चीजें 100% रीसायकल हो सकती हैं।

रेवती ने चार दशकों तक मिट्टी से जुड़ी कई संरचनाएं बनाईं हैं और उनके कई प्रोजेक्ट्स दुनिया भर में मशहूर हैं।