कभी ज़मींदारों और दुल्हनों की शान रही पालकी, बंगाल के दूर दराज इलाकों में बचा रही लोगों की जान

अलीपुरद्वार के बक्सा क्षेत्र के सुदूर इलाकों में, जहां गाड़ियों के आने-जाने के लिए सड़क तक नहीं है, वहां एक पालकी एंबुलेंस की शुरुआत की गई है।

दरअसल, पर्यावरण मंत्रालय की ओर से बक्सा टाइगर रिज़र्व में सड़कों या मोबाइल टावरों जैसी संरचना को बनाने की मनाही है, इसलिए DM सुरेंद्र कुमार मीणा ने बीमार लोगों और गर्भवती महिलाओं के लिए इस एम्बुलेंस की शुरुआत की।

“यहां के गांव समुद्र तल से 4,600 फीट की ऊंचाई पर हैं। मैंने देखा कि लोग यहां बीमारों और गर्भवती स्त्रियों को बोरों में ले जाते थे, यह देखकर मेरा दिल दहल गया। तब मैंने गांववालों से बात करके पालकी-एम्बुलेंस सेवा शुरू की।”- DM मीणा 

इस एंबुलेंस से किसी प्रेग्नेंट महिला को ले जाते समय, एक ट्रेंड नर्स और गाँवों में रहने वाली दाइयां, पालकी एम्बुलेंस के साथ जाती हैं। पालकी को एक ऐसी जगह पर ले जाते हैं, जहाँ पक्की सड़क हो, फिर वहां से स्वास्थ्य विभाग की एम्बुलेंस रोगी को ले जाती है।

इस नि: शुल्क पहल ने इस क्षेत्र में रहनेवालों की बड़ी समस्या हल कर दी है और यहां के लोगों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है, क्योंकि क्षेत्र के कई लोगों ने इस सुविधा का लाभ उठाया। 

जिला प्रशासन यह सेवा, भारतीय परिवार नियोजन संघ की मदद से लोगों तक पहुंचा रहा है।

जिला मजिस्ट्रेट सुरेंद्र मीणा, उनकी पूरी टीम और गांववालों के तालमेल से शुरू हुई यह सेवा न सिर्फ यहां के लोगों की परेशानी दूर कर रही है, बल्कि इस तरह के दूसरे इलाकों के लिए उदाहरण भी बन चुकी है।