उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के किरतपुर की रहने वाली अप्रती सोलंकी का बागवानी से खास लगाव है। स्थानीय रुहेलखंड विश्वविद्यालय में एम.ए (इतिहास) की अंतिम वर्ष की छात्रा अप्रती का बचपन से ही बागवानी से जुड़ाव रहा है। जब वह अपने लगाए पेड़-पौधों को देखती है, तो उन्हें भविष्य के लिए उम्मीद की एक नई किरण दिखाई देती है।
अप्रती ने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरा प्रकृति से प्रेम स्वाभाविक है, क्योंकि मेरे दादाजी और पिता जी को भी बागवानी का काफी शौक था, और मैंने उस परंपरा को बरकरार रखा। मुझे लगता है कि बागवानी माइंड थेरेपी का सबसे अच्छा तरीका है। यह नकारात्मक विचारों को हमसे दूर रखता है।“
अप्रती के पास दो बगीचे व एक टेरेस गार्डन है, जहाँ वह 100 से अधिक प्रकार के पेड़-पौधों की जैविक खेती करती हैं। अप्रती अपने उत्पादों को अपने गाँव के लोगों को भी बांटती है, जिसके बदले में वह किसी से पैसे नहीं लेती।
अप्रती बताती हैं, “एक समय मेरे घर के आगे एक तालाब हुआ करता था, जिसमें लोग कूड़ा-कचड़ा फेंक देते थे। इसके बाद मेरे पिता जी ने उसमें मिट्टी भर कुछ फलदार पेड़ लगाए, धीरे-धीरे यह सिलसिला बढ़ता गया। आज हम आम, अमरूद, अनार जैसे फलदार पेड़ों से लेकर गिलोय, कालाबांसा, थोर जैसे कई औषधीय पौधों की भी खेती करते हैं। हमने घर के प्रवेश द्वार पर ड्रेसिना, कार्डबोर्ड पाम, बास्केट प्लांट, एरोकेरिया जैसे कई सजावटी पौधे लगाए हैं। इसके अलावा, घर की छत पर 200 से अधिक गमले लगे हुए हैं, जिसमें कई तरह के छोटे जड़ों वाले पेड़-पौधे लगे हुए हैं। जल्द ही हम यहाँ जैविक सब्जियों की भी खेती शुरू करने वाले हैं।“
अप्रती के पास सीमेंट, सेरामिक, और प्लास्टिक के कुछ गमले हैं, लेकिन वह मिट्टी के गमलों को अधिक महत्व देती हैं, क्योंकि यह हर मौसम में पौधों के लिए जरूरी नमी को बनाए रखते हैं। इसके अलावा, वह टायर, पुरानी बोतल, चाय के कुल्हड़, आटे के थैले, चाय पत्ती के पैकेट्स आदि जैसी घर की बेकार चीजों का भी उपयोग करती है। जबकि, वह जैविक खाद का निर्माण मिट्टी के मटके में किचन वेस्ट और गोबर डाल कर करती है, जिससे कि ना तो बदबू आती है और न ही इसमें कीड़े पैदा होते हैं।
अप्रती, लोगों को बागवानी से संबंधित जरूरी सुझाव देने के लिए यू-ट्यूब वीडियो भी बनाती हैं, जिसे हर महीने लगभग 1.50 लाख से अधिक लोग देखते हैं।
द बेटर इंडिया ने अप्रती से खास बातचीत की और उनसे बागवानी के बारे में जाना और समझा। हमारी बातचीत का अंश आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
1.बागवानी की शुरूआत कैसे करें?
उत्तर: बागवानी की शुरूआत हमेशा पुदीने, विनका, पौर्चुलैका, स्पाइडर प्लांट, आदि जैसे छोटे और आसानी से उगने वाले पौधों से करनी चाहिए।
2.यदि कोई पहली बार बागवानी कर रहा है, तो उसे किस तरह के पेड़-पौधों की खेती करनी चाहिए?
अप्रती: पहली बार खेती करते समय पौधों को खरीदने से बचें। बागवानी के बारीकियों को समझने के लिए कटिंग से पौधा तैयार करें। यदि पौधा सूख जाए तो इससे आपको नुकसान कम होगा।
3.बागवानी के लिए मिट्टी कैसे तैयार करें।
अप्रती: बागवानी के लिए गोबर, सूखी पत्ती, किचन वेस्ट से मिलाकर मिट्टी को तैयार करें। यदि मिट्टी कठोर हो तो उसमें थोड़ा रेत मिला दें, जिससे मिट्टी हल्की हो जाएगी और पौधे की जड़ें आसानी से फैल सकेगी। रासायनिक खाद के प्रयोग से बचें।
4.क्या छत पर बागवानी करने का नुकसान है?
अप्रती: छत पर बागवानी करने के दौरान आपको दो बातों का ध्यान रखना होगा; पहला – कहीं वाटर लिकेज ना हो, जबकि दूसरा छत पर ज्यादा भार ना हो इसके लिए कोकोपीट, वुड डस्ट आदि का उपयोग करें।
5.बागवानी के लिए कम लागत में संसाधनों की पूर्ति कैसे करें?
अप्रती: वैसे तो बागवानी करने में कोई खास लागत नहीं लगती है, लेकिन कम खर्च के लिए घर के बेकार पड़ी चीजों जैसे – पुराने डिब्बे, बाल्टी, मटके, बोतल, कार्टून आदि का प्रयोग करें। जबकि, खाद के लिए किचन वेस्ट का उपयोग करें।
6.सिंचाई के लिए किस विधि का उपयोग करना चाहिए?
अप्रती: सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का उपयोग करें। इससे पानी की भी बचत होगी। आप बाल्टी और मग से भी सिंचाई कर सकते हैं।
7.बागवानी करने के लिए उचित समय क्या है?
अप्रती: बहुत ज्यादा गर्मी और बहुत ज्यादा सर्दी में बागवानी नहीं करनी चाहिए।
8.पेड़-पौधों की देख-भाल कैसे करें? कितनी धूप उनके लिए जरूरी है?
अप्रती: हर दिन 10 मिनट का समय पौधों को जरूर दें, ताकि आपको पता चल सके कि उसमें कीड़े तो नहीं लग रहे हैं। गर्मी में सिंचाई हमेशा शाम को करें और जरूरत पड़ने पर सुबह में भी सिंचाई करें। जबकि, सर्दियों में सिंचाई सुबह में करें, क्योंकि शाम में दिया गया पानी पौधों में फंगस पैदा कर सकता है। इसके साथ ही, सर्दियों में पौधों को 3-5 घंटे की धूप दें और गर्मियों में सुबह या शाम को 2-3 घंटे की धूप दें।
9.पेड़-पौधों के पोषण के लिए घरेलू नुस्खे क्या हैं ?
अप्रती: घर में धुले हुए दाल, चावल, सब्जी के पानी को ना फेकें और इसका सिंचाई के लिए उपयोग करें। सूखी पत्ती, गोबर और किचन वेस्ट से जैविक खाद बनाएं और इसमें मांसाहार, पकी सब्जियां या पल्प नहीं डालें, नहीं तो खाद में कीड़े हो जाएंगे। कीड़े और बदबू से बचने के लिए पौधे मिट्टी के बर्तन में लगाएं। खाद जल्दी से तैयार हो इसके लिए कम्पोस्ट बनाते समय इसमें थोड़ा सा मठ्ठा डाल दें। इसके अलावा, चीटियों से बचाव के लिए दालचीनी या हल्दी का उपयोग करें।
10.हमारे पाठकों के लिए कुछ जरूरी सुझाव?
अप्रती: पर्यावरण को सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है इसलिए अपने छत, बालकनी, प्रवेश द्वार, बरामदे में पेड़-पौधे जरूर लगाएं। पौधे लगाने के बाद धैर्य बनाए रखें और निराश बिल्कुल ना हों। यदि पौधा सूख जाए तो फिर कोशिश करें और बागवानी का शौक बनाए रखें। याद रखें कि कम से कम जगह में भी बागवानी की जा सकती है।
अगर आपको भी है बागवानी का शौक और आपने भी अपने घर की बालकनी, किचन या फिर छत को बना रखा है पेड़-पौधों का ठिकाना, तो हमारे साथ साझा करें अपनी #गार्डनगिरी की कहानी। तस्वीरों और सम्पर्क सूत्र के साथ हमें लिख भेजिए अपनी कहानी hindi@thebetterindia.com पर!
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