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12 साल से छत पर खेती कर, पड़ोसियों को भी मुफ्त में सब्जियां खिला रहे हैं महेंद्र साचन

हेंद्र साचन पर सब्जियों के बढ़ते दाम का कोई असर नहीं होता, जानते हैं क्यूँ? क्योंकि वह अपने घर की छत पर ही 20 से ज्यादा तरह की हरी सब्जियां उगाते हैं। पेस्टिसाइड्स और केमिकल खाद से पोषित कर उगाई हुई सब्ज़ियाँ खाते वक्त हमारे मन में भी ख्याल आता है की काश थोड़ी सी ज़मीन होती तो खुद की सब्जियां बोते। इस सपने को हकीकत किया है, महेंद्र साचन ने।

महेंद्र साचन के मुताबिक छत पर सब्जियों की खेती से वह औसतन 2500-3000 रुपये बचा लेते हैं। वह खुद जैविक सब्जियां खाते हैं और पड़ोसियों को भी बांटते है। लखनऊ के मुंशी पुलिया इलाके में रहने वाले महेंद्र साचन खाने के शौकीन हैं लेकिन महंगी और केमिकल वाली सब्जियां उनका स्वाद बिगाड़ देती थीं।  कोई हल नहीं मिल पा रहा था, इसलिए उन्होंने अपनी दो मंजिला घर की छत को ही किचन गार्डन बना डाला।

महेंद्र साचन

साचन कहते हैं, “खाना और सेहत, सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन दिनों सब्जियों पर इतने कीटनाशक छिड़के जा रहे कि जिससे सेहत बनती कम, बिगाड़ती ज्यादा हैं। शुरुआत में मैंने केमिकल मुक्त सब्जियों के लिए कुछ पौधे लगाए थे, लेकिन उनका स्वाद चखने के बाद पूरे छत को मैनें बगीचा बना दिया।”

शुरू में उन्होंने लौकी, बैंगन, टमाटर, मूली जैसी सब्ज़ियाँ ही उगाई। बिना किसी कीटनाशक और रासायनिक खाद रहित इन सब्जियों का स्वाद न सिर्फ उनके घरवाले बल्कि उनके पड़ोसियों को भी बहुत भाया। उनके मुताबिक इन सब्जियों को गलने और पकने में समय भी कम लगता है। ऐसी जैविक फसलों में आम तरीके से उगाई जानेवाली फसल के मुकाबले ज्यादा पोषक तत्व होते हैं क्योंकि इन्हें जिस मिट्टी में उगाया जाता है इसलिए ये अधिक उपजाऊ होती हैं। मौसम के अनुसार ही वह सब्ज़ियाँ बोते और उगाते हैं जिससे ये प्राकृतिक रूप से बढ़े और फले। पिछले 12 सालों में उन्होंने बाज़ार से न के बराबर ही सब्ज़ियाँ ही खरीदी हैं। इस काम में, महेंद्र जी का साथ उनकी पत्नी और बेटियाँ भी देती हैं।

साचन हर फसल के बाद अब बीजो का भी संरक्षण करने लगे हैं ताकि वह लोगों में इसे बाँट सकें और प्रोत्साहित कर सकें।

“ऑर्गैनिक तरीके से उपजाए जाने वाले फलों और सब्जियों में ज्यादा ऐंटि-ऑक्सिडेंट्स भी होते हैं क्योंकि इनमें पेस्टिसाइड्स नहीं होते इसलिए ऐसे पोषक तत्व बरकरार रहते हैं जो आपकी सेहत के लिए अच्छे हैं और आपको बीमारियों से बचाते हैं।” –  महेंद्र साचन

छत को किचन गार्डन बनाने के लिए उन्हें न घर मे कोई बदलाव करना पड़ा और न ही ज्यादा ख़र्च। महेन्द्र का मानना है कि हम जो कुछ भी प्रकृति को देते हैं, उसका दस गुना करके प्रकृति हमें वापस करती है। छत आदि पर पौधे लगाने से कई बार सीलन की समस्या आ जाती हैं, लेकिन थोड़ा ध्यान दिया जाए तो ये समस्या नहीं होगी।

600 स्क्वायर फ़ीट की अपनी छत पर पहले उन्होंने एक पतली चारकोल की लेयर लगाई और फिर लगभग 4 इंच उपजाऊ मिट्टी की एक मोटी परत बनाकर सब्ज़ियाँ उगानी शुरू की। खाद भी किचन के ही वेस्ट मटेरियल से बनानी शुरू कर दी। इससे कचरे की भी एक समस्या खत्म हुई। छत पर लगे लोहे के तार पर लटकी 5-6 लौकियों को दिखाते हुए वह कहते हैं, “घर मे सब्ज़ियाँ उगाने में कोई विशेष तकनीक नहीं इस्तेमाल की गई है, कोई भी अपने घर पर इस तरह का प्रयोग कर छत पर ही किचन गार्डन बना सकता है। छत पर किचन गार्डन होने का एक और फायदा ये भी है कि घर का निचला हिस्सा गर्मियों में भी ठंडा रहता है। सीमेंट की छत गर्मियों में तपने लगती हैं, लेकिन अब हमें दिन रात AC नहीं चलानी पड़ती, जिससे बिजली की भी बचत होती है  और आस पास की हवा भी शुद्ध रहती है।”

10-12 सालों में उन्होंने आसपास समेत कई दोस्तों के घरों में भी किचन गार्डन बनवा दिए हैं। बढ़ती महंगाई और मिलावट को देखते हुए अब किचेन गार्डन का ट्रेंड शहरों में भी बढ़ रहा है। अब तो कई कंपनियां भी आपको किचन गार्डन का पूरा सेटअप करके देती है। किचन गार्डन बनाने से पहले और उसकी देख -रेख के कुछ टिप्स उन्होंने हमसे साझा किये।

शुद्ध सब्ज़ियाँ और फल खाने के कई और फायदे भी हैं। इसके सेवन से बच्चे कम बीमार पढ़ते हैं क्योंकि सब्ज़ियाँ सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती हैं। इनमें पौष्टिक तत्व और विटमिन, मिनरल्स, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। इनमें मौजूद न्यूट्रिशंस, दिल की बीमारी के साथ-साथ माइग्रेन, ब्लड प्रेशर, डायबीटीज और कैंसर जैसी बीमारियों से भी बचाते हैं। साचन की तरह अगर हम भी अपनी आवश्यकता और सहूलियत के अनुसार किचन गार्डन लगाएं तो हम खुद की और पर्यारण की सेहत की रक्षा कर सकते हैं।

यदि आप महेंद्र साचन से संपर्क करना चाहते हैं तो ईमेल और फेसबुक से जुड़ सकते हैं।

संपादन- अर्चना गुप्ता


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