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जॉब गई तो माँ के साथ शुरू किया ‘Bengali Love Cafe’, दो लाख है हर महीने की कमाई

Homemade Food Business

गुरुग्राम की दीपा गुहा के घर की रसोई में जब खाना पकता है तो उसकी खुश्बू पड़ोसियों के घर तक जाती है। रसोई में पकने वाले बंगाली व्यंजनों की सुगंध से, घर के आसपास गुज़रने वाले लोगों के मुंह में भी पानी आ जाता है। 67 वर्षीया दीपा ने हाल ही में गुरुग्राम में एक घर के बने खाने का बिजनेस (Homemade Food Business) शुरू किया है। जिसका नाम उन्होंने ‘बंगाली लव कैफ़े’ रखा है। जहाँ वह बंगाली व्यंजन बनाती और बेचती हैं। हालांकि, वह कई सालों से छोटे-मोटे कार्यक्रम या पार्टी के लिए खाने का ऑर्डर लेती आ रही थी। लेकिन, अब उन्होंने इसे फुल टाइम बिजनेस का रूप दे दिया है।

पहले दीपा केवल सीमित अवसरों के लिए खाना बनाती थी। लेकिन दीपा की बेटी, साक्षी ने उन्हें काफी प्रोत्साहित किया और जनवरी 2020 में दीपा ने ‘बंगाली लव कैफे’ की शुरुआत की।

33 वर्षीया साक्षी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ काम कर रही थी। लेकिन, मार्च 2019 में उनकी नौकरी चली गई। द बेटर इंडिया से बात करते हुए साक्षी कहती हैं कि अचानक नौकरी चले जाने से वह काफी परेशान हो गईं। वह कहती हैं, “घर के खर्च, माता-पिता और तीन बहनों की पूरी ज़िम्मेदारी मुझ पर थी। समस्या का समाधान निकालने के लिए, मैंने अपनी मां के साथ एक टिफिन सर्विस शुरू करने का विचार किया।”

‘बंगाली लव कैफ़े’ को उनके घर की रसोई से लॉन्च किया गया था। एक साल के भीतर ही, यह पूरी तरह से एक कैफे में विकसित हो गया। जिससे उन्हें हर महीने दो लाख रुपये से अधिक की कमाई हो रही है।

टिफिन सर्विस से लेकर एक कैफे तक

Luchi with Aloo Dum.

साक्षी की नौकरी चली जाने से, धीरे-धीरे बचत भी ख़त्म हो गई थी। फिर साक्षी ने अपनी माँ से परिवार की मदद करने के लिए, अपने खाना पकाने के कौशल का उपयोग करने का अनुरोध किया। साक्षी कहती हैं, “अक्टूबर 2019 के आसपास, मैंने कुछ लीफलेट तैयार किए और अपनी मां को खाने के ऑर्डर तैयार करने के लिए राजी किया।” साक्षी कहती हैं कि उन्हें अपनी मां के पाक कौशल पर पूरा यकीन था और वह जानती थीं कि यह व्यवसाय चल पड़ेगा। उन्होंने अपने मुहल्ले में ये लीफलेट बांटे, जिसमें घर के बने बंगाली खाने की पेशकश की गई थी।

मेन्यू में सब्जी, दाल, रोटी और चावल शामिल थे। साथ ही, मांसाहारी ग्राहकों के लिए मछली, चिकन या अंडा का विकल्प भी था। वह कहती हैं, “हमें कुछ ऑर्डर मिलने लगे और धीरे-धीरे कुछ ग्राहकों ने वापस ऑर्डर देने के लिए आना भी शुरू कर दिया। समय के साथ, हमें ऐसे कई ग्राहक मिले, जिन्हें टिफिन सर्विस की ज़रूरत थी।”

लोग उनके द्वारा पकाए गए खाने को पसंद कर रहे थे। अब दीपा और साक्षी ने क्लाउड किचन शुरू करने की ओर कदम बढ़ाया। वह बताती हैं कि उन्होंने ज़ोमैटो पर अपना बिजनेस रजिस्टर किया और 15 जनवरी 2020 से ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर ऑर्डर स्वीकार करना शुरू कर दिया। कोरोना महामारी अभी शुरू हुई थी और कई लोगों ने घर से काम करना शुरू कर दिया था। उनके लिए यह अच्छा अवसर था। ग्राहकों की संख्या में अच्छी-खासी वृद्धि होने लगी।

दीपा कहती हैं कि एक बार जब उन्होंने आराम से ऑनालाइन ऑर्डर संभालना सीख लिया तब उन्होंने अन्य प्लेटफ़ॉर्म जैसे- स्विगी, मैजिक पिन, इंडिया मार्ट, बे, फटाफट और अन्य पर भी अपने खाने की पेशकश की और लोगों से ऑर्डर लेने लगे। वह कहती हैं, “हमने शादियों और व्यक्तिगत कार्यक्रमों के लिए केटरिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया।“

Bhog Khichuri

जैसे-जैसे व्यवसाय आगे बढ़ा और लॉकडाउन में ढील मिलने लगी, इस मां-बेटी की जोड़ी ने एक आउटलेट खोलने के लिए एक जगह किराए पर ली। उन्होंने मई 2020 में आधिकारिक तौर पर एक आउटलेट लॉन्च किया, जिसमें 50 से अधिक बंगाली व्यंजनों की पेशकश की गई थी। इन व्यंजनों में, रोल्स जैसे कि, लुची चिकन करी, लुची चिकन कोशा, कुछ स्नैक्स जैसे कि लुची-ओ-आलू चोरचोरी, कोलकाता की झाल मूड़ी और कई स्वादिष्ट कॉंबो मिल जैसे कि दोई माछ कॉम्बो और आलू शेद्दो के साथ झरना घी भात आदी भी शामिल थे। दीपा कहती हैं, “कई लोगों को हमारे यहां की भोग खिचड़ी बहुत पसंद है।”

बंगाली लव कैफे की भोग खिचुरी (bhoger, khichuri) एक पारंपरिक और लोकप्रिय व्यंजन है, जिसे खासकर दुर्गा पूजा के समय खाया जाता है। इसे भुनी हुई मूंग दाल, चावल, सब्जी, मसाले और घी का उपयोग करके बनाया जाता है। यह पोषण से भरपूर एक भारतीय डिश है, जो इम्य़ूनिटी बूस्टर की तरह भी काम करती है।

दीपा कहती हैं कि यह ‘भारतीय खिचड़ी’ से काफी मिलता-जुलती है। त्योहारों के महीनों में, विशेष रूप से दुर्गा पूजा में यह ज़रूर खाई जाती है। इसे बनाना बहुत सरल है और बहुत स्वादिष्ट भी होती है।” वह आगे बताती हैं, “जब भी मैं इसे परोसती हूँ तो ऊपर से एक चम्मच पिघला हुआ घी डालना पसंद करती हूँ, इससे इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।”

वह कहती हैं कि उनके सभी व्यंजन कोलकाता की मूल सामग्री से बनाए जाते हैं, जिससे उनके व्यंजनों का स्वाद बढ़ जाता है।

पारंपरिक घर के बने भोजन से भरी थाली

Homestyle chicken curry

साक्षी कहती हैं कि बढ़ते व्यापार को संभालने के लिए, उन्होंने कुछ और लोगों को रोज़गार दिया है। वह कहती हैं, “हमने पड़ोस की लगभग 30 महिलाओं को रोज़गार दिया है। मेरी माँ की तरह, सभी महिलाएं भी गृहिणी हैं और इन्हें भी बिजनेस के बारे में ज़्यादा पता नहीं था। लेकिन थोड़ी सहायता के साथ, वे अब अधिक पैसे कमा रही हैं।” वर्तमान में, कैफे में दिन भर में कम से कम 200 ऑर्डर आते हैं तथा धीरे-धीरे यह संख्या भी बढ़ रही है।

‘बंगाली लव कैफे’ के एक ग्राहक, आशीष पोद्दार यहां परोसे जाने वाले खाने की काफी तारीफ़ करते हैं। वह कहते हैं कि टिफिन सर्विस के लिए लीफलेट, उन्हें एक साल पहले मिला था और फिर उन्होंने यहीं से खाना ऑर्डर करना शुरू कर दिया। वह कहते हैं, “उन्होंने छोटे स्तर पर बिजनेस शुरू किया और तेजी से बढ़े। लेकिन, उनके खाने में गुणवत्ता और स्वाद हमेशा समान रहे हैं। 50 या 100 मील पूरे करने पर, मुझे यहां कभी-कभी ट्रीट भी मिलती है।”

आशीष बताते हैं कि वह जैसा चाहते हैं, उनके लिए वैसा ही भोजन बना दिया जाता है। वह कहते हैं, “मैं खाने में कम तेल-मसाला पसंद करता हूं। यहां मेरे अनुरोध पर, मेरे खाने को कम तेल-मसाले से साथ पकाया जाता है।”

साक्षी कहती हैं कि सफलता के बावजूद, पिछले कुछ वर्षों में उनके इस सफ़र में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वह कहती हैं, “मेरे पास कोई वित्तीय सहायता नहीं थी। मेरे पास इतने पैसे भी नहीं थे कि काम करने के लिए कोई कामगार रख सकूं। मुझे अकेले कई चीजों का प्रबंधन करना था, जिसमें कच्चा माल खरीदना, भोजन तैयार करना, पैकेजिंग करना और उन्हें बांटना आदि काम शामिल थे। इसके अलावा, हम में से किसी को भी इस क्षेत्र में पहले से कोई अनुभव नहीं था। हमारे लिए ग्राहकों के व्यवहार, उनकी पसंद-नापसंद और बाजार की मांग आदि को समझना भी मुश्किल था।” वह कहती हैं कि उन्हें लॉकडाउन के दौरान, कच्चा माल जुटाने से जुड़ी कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा था।

Nolen Gurer Rosogolla

अब अपने अनुभव से, साक्षी के पास कुछ सुझाव हैं जो व्यवसाय करने के इच्छुक लोगों के लिए मददगार हो सकते हैं। वह कहती हैं, “व्यवसाय के लिए चार स्तंभ हैं- कौशल, नवाचार, टार्गेट ऑडियंस और मार्केटिंग। हमें बाजार की जांच करनी थी और अपने कौशल को समझना था। उदाहरण के लिए, गुरुग्राम में रहने वाले बहुत से बंगाली लोग, घर का बना पारंपरिक खाना याद करते थे। हम उनका पसंदीदा बंगाली खाना, उनके घर तक डिलिवर कर सकते थे!”

वह आगे बताती हैं कि मूल आईडिया में कुछ बदलाव और नवाचार करने से बाजार में आगे बढ़ने में मदद मिलती है। ज्यादा से ज़्यादा ग्राहकों तक पहुँच बनाना भी उतना ही जरूरी है। वह कहती हैं, “हमने बंगाली समुदाय की जरूरतों की पहचान की और सस्ती कीमत पर ऑर्डर लिए। जहां तक ​​मार्केटिंग की बात है तो, ग्राहकों के साथ ईमानदार होना भी बहुत जरूरी है। उन्हें अच्छी गुणवत्ता के खाद्य उत्पाद सही कीमत पर दें। हमेशा उनकी प्रतिक्रिया पर गौर करें और बाजार की मांग में बदलाव के अनुसार, अपने व्यवसाय में भी बदलाव लाएं।”

भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए, साक्षी कहती हैं कि वह एक ट्रेडिंग कंपनी की स्थापना करना चाहती हैं। जहां वह शहरभर में बंगाली किराने का सामान बेच सकें। वह कहती हैं, “मैं महिलाओं के लिए और अधिक रोजगार के अवसर बढ़ाना चाहती हूं। मेरी मां हमेशा अपने लिए एक कैफे चाहती थीं, मुझे खुशी है कि उनकी यह इच्छा पूरी हुई।”

मूल लेख: हिमांशु नित्नावरे

संपादन – प्रीति महावर

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